टीआरपी घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने एक बड़ा खुलासा किया है। इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी को मामले में सचिन वाजे की संलिप्तता का पता चला। मुंबई क्राइम ब्रांच के एक पुलिस अधिकारी के जरिए ईडी को टीआरपी मामले में सचिन वाजे के भी संबंधित होने की बात पता चली।
एजेंसी ने बताया कि सचिन वाजे ने बार्क से उसके अधिकारियों को परेशान ना करने के लिए 30 लाख रुपये की घूस ली थी। एक सूत्र ने जानकारी दी कि बार्क ने अपने बयान में सचिन वाजे को पैसे देने की बात कही है। बार्क ने अपने अकाउंट्स के जरिए इस बात की जानकारी दी कि उन्होंने एक डमी कंपनी को कुछ पैसे ट्रांसफर किए थे।
ये डमी कंपनी चार और शेल कंपनियों से घिरी थी। इस डमी कंपनी को पैसे ट्रांसफर करने के बाद, एक हवाला ऑपरेटर के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर किए गए। इसके बाद वाजे के एक एसोसिएट जो खुद एक इंस्पेक्टर था, उसे घूस की राशि दे दी गई। ईडी ने बार्क के कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बयान दर्ज किए, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की।
हालांकि ईडी को अभी सचिन वाजे और मुंबई क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी से पूछताछ करनी है। बार्क ने हंसा कंपनी को चिन्हित घरों पर बैरोमीटर लगाने और इस पर निगरानी करने के लिए कहा। हंसा कंपनी ने पिछले साल पुलिस शिकायत दर्ज कराई और कहा कि उसके कर्मचारियों ने चिन्हित घरों के लोगों को पैसे देकर वहां टीआरपी घोटाले को अंजाम दिया है।
मुंबई पुलिस की एफआईआर के तहत ही ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। सचिन वाजे मुंबई पुलिस कमिश्नर के हेडक्वार्टर में बार्क के अधिकारियों और कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाता था। सूत्रों की माने तो कई बार वाजे घंटों तक उन्हें अपने कार्यालय के बाहर खड़ा रहने के लिए मजबूर करता था और अगले दिन आने के लिए कहता था।
सचिन वाजे ने अपनी एक छवि बनाई हुई थी कि वो पूछताछ के दौरान लोगों पर अत्याचार करता है। सचिन वाजे ने बार्क के कर्मचारियों से कहा कि अगर तुम्हें इस अत्याचार से बचना है तो तीस लाख रुपये लाकर दो। सूत्रों की माने तो ईडी जल्द ही टीआरपी मनी लॉन्ड्रिंग केस में अपनी पहली चार्जशीट दायर कर सकती है।