हमास और इस्राइल के बीच जारी जंग को एक महीना हो गया है। इस लड़ाई के बाद दुनिया दो गुटों में बंटी नजर आ रही है। इस दुनिया के कारण न केवल लोगों की मौतें हो रही हैं वहीं, इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव दिख रहा है। विश्व बैंक भी इसे लेकर चेतावनी जारी कर चुकी है। इस बीच, भारत के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा है कि इस जंग का असर अभी तक भारत की अर्थवयवस्था पर नगण्य प्रभाव पड़ा है। इसका साफ संकेत है कि भारतीय कंपनियां फिलहाल निशाने पर नहीं हैं।
रेटिंग एजेंसी ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में ये दावा किया है। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा कि उर्वरक और हीरे जैसे कुछ क्षेत्रों में प्रबंधनीय प्रभाव देखने को मिल सकता है। वहीं, अधिकांश क्षेत्रों में इस जंग का प्रभाव नगण्य होगा। हालांकि इसके काऱण सोने और कच्चे तेल की कीमतों पर असर दिखा है।
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कच्चे तेल को लेकर भारत की आयात पर अत्यधिक निर्भरता को देखते हुए इस पर विशेष रूप से नजर बनी रहेगी। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का कई अन्य क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। जो कच्चे तेल पर निर्भर रहते हैं।
इसमें कहा गया है कि अन्य देशों से आपूर्ति करने की भारत की क्षमता के कारण ये जोखिम को कम करती है। हालांकि, क्रिसिल की रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि संघर्ष का असर आसपास के तेल उत्पादक और निर्यातक क्षेत्रों पर पड़ने से आपूर्ति संबंधी बाधाएं आ सकती हैं और कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। कच्चे तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी से भारत में विमानन, ऑटोमोटिव, पेंट, टायर, सीमेंट, रसायन, सिंथेटिक कपड़ा और लचीली पैकेजिंग जैसे जुड़े क्षेत्रों पर असर पड़ेगा। इसके अलावा, उच्च मुद्रास्फीति के कारण भारत में कंपनियों पर ब्याज दरें तब तक हावी रहेंगी जब तक कि संघर्ष कम नहीं हो जाता। हालांकि भारत पर समग्र प्रभाव अभी कम है।
बता दें कि इस्राइल के साथ भारत का व्यापार अपेक्षाकृत कम है। व्यापारिक निर्यात में मुख्य रूप से परिष्कृत हाइड्रोकार्बन सहित पॉलिश किए गए हीरे और पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैंष वहीं, आयात में बड़े पैमाने पर औद्योगिक उपकरण, उर्वरक, कच्चे हीरे और कीमती पत्थर शामिल हैं। इसके अलावा, इस्राइल म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (MoP) का एक प्रमुख वैश्विक उत्पादक है। साथ ही यह उन शीर्ष तीन देशों में से एक है जिनसे भारत पोटाश का आयात करता है।