इमरान खान सरकार के आर्थिक सलाहकार के चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी-CPEC) पर उठाए गए सवालों के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख तीन दिन की यात्रा पर चीन की राजधानी बीजिंग पहुंचे हैं. इससे पहले इस्लामाबाद में चीन के राजदूत ने पाकिस्तान के आर्थिक सलाहकार को तलब किया था.
पाकिस्तानी सेना प्रमुख की इस यात्रा के दौरान शीर्ष चीनी नेतृत्व की कोशिश पाकिस्तान में 60 बिलियन डॉलर के निवेश वाले आर्थिक कॉरिडोर परियोजना की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की है. गौरतलब है कि इमरान खान की सरकार के सामने आर्थिक सलाहकार का मत है कि पाकिस्तानी कंपनियों के हित को देखते हुए इस परियोजना को कुछ दिनों के लिए टाल दिया जाना चाहिए.
इस दलील के साथे पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के सलाहकार अब्दुल रज्जाक दाउद ने कहा था कि पाकिस्तान सरकार को इस समझौते पर काम को एक साल के लिए रोक देना चाहिए. वहीं यह भी सलाह दी कि यदि सरकार के लिए संभव हो तो इस समझौते को कम से कम 5 साल के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के आर्थिक सलाहकार रज्जाक एक जाने-माने पाकस्तानी कारोबारी हैं. रज्जाक की कंपनी डेस्कॉन इंजीनियरिंग रियल एस्टेट, केमिकल और पावर सेक्टर में काम करती है. वहीं डेस्कॉन इंजीनियरिंग पाकिस्तान की पहली मल्टीनेशनल कंपनी है जो 6 देशों में अपने कारोबार का विस्तार कर चुकी है.
मामले से जुड़े लोगों का मानना है कि दोनों देशों के बीच यह विवाद 62 बिलियन डॉलर के इकोनॉमिक कॉरिडोर के उस हिस्से से संबंधित है जो मौजूदा समय में एशिया को यूरोप से जोड़ने के लिए तैयार किया जाना है. वहीं इस विवाद में ग्वादर पोर्ट के विस्तार और रोड और रेल नेटवर्क समेत पावर प्लांट परियोजना शामिल है.
अब देखना यह होगा कि सेना प्रमुख के इस दौरे से लौटने के बाद प्रधानमंत्री इमरान खान चीन के साथ आर्थिक कॉरिडोर पर क्या रुख सामने रखते हैं? क्या नए पाकिस्तान के नारे के चलते वह पाकिस्तानी कंपनियों के हित को बीच में रखेंगे या फिर पूर्व सरकारों के फैसले पर ही आगे बढ़ने की मजबूरी का सामना करेंगे.