गोरखपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर में कल चुनावी महासंग्राम का बिगुल बज गया है। गोरखपुर की संसदीय सीट पर तीन दशक से काबिज के प्रत्याशी को चुनौती देने के लिए विपक्षी किस धुरंधर उम्मीदवार पर दांव लगाएंगे, इसको लेकर किसी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। सभी दल एक-दूसरे पर नजर गड़ाए बैठे हैं।
योगी आदित्यनाथ के गढ़ की इस घेराबंदी के लिए सभी दलों के बीच महागठबंधन से लेकर कुछ प्रभावशाली संभावित उम्मीदवारों के दल-बदल को लेकर चल रही चर्चाओं ने भी पूरा जोर पकड़ लिया है। गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार पांच बार सांसद रहे गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद रिक्त सीट पर उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 11 मार्च को होने वाले चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया। कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी को लेकर असमंजस में हैं। विपक्षी पार्टियों ने प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करना तो दूर अभी अपने रुख को लेकर ही तस्वीर साफ नहीं की है।
भाजपा के उम्मीदवार के नाम पर असमंजस बरकरार
पिछले चार दशक से गोरक्षपीठ के पास रही इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी किसी स्थानीय चेहरे पर दांव लगाएगी या बाहरी प्रत्याशी को मैदान में उतरा जाएगा इसको लेकर स्थिति अभी साफ नहीं हो सकी है। गोरखपुर सीट से के प्रत्याशी के चयन को लेकर लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सभी अपने-अपने स्तर से कोशिशों में लगे हैं।
समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी क्या पार्टी का भी रुख अभी तक पता नहीं
समाजवादी पार्टी ने भी अभी तक उपचुनाव को लेकर अपना पत्ता नहीं खोला है। पिछले दिनों गोरखपुर आए प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने उपचुनाव में पार्टी के स्टैंड और प्रत्याशी के नाम पर हुए सवाल को टाल दिया था। उन्होंने कार्यकर्ताओं के बूते चुनाव लडऩे की बात तो कही थी, लेकिन प्रत्याशी पार्टी का होगा या समर्थित इस पर बोलने से मना कर दिया था।
बसपा के रुख को लेकर बैठक
लोकसभा उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी का रुख क्या होगा, इसको लेकर लखनऊ में आज होने वाली बैठक में फैसला हो सकता है। आज की बैठक में ही तय होगा कि गोरखपुर में पार्टी अपना प्रत्याशी उतारेगी या दूसरे दल के प्रत्याशी को समर्थन देगी। चर्चा है कि पार्टी इस चुनाव से खुद को अलग करते हुए लोकसभा के आम चुनाव में मैदान में उतरे।
कांग्रेस में न कोई हलचल न ही कोई तैयारी
कांग्रेस तो गोरखपुर में कई वर्ष से पराजित हो रही है। इसी कारण पार्टी में इस उपचुनाव को लेकर कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है। पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक इस चुनाव में कोई सक्रियता नहीं दिखा रहा है। संगठन स्तर पर न तो किसी की दावेदारी के लिए नाम मांगा गया है न ही कोई दावेदार आगे आया है। पार्टी अभी सन्नाटे में हैं।
अन्य दल
उलटफेर की इस घेराबंदी में भाजपा के खिलाफ बड़ी पार्टियों में भले ही अभी बात न बन पाई हो, लेकिन एक छोटी पार्टी इसे पूरी गंभीरता से ले रही है। जातिगत समीकरण के आधार पर इस पार्टी के नेता कई दलों के प्रमुखों से मुलाकात कर समर्थन मांग चुके हैं। कुछ जगहों से तो उन्हें हरी झंडी भी मिलने की चर्चा है।
योगी आदित्यनाथ ने पदाधिकारियों को दिये निर्देश
उधर चुनाव आयोग उप चुनाव की तारीख की घोषणा करने की में था तो इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसे लेकर पदाधिकारियों को सहेजने में जुटे हुए थे। अंतरराष्ट्रीय पक्षी महोत्सव में शिरकत करने के लिए दुधवा नेशनल पार्क के लिए रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने गोरखनाथ मंदिर में पदाधिकारियों की साथ करीब आधा घंटा गुजारा।
इस दौरान उन्होंने न केवल उप चुनाव को लेकर पार्टी तैयारियों की जानकारी हासिल की बल्कि इस कार्य में आ रही हर तरह की समस्या को दूर करने का आश्वासन भी दिया। पदाधिकारियों से जब मुख्यमंत्री ने चुनाव को लेकर जानकारी देने को कहा गया तो उन्होंने बताया कि संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधान सभाओं में बैठकें आयोजित की जा चुकी है। सेक्टरों में भी बैठकों का आयोजन हो चुका है। बूथ सत्यापन का कार्य तीव्र गति से जारी है। हर सेक्टर में प्रमुख कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए एक-एक संयोजक, प्रभारी और सत्यापन प्रभारी मनोनीत कर दिया गया है।