2024 के लोकसभा चुनावों से पहले, इस साल कई राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। इन्हीं में से एक छत्तीसगढ़ राज्य भी है, जहां विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस से हाथ से सत्ता छीनना भाजपा के लिए एक चुनौती जैसा नजर आ रहा है।
भाजपा के सामने आ सकती हैं कई चुनौतियां
छत्तीसगढ़ में भाजपा को न केवल इस साल के विधानसभा चुनावों में बल्कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भी कड़ी राजनीतिक लड़ाई का सामना करना पड़ सकता है। भाजपा ने लगभग डेढ़ दशक तक छत्तीसगढ़ पर शासन किया था और इसके बाद साल 2018 में कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनाव हार गई थी।
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत से जीत मिली थी और कांग्रेस राज्य की 11 सीटों में से सिर्फ दो सीटों पर जीत हासिल कर सकी थी।
कांग्रेस ने पूरे नहीं किए अपने वादे
विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने राज्य में सियासी जंग तेज कर दी है। कांग्रेस जहां अपनी कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को लुभाने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी खुलकर कांग्रेस पर 2018 में किए चुनावी वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगा रही है।
कांग्रेस को लेकर जनता के मन में आक्रोश
बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवरतन शर्मा का कहना है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 90 में से 68 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। ऐसा इसलिए था, क्योंकि कांग्रेस ने एक आशाजनक चुनावी घोषणापत्र जारी किया था और समाज के हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की थी।
हालांकि, कांग्रेस 2018 में किए गए सभी वादों को पूरा नहीं कर पाई और अब लोगों में नाराजगी है। शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की हार की बड़ी वजह लोगों में पनपता असंतोष होगा।
आगामी चुनावों को लेकर कांग्रेस में संतोष
2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनावों का जिक्र करते हुए शर्मा ने कहा कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव हार गई, लेकिन उसने 11 लोकसभा सीटों में से नौ सीटें जीतीं। इतना ही नहीं, राज्य विधानसभा की 90 में से 65 सीटों पर बीजेपी को बढ़त हासिल थी।
इस साल के विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह के परिणाम दोहराए जाएंगे। दूसरी ओर, कांग्रेस खुद को अगली विधानसभा और लोकसभा के लिए आरामदायक स्थिति में पा रही है।