सीबीआई ने कहा है कि हैदराबाद स्थित ट्रांसस्ट्रोय इंडिया प्राइवेट लिमिटेड 7,296 करोड़ रुपये के देश के सबसे बड़े बैंकिंग धोखाधड़ी में शामिल है. इस कंपनी ने नौकरानियों, सफाईकर्मियों और ड्राइवरों के नाम पर फर्जी फर्में बनाई हैं और धन निकालने के लिए उन्हें डायरेक्टर बनाया. ट्रांसस्ट्रोय का स्वामित्व पूर्व टीडीपी सांसद रायपति सांबशिव राव के पास है.
सीबीआई ने अपनी एफआईआर में आरोप लगाया कि पद्मावती एंटरप्राइजेज, यूनिक इंजीनियर्स, बालाजी एंटरप्राइजेज और रुथविक एसोसिएट्स जैसी कंपनियों ने 6,643 करोड़ रुपये की ठगी कर ली. ‘नौ फर्म मौजूद नहीं हैं. कर्मचारियों की मदद से फर्जीवाड़ा करने के लिए इन्हें बनाया गया. केपीएमजी फॉरेंसिक ऑडिट में पता चला कि आरोपियों ने केनरा बैंक और 13 अन्य बैंकों से 9,394 करोड़ रुपये उधार लिए.
बेंगलुरु में सीबीआई की बैंकिंग धोखाधड़ी औ सिक्योरिटीज सेल ने ट्रांसस्ट्रोय, संबाशिवा राव, कंपनी के सीएमडी चेरुकुरी श्रीधर और निदेशक अक्किनेनी सतीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज की. आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया. हालांकि राव ने किसी भी धोखाधड़ी से इनकार किया और कहा कि सीबीआई ने गलत तरीके से प्राथमिकी दर्ज की. उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल 700 करोड़ रुपये का लोन लिया था.
CBI ने कहा कि 7153 करोड़ रुपये पहले ट्रांसस्ट्रोय खाते से नौ वेंडर्स को ट्रांसफर किए, जिसमें पद्मावती एंटरप्राइजेज, बालाजी एंटरप्राइजेज, रुथविक एसोसिएट्स, यूनिक इंजीनियर्स, सुभकरी एंटरप्राइजेज, अगस्त्य ट्रेड लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड, खानसिंग ट्रेडिंग इंडिया, एएस एसोसिएट्स और विजय इंजीनियरिंग उपकरण थे. वहीं, 6,202 करोड़ को ट्रांसस्ट्रोय खाते में वापस लाया गया. इस राशि को बाद में संबंधित पक्षों, विशेष प्रयोजन वाहनों और अन्य को भेज दिया गया. प्रमोटरों के खातों में 350 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई. जब श्रीधर और डायरेक्टर आर लीला कुमार के खातों (2012 और 2014 के बीच) की जांच की गई तो पाया गया कि 450 करोड़ रुपये स्पेशल वेंडर्स के खातों से ट्रांसफर किए गए थे.