उत्तराखंड

देहरादून जाने वालों के लिए खुशखबरी, जल्‍द शुरू हो सकती है हल्‍द्वानी से फ्लाइट

कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्‍द्वनी से देहरादून सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। नैनी दून एक्‍सप्रेस की सौगात मिलने के बाद एयर टैक्‍सी की सुविधा भी मिल सकती है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही हल्द्वानी से देहरादून के लिए हेली सेवा शुरू हो जाएगी। बुधवार को पवनहंस की राइट कंसलटेंसी की टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम के निकट हेलीपैड को उपयुक्त माना। अन्य व्यवस्थाओं के लिए भी स्थिति का जायजा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उड़े देश का आम नागरिक के तहत रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम संचालित की है। इसी के तहत यह प्रक्रिया चल रही है। यहां पर हेली सेवा हैरिटेज एविशन की ओर से संचालित होनी है। उड़ान शुरू होने से पहले ऑपरेशन के लिए पवनहंस को जिम्मेदारी दी गई है। इसी कंपनी की राइट कंसलटेंसी की ओर से कर्नल महेश नारायण ने उपजिलाधिकारी एपी बाजपेयी और उत्तर प्रदेश निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर सीके सकलानी के साथ हेलीपैड का निरीक्षण किया। टीम ने हेलीपेड को हेलीकाप्टर की उड़ान के लिए बेहतर पाया। बाजपेयी ने बताया कि यहां पर इस तरह की फिजिबिलिटी है कि 10-12 सीटर के दो हेलीकाप्टर एक साथ उड़ान भर सकते हैं। यह सेवा देहरादून के लिए शुरू होगी। हेलीपेड में वेटिंग लॉज बनाने आदि सुविधाओं के बारे में जायजा लिया गया। अगर यह सेवा शुरू हो जाती है, तो लोग हल्द्वानी से 2500 रुपये से कम में देहरादून पहुंच जाएंगे। सीबीआइ ने मांगी बाघों की हर मौत की अलग रिपोर्ट यह भी पढ़ें नवंबर में होगा हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर इलेक्ट्रिक बसों का ट्रायल परिवहन निगम जल्द ही राज्य के छोटे रूटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने जा रहा है। मुख्यालय स्तर पर इसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रहीं हैं। पहले देहरादून-मसूरी रूट पर ट्रायल के बाद नवंबर में हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर ट्रायल होगा। इसमें सफलता मिलने पर कई छोटे रूटों पर रोडवेज की इलेक्ट्रिक बसें दौड़ने लगेंगी। यूओयू के 18 नए पाठ्यक्रमों को यूजीसी की मान्यता यह भी पढ़ें परिवहन निगम के अफसर लगातार हो रहे घाटे से उबरने के लिए कई योजनाएं बना रहे हैं। निगम के बेड़े में जल्द ही इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की तैयारी हो रही है। परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन ने बताया कि निजी कंपनी से अनुबंध कर बसों का संचालन किया जाएगा। विभिन्न कंपनियों की इलेक्ट्रिक बसों का देहरादून में ट्रायल कराया जा रहा है। इसके बाद हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर ट्रायल होगा। इसमें बसों की तकनीकी क्षमता जांची जाएगी। जिन कंपनियो की बसें मानकों पर खरी उतरेंगी, उन्हें निविदा निकालकर आमंत्रित किया जाएगा। धीरे-धीरे छोटे रूटों पर इलेक्ट्रिक बसों का संचालन शुरू करने की तैयारी है। इन बसों में चालक कंपनी का रहेगा, जबकि परिचालक निगम का तैनात किया जाएगा।

कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्‍द्वनी से देहरादून सफर करने वालों के लिए खुशखबरी है। नैनी दून एक्‍सप्रेस की सौगात मिलने के बाद एयर टैक्‍सी की सुविधा भी मिल सकती है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही हल्द्वानी से देहरादून …

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मौसम ने दिया साथ तो गंगोत्री हिमालय में ट्रैकिंग दलों की बढ़ी चहलकदमी

जिले के उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों और पर्वतारोहियों की चहल-कदमी बढ़ गई है। गोमुख ट्रैक खराब होने के बावजूद ट्रैकिंग दल लगातार गोमुख और इससे आगे तपोवन, नंदन वन, वासुकीताल तथा कालिंदी पास को जा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से ठंडी वादियों तक पहुंचने के लिए मौसम भी ट्रैकिंग दलों का साथ दे रहा है। गंगोत्री नेशनल पार्क के आंकड़ों के अनुसार हर दिन 120 से अधिक ट्रैकर एवं पर्वतारोही गोमुख ट्रैक पर जा रहे हैं। खासतौर पर रोमांच के शौकीन देशी-विदेशी पर्यटकों के लिए गंगोत्री हिमालय मनपसंद सैरगाह है। पर्यटकों का सबसे प्रमुख और पसंदीदा ट्रैक गंगोत्री से लेकर तपोवन तक है। तपोवन जाने के लिए गंगोत्री से 19 किलोमीटर गोमुख तथा गोमुख से पांच किलोमीटर ग्लेशियर के ऊपर से तपोवन पहुंचा जाता है। यहां हर दिन 30 से 40 पर्यटक जा रहे हैं। इससे यहां की बर्फीली वादियां इंसानी हलचल से आबाद हो गई हैं। इसके साथ ही गंगोत्री हिमालय में शिवलिंग के आरोहण के लिए चार सदस्यीय दल, सुदर्शन के आरोहण के लिए एक जापानी महिला, सतोपंथ के आरोहण के लिए तीन सदस्यीय दल गया हुआ है। रसीले स्वाद के बावजूद हर्षिल घाटी का सेब पहचान को मोहताज यह भी पढ़ें बीते मंगलवार को इजराइल व जर्मनी के आठ विदेशी पर्वतारोहियों का दल आरोहण करके गंगोत्री लौटा, जबकि बुधवार को गंगोत्री से एक पर्वतारोही दल जोगीन चोटी के आरोहण के लिए रवाना हुआ। स्थिति यह है कि उत्तरकाशी और गंगोत्री में पर्यटक दलों को पर्याप्त पोर्टर नहीं मिल पा रहे हैं। अधिकांश पोर्टर उत्तरकाशी से ले जाने पड़ रहे हैं। चारधामों में से एक ये धाम तरस रहा है सुविधाओं को, जानिए यह भी पढ़ें ट्रैकिंग एजेंसी संचालक जयेंद्र पंवार कहते हैं कि मौसम सही हो गया है। इसलिए ट्रैकरों तथा पर्वतारोहियों की संख्या बढ़ गई। 15 नवंबर तक कई दलों ने ट्रैकिंग के लिए संपर्क किया गया है। इसमें अधिकांश कालिंदी पास, उड़न कोल, लमखागा पास, तपोवन के लिए जा रहे हैं। ट्रैकरों व पर्वतारोहियों की बढ़ती चहल-कदमी ट्रैकिंग संचालकों के लिए अच्छी खबर है।

जिले के उच्च हिमालयी पर्यटक स्थलों पर पर्यटकों और पर्वतारोहियों की चहल-कदमी बढ़ गई है। गोमुख ट्रैक खराब होने के बावजूद ट्रैकिंग दल लगातार गोमुख और इससे आगे तपोवन, नंदन वन, वासुकीताल तथा कालिंदी पास को जा रहे हैं।  पिछले …

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केदारनाथ में भूमिगत गुफा में होगी आदि शंकराचार्य की समाधि

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा। वर्ष 2013 में आई आपदा में आदि शंकराचार्य की समाधि को भी नुकसान पहुंचा था। इसके बाद समाधि स्थल के मरम्मत की कवायद शुरू की गई। पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ पहुंचे तो उन्होंने आदि शंकराचार्य की समाधि को दिव्य एवं भव्य रूप देने का एलान किया। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि प्रधानमंत्री की भावनाओं के अनुरुप प्लान तैयार कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि तीन वर्ग मीटर क्षेत्रफल में गुफा का निर्माण किया जाएगा। यहां एक साथ एक हजार श्रद्धालु आदि शंकराचार्य की समाधि के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया था कि मंदिर के पीछे कोई निर्माण न किया जाए ताकि श्रद्धालु प्राकृतिक सौंदर्य को आसानी से निहार सकें। इसीलिए समाधि को भूमिगत करने का निर्णय लिया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व में भी मंदिर के पीछे ही शंकराचार्य समाधि थी, अब भी समाधि को उसी स्थान पर बनाया जा रहा है। डीएम ने बताया कि इसके अलावा दिव्य शिला के आसपास यात्रियों के बैठने की व्यवस्था भी की जाएगी।

केदारनाथ में दिव्य शिला के पीछे बनने वाली आदि शंकराचार्य की समाधि भूमिगत गुफा में होगी। इसके लिए 100 मीटर लंबी गुफा तैयार की जाएगी। जल्द ही योजना पर कार्य शुरू कर दिया जाएगा।  वर्ष 2013 में आई आपदा में …

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिपूर्णानंद पैन्यूली बोले, प्रार्थना सभा में भगवान जैसे लगते थे गांधी

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी को करीब से देखने का अवसर वर्ष 1942 में मिला। तब मैं करीब 19 साल का था और काशी विद्यापीठ से एमए की पढ़ाई कर रहा था। गांधी जी दिल्ली में बिड़ला हाउस में हर शाम प्रार्थना सभा आयोजित करते थे। मैं अपने साथियों के साथ उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचता था। वह समसामयिक मुद्दों पर भी चर्चा करते थे। उस दिन भी उन्होंने कई मुद्दों पर बात की और राष्ट्रीय एकता को लेकर भी सीख दी। उन्हें करीब देखकर मुझे उनमें भगवान का रूप नजर आ रहा था। तब मेरे मन में इस बात का ख्याल न था कि उनसे मुलाकात भी करनी चाहिए। क्योंकि उन्हें देखनेभर से ही मैं अभिभूत हो उठा था। तब गांधी जी से मिलना उतना आसान भी नहीं था और वह हर समय किसी न किसी गतिविधि में व्यस्त रहते थे। इसके बाद भी मैं कई दफा उनकी प्रार्थना सभा में पहुंचा। उनकी एक-एक बात मुझे आज भी याद है और खासकर उनके प्रयोग और राष्ट्रीयता भी भावना मुझे प्रभावित करती थी। गढ़वाल विवि के खिलाफ प्रदेशभर में आंदोलन करेगी एबीवीपी यह भी पढ़ें मुझे महात्मा गांधी की मृत्यु का समाचार अपने साथियों से मिला। लेकिन, जिस तरह उन्हें गोली मारी गई, उसका यकीन नहीं हुआ। कई लोगों से इस बारे में पूछने पर जब एक ही जवाब मिला तो दिल को गहरा आघात लगा। समझ नहीं आ रहे था कि अहिंसा के ऐसे पुजारी के साथ ऐसा क्यों किया गया। मैं कई दिनों तक सो नहीं पाया और सिर्फ गांधी को याद करता रहा। उनकी सच्चाई के पथ पर चलने की सीख के कारण ही मैं सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हो पाया था। आज उनसे जुड़ी बहुत सी बातें याद भी नहीं हैं, मगर उनके जैसा जीवट और स्पष्ट व्यक्ति धरती में दूसरा नहीं देखा।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व पूर्व सांसद परिपूर्णानंद पैन्यूली बताते हैं कि महात्मा गांधी से मिलने का मेरा सपना कभी पूरा तो नहीं हो पाया, मगर उन्हें करीब से देखने और सुनने में जरूर सफल रहा। मुझे पहली बार महात्मा गांधी …

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जानिए दुनिया के इस खतरनाक रास्ते पर पहली बार रोमांच का सफर

रोमांच के शौकीनों के लिए विश्व पर्यटन दिवस खास रहा। पहली बार 25 पर्यटकों ने एतिहासिक गर्तांगली की सैर कर रोमांच का अहसास किया। दुनिया के सबसे खतरनाक रास्तों में शुमार इसी मार्ग से एक दौर में भारत-तिब्बत के बीच …

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CM त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, कहा- एक देश एक चुनाव का संकल्प जरूरी

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक देश एक चुनाव का आह्वान करते हुए कहा कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि से लेकर ब्लॉक प्रमुख, विधायक एवं सांसद का चुनाव एक साथ होने चाहिए। इससे धन, ऊर्जा और समय की बचत …

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अजय भट्ट बोले, कैग रिपोर्ट से सही साबित हुए कांग्रेस पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट से भाजपा के पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप सही साबित हुए हैं। इस रिपोर्ट से साफ हुआ है कि कांग्रेस सरकार के …

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देश के 38 टाइगर रिजर्व में 50 साल बाद खत्‍म हो सकता है बाघों का अस्त‍ित्‍व

देश के 50 टाइगर रिजर्व में से 38 में बाघों का अस्तित्व 50 या अधिकतम 100 साल ही रहने के आसार हैं। यह आशंका इसलिए गहरा रही है कि इन टाइगर रिजर्व में बाघिनों की संख्या (ब्रीडिंग यूनिट) 20 से …

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पर्वतारोही जुड़वा बहनें दून में आयोजित करेंगी बेस कैंप फेस्टिवल इंडिया

 माउंट एवरेस्ट सहितब दुनिया के सात सर्वोच्च शिखरों को फतह करने वाली पर्वतारोही जुड़वा बहनों नुंग्शी व ताशी मलिक ने बताया कि उनकी द्वारा संचालित नुंग्‍शी ताशी फाउंडेशन की ओर से 25 अक्‍टूबर से देहरादून में बेस कैंप फेस्टिवल इंडिया …

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चोबट्टाखाल में कॉलेज की छत पर चढ़े छात्र तो झुका कॉलेज प्रशासन

कोटद्वार: परीक्षा के परिणाम घोषित करने के साथ ही अन्य सुविधाओं को लेकर एबीवीपी से जुड़े छात्रों ने राजकीय महाविद्यालय चोबट्टाखाल में धरना दिया। इस दौरान कुछ छात्र कॉलेज की छत पर चढ़ गए। इससे कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच …

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