अन्तर्राष्ट्रीय

एक बार फिर PoK में उठी पाकिस्तान से आजादी की मांग, हाथों में झंडे और पोस्टर लेकर लोगों ने की नारेबाजी

एक बार फिर PoK में उठी पाकिस्तान से आजादी की मांग, हाथों में झंडे और पोस्टर लेकर लोगों ने की नारेबाजी

पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर के मुजफ्फराबाद में लोगों ने स्थानीय सरकार की दमनकारी नीति के खिलाफ एक बार फिर आवाज उठाई है. मुजफ्फराबाद जिले में कुछ लोगों ने शुक्रवार (5 अक्टूबर) को पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शन कर रहे लोगों ने …

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उत्तर कोरिया ने कहा- अमेरिकी प्रतिबंध से बढ़ रहा अविश्वास

उत्तर कोरिया ने अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंधों का विरोध किया है और कहा कि इस तरह के कदमों से दोनों देशों के बीच भरोसा कम होगा। साथ ही इसका असर दोनों देशों के बीच हुई परमाणु वार्ता पर भी पड़ेगा। बता दें कि उत्तर कोरिया के तरफ से ये बयान अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो के दौरे से पहले आया है। माइक पोंपियो 7 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के दौरे पर जाएंगे। उत्तर कोरिया के अधिकारिक अखबार में कहा गया कि अमेरिका को इन प्रतिबंधों से कुछ भी हासिल नहीं होगा, बल्कि इससे उनका ही नुकसान होगा। पहले की तरह हम अमेरिका से इन प्रतिबंधों को हटाने के लिए नहीं कहेंगे। अखबार में आगे कहा गया कि परमाणु निरस्त्रीकरण वॉशिंगटन और प्योंगयांग के बीच भरोसे का नतीजा है। लेकिन अमेरिका ने द्वारा लगाए गए प्रतिबंध अविश्वास को जन्म दे रहे हैं। ADVERTISING inRead invented by Teads अखबार में लिखा है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के नेताओं के बीच हालिया अंतर-कोरियाई शिखर बैठक के दौरान किए गए अपने सभी वादों को पूरा किया गया है, जिसमें मिसाइल इंजन को नष्ट करना और लॉन्चिग पैड साइट व योंगबीन में अपने मुख्य परमाणु केंद्र को बंद करना शामिल था। आगे कहा गया है कि उठाए गए कदम इस बात का स्पष्ट सकेंत देते हैं कि उत्तर कोरिया ने अपनी वचनबद्धता को निभाया है। लेकिन इसके बदले में अमेरिका ने लगाए गए प्रतिबंधों को नहीं हटाया। अमेरिका विश्‍व को दिखाना चाहता है अपनी नौसेना की ताकत, ताकि चीन फिर न करे ऐसी हरकत यह भी पढ़ें किम से मुलाकात करेंगे अमेरिकी विदेश मंत्री पोंपियो बता दें कि परमाणु मसले पर वार्ता में आए गतिरोध के दूर होने के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो अगले हफ्ते उत्तर कोरिया के दौरे पर जा रहे हैं। वह प्योंगयांग में उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे। पोंपियो छह से आठ अक्टूबर तक चार एशियाई देशों उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, जापान और चीन के दौरे पर रहेंगे। ट्रंप का फैसला, भारतीय मूल की रीता बरनवाल को ऊर्जा मंत्रालय में इस पद पर किया नियुक्त यह भी पढ़ें वह छह-सात अक्टूबर को टोक्यो में रहेंगे और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो एबी से मुलाकात करेंगे। इसके बाद वह प्योंगयांग जाएंगे और किम से मिलेंगे। यहां से पोंपियो सियोल पहुंचेंगे और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन और विदेश मंत्री कांग क्यूंग-वा से भेंट करेंगे।

उत्तर कोरिया ने अमेरिका द्वारा लगाए प्रतिबंधों का विरोध किया है और कहा कि इस तरह के कदमों से दोनों देशों के बीच भरोसा कम होगा। साथ ही इसका असर दोनों देशों के बीच हुई परमाणु वार्ता पर भी पड़ेगा। …

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परमाणु ऊर्जा विभाग में नियुक्त होंगी भारतीय मूल की रीता बरनवाल

आधुनिक रिएक्टरों के विकास में तेजी लाने के लिए एक नये कानून पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही दिन बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऊर्जा मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद पर भारतीय मूल की अमेरिकी महिला को परमाणु विशेषज्ञ नियुक्त करने का फैसला किया है. ट्रंप ने भारतीय मूल की अमेरिकी महिला रीता बरनवाल को ऊर्जा मंत्रालय में सहायक ऊर्जा सचिव (परमाणु ऊर्जा) के तौर पर नियुक्त करने की घोषणा की है. बरनवाल फिलहाल गेटवे फॉर एक्सीलरेटेड इनोवेशन इन न्यूक्लियर (जीएआईएन) पहल में निदेशक के तौर पर काम कर रही हैं. अगर सीनेट से पुष्टि होती है तो सहायक ऊर्जा सचिव के तौर पर बरनवाल महत्वपूर्ण परमाणु ऊर्जा विभाग का नेतृत्व करेंगी. इससे पहले वह वेस्टिंग हाउस में प्रौद्योगिकी विकास एवं अनुप्रयोग की निदेशक के तौर पर काम कर चुकी हैं. वह बेशटेल बेटीस में पदार्थ प्रौद्योगिकी में प्रबंधक रह चुकी हैं. वहां उन्होंने अमेरिकी नौसैनिक रिएक्टरों के लिये परमाणु ऊर्जा में शोध एवं विकास की अगुवाई भी की थी. बरनवाल ने एमआईटी से पदार्थ विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में बीए और मिशिगन विश्वविद्यालय से पीएचडी की पढ़ाई की है. वह एमआईटी के पदार्थ अनुसंधान प्रयोगशाला और यूसी बर्कले के परमाणु अभियांत्रिकी विभाग के सलाहकार बोर्ड में भी हैं. ट्रंप ने पिछले सप्ताह परमाणु ऊर्जा नवोन्मेष क्षमताएं अधिनियम पर हस्ताक्षर किया था. इससे अमेरिका में आधुनिक रिएक्टरों के विकास में तेजी आएगी.

आधुनिक रिएक्टरों के विकास में तेजी लाने के लिए एक नये कानून पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही दिन बाद अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऊर्जा मंत्रालय में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद पर भारतीय मूल की अमेरिकी महिला को परमाणु विशेषज्ञ …

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जानिए क्यों भारत से बातचीत करने को बेताब है पाकिस्‍तान

: पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश अमेरिका से भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता शुरू कराने में भूमिका अदा करने का अनुरोध करता है, क्योंकि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद अभी बंद है. साथ ही उन्होंने आगाह किया कि बातचीत नहीं होने से तनाव और बढ़ सकता है. बहरहाल, कुरैशी ने बुधवार को वॉशिंगटन में बताया कि अमेरिका ने इस संबंध में पाकिस्तान के हालिया अनुरोध को खारिज कर दिया है. इससे एक दिन पहले उन्होंने विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन से मुलाकात की थी. कुरैशी ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मुहैया कराए जाने वाले धन से चलने वाले शीर्ष थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जब हमने अमेरिका से वार्ता में भूमिका निभाने के लिए कहा- तो हमने क्यों कहा? सिर्फ इसलिए कि हमारे बीच द्विपक्षीय वार्ता बंद है. हम सीमा के पश्चिमी ओर ध्यान लगाना, आगे बढ़ना चाहते हैं जो हम कर नहीं पा रहे हैं क्योंकि हमें पूर्वी ओर (भारत के साथ सीमा पर) मुड़कर देखना होता है. यह कोई अच्छी स्थिति नहीं है.’’ ये भी पढ़ें- नहीं सुधर रहा PAK, चार गुना बढ़ गईं जम्मू में इंटरनेशनल बॉर्डर पर गोलीबारी की घटनाएं उन्होंने कहा, ‘‘अब क्या आप (अमेरिका) मदद कर सकते हैं? उनका जवाब ना था. वे द्विपक्षीय संवाद चाहते हैं लेकिन कोई द्विपक्षीय गतिविधि नहीं है.’’ उन्होंने आगाह किया कि इससे दोनों दक्षिण एशियाई देशों के बीच तनाव बढ़ सकता है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने भारतीय नेताओं की टिप्पणियों का हवाला देते हुए कहा, ‘‘इस तरह बातचीत बंद होने से तनाव बढ़ता है और वहां से हाल में आए कुछ बयान बहुत मददगार नहीं हैं. तथाकथित सर्जिकल स्ट्राइक और इस तरह की बातों का कोई मतलब नहीं है. यह राजनीति है..वहां चुनाव होने वाले हैं.’’ उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान खान की नई सरकार बातचीत से कतरा नहीं रही है . न्यूयॉर्क में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ बैठक रद्द होने का जिक्र करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भारत पीछे हट गया. ये भी पढ़ें- पाकिस्तान ने अपने इस पुराने दोस्‍त को दिया झटका, इस बड़ी परियोजना पर लिया यू-टर्न इसके लिए डाक टिकट जारी कर आतंकवादियों के महिमामंडन और भारतीय सुरक्षाबलों की क्रूर हत्याओं को भारत द्वारा वजह बताए जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर भारतीयों के पास कोई बेहतर विकल्प है तो हमारे साथ साझा करें. अगर एक-दूसरे से बातचीत नहीं करने से मुद्दे हल होंगे और क्षेत्र में स्थिरता आएगी तो ठीक है. अगर यह उनका आकलन है तो फिर ठीक है.’’ ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठकों के बाद पाकिस्तान के लिए रवाना होने वाले कुरैशी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि दोनों देश एक-दूसरे से बातचीत नहीं कर रहे. बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चलने के भारत के रुख पर एक सवाल के जवाब में कुरैशी ने इमरान खान के एक बयान का हवाला दिया जब वह विपक्ष के नेता थे और नई दिल्ली की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे. तब उन्होंने कहा था कि हमेशा वार्ता को विफल करने वाले तत्व होंगे. कुरैशी ने खान के हवाले से कहा, ‘‘हमेशा वार्ता को विफल करने वाले तत्व होंगे. हमेशा ऐसे तत्व होंगे जो शांति प्रक्रिया को बाधित करेंगे लेकिन जब वे ऐसा करें तो चलिए एक साथ मिलकर उनका मुकाबला करें. वे हमें वापस भेजेंगे लेकिन हमें देखना होगा कि हमारे हित में क्या है, हमारे क्षेत्रीय हित में क्या है. पाकिस्तान के हित में क्या है.’’ इसके बाद जल्द ही उन्होंने कश्मीर का मुद्दा उठा दिया. उन्होंने कहा, ‘‘अगर वे महसूस करते हैं कि भारत के हिस्से वाले कश्मीर में जो भी गड़बड़ी हो रही है, वह सब पाकिस्तान करवा रहा है तो यह गैर यथार्थवादी नजरिया है.

 पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि उनका देश अमेरिका से भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता शुरू कराने में भूमिका अदा करने का अनुरोध करता है, क्योंकि दोनों दक्षिण एशियाई पड़ोसी देशों के बीच द्विपक्षीय संवाद अभी …

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आतंकी हाफि‍ज सईद और पाकि‍स्‍तानी मंत्री एक मंच पर बैठे, खुली पोल  

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी नूर-उल-हक कादरी द्वारा इस सप्ताह की गई गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए ‘अधिक संवेदनशील होना चाहिए था.’ पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री कादरी के इस्लामाबाद में एक सभा में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख सईद के साथ मंच साझा करने के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा, ‘मैं स्वदेश जाऊंगा और निश्चित तौर पर उनसे पूछूंगा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया. हालांकि मुझे बताया गया कि वह कश्मीर में स्थिति का उल्लेख करने को लेकर एक कार्यक्रम था.’ कुरैशी ने अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मुहैया कराए जाने वाले धन से चलने वाले शीर्ष थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस में कहा, ‘इसका लश्कर-ए-तैयबा से कुछ लेना देना नहीं था. वहां अन्य राजनीतिक तत्व थे. वह उनमें से एक था.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि उन्हें (कादरी) अधिक संवेदनशील होना चाहिए था, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि वह उसके (सईद) विचार से इत्तेफाक रखते हैं.’ भारत से बातचीत करने को बेताब है पाकिस्‍तान, फिर अमेरिका से लगाई गुहार कादरी इस्लामाबाद में रविवार को दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल द्वारा आयोजित सर्वदलीय सम्मेलन में सईद के समीप बैठे दिखाई दिए. सम्मेलन की पृष्ठभूमि में एक बैनर में ‘पाकिस्तान की रक्षा’’ लिखा था और उसमें ‘भारत के खतरों’ के साथ-साथ ‘कश्मीर’ का जिक्र था. दिफा-ए-पाकिस्तान काउंसिल 40 से अधिक पाकिस्तानी रजानीतिक दलों और धार्मिक दलों का गठबंधन है, जो रूढ़िवादी नीतियों की पैरवी करता है. इंटरनेशनल कोर्ट का बड़ा फैसला, अब दुनिया लाइव देख सकेगी कुलभूषण जाधव केस की सुनवाई कादरी की सईद के साथ उस कार्यक्रम में मौजूदगी भारत के इस रुख की पुष्टि करता है कि अगस्त में प्रधानमंत्री इमरान खान के पदभार ग्रहण करने के बाद भी आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया है. कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गंभीर है. उन्होंने कहा, ‘हम आतंकवाद के आगे घुटने नहीं टेक सकते. हमें उनका मुकाबला करना होगा और इलाकों से खदेड़ना होगा. हमने सफलतापूर्वक यह किया है. यह काम प्रगति पर है, हमें इसे जारी रखना होगा, लेकिन काफी हद तक चीजें बदली हैं.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी नूर-उल-हक कादरी द्वारा इस सप्ताह की गई गलती को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें 2008 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ मंच साझा करते हुए ‘अधिक …

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 पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक की पत्नी गिरफ्तार, लगे है ये गंभीर आरोप

मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक की पत्नी रोसमा मंसूर पर गुरुवार को अरबों डॉलर के घोटाले के सिलसिले में धन शोधन के आरोप लगाए गए. इस घोटाले की वजह से रज्जाक की पिछली सरकार गिर गई थी. अदालत परिसर में 66 वर्षीय रोसमा ने धनशोधन के 17 आरोपों में अपना गुनाह नहीं कबूला. उसी अदालत परिसर में उनके पति नजीब रज्जाक भी राज्य निधि की कथित लूट के मामले में अलग से एक अदालत में पेश हुए. रोसमा को बाद में 20 लाख रिंगित (483,365 अमेरिकी डॉलर) के मुचलके पर जमानत दे दी गयी और उन्हें अपना पासपोर्ट जमा करने का आदेश दिया गया. उन्हें किसी भी गवाह से संपर्क करने से भी रोक दिया गया. आरोप साबित होने पर रोसमा को अपना शेष जीवन जेल में बिताना पड़ सकता है. बुधवार को हुई थी गिरफ्तारी मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी रोसमा मंसूर को अरबों डॉलर के घोटाले के सिलसिले में भ्रष्टाचार रोधी एजेंसी ने बुधवार को गिरफ्तार किया था. बता दें कि इस घोटाले की वजह से पिछली सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा था.अंतरराष्ट्रीय धोखाधड़ी गिरोह द्वारा 1एमडीबी के राज्य कोष की कथित जांच में उनके पति और पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक घेरे में आए हैं और उन पर भ्रष्टाचार एवं धनशोधन समेत दो दर्जन से ज्यादा आरोप लगे हैं.वह जमानत पर हैं. मई में हुए चुनावों में मिली थी शिकस्त मई में हुए चुनाव में प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद की अगुवाई वाले सुधारवादी गठबंधन के हाथों रज्जाक को शिकस्त का सामना करना पड़ा था.मंसूर के वकील के. कुमारेंद्रन ने एएफपी को बताया, ‘‘ रोसमा मंसूर को गिरफ्तार कर लिया गया है.’’ उन्हें गिरफ्तार करने से पहले बुधवार को मलेशियाई भ्रष्टाचार रोधी आयोग (एमएसीसी) ने उनसे घंटों लंबी पूछताछ की थी. एमएसीसी ने एक बयान में कहा कि उसने राज्य अभियोजक से मंजूरी लेने के बाद धनशोधन से संबंधित मामले में 66 वर्षीय मंसूर को गिरफ्तार कर लिया है.इसने कहा कि इसके बाद मंसूर को कई आरोपों का सामना करना पड़ेगा.

मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रज्जाक की पत्नी रोसमा मंसूर पर गुरुवार को अरबों डॉलर के घोटाले के सिलसिले में धन शोधन के आरोप लगाए गए. इस घोटाले की वजह से रज्जाक की पिछली सरकार गिर गई थी. अदालत परिसर …

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ट्रंप ने भेजा ऐसा अलर्ट, घनघना उठा हर अमेरिकी का मोबाइल फोन

अमेरिका में उस समय लोग हैरान हो गए जब उनके मोबाइल पर "Presidential Alert" लिखा मैसेज आया. स्थानीय समय अनुसार दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर लोगों को यह मैसेज मिला. मैसेज मिलने पर लोग य‍ह सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर से "Presidential Alert" लिखा मैसेज है क्या? इस मैसेज को इंटिग्रेटेड अलर्ट एंड वॉर्निंग सिस्टम द्वारा भेजा गया था. यह मैसेज अमेरिका में हर उस फोन में पहुंचा, जिसके ऑपरेटर्स ने वायरलैस इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम में रजिस्टर करवाया हुआ था. कई लोगों ने सोचा कि इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भेजा गया है. हालांकि ऐसा नहीं था. यह मैसेज एक ड्र‍िल का हिस्सा था. इसे नैशनल वायरलैस इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम के टेस्ट करने के लिए भेजा गया गया था. मैसेज के साथ यह जानकारी भी भेजी गई कि "THIS IS A TEST of the National Wireless Emergency Alert System. No action is needed." आपको बता दें कि "Presidential Alert" लिखे होने का मतलब है कि कोई राष्ट्र‍ीय विपदा और इसे खासकर फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी की ओर से भेजा गया था. आपको बता दें कि अलर्ट सिस्टम की शुरुआत तत्कालिन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा 2006 में हरिकेन कटरीना के आने के बाद शुरू किया गया था. 2005 में हरिकेन कटरीना से भारी तबाही हुई थी. इसे 2012 में लॉन्च किया गया था. बुधवार को पूरे अमेरिका में इसे पहली बार टेस्ट किया गया. पहले इसे 20 सितंबर को टेस्ट किया जाना था हालांकि हरीकेन फ्लोरेंस की वजह से इसे अब टेस्ट किया गया. इस तरह के अलर्ट मैसेज भेजने का तरीका अलग होता है. कई बार तेज आवाज के साथ इसे भेजा जाता है, जिसमें तेज वाइब्रेशन भी होता है. फोन कोई भी मोड में हो यह तेज आवाज के साथ 2 बार अलर्ट मैसेज टोन बजता है. हालांकि ये उन्हीं मोबाइल ऑपरेटर्स के फोन पर आएगा जो पहले से इस सेवा के लिए रजिस्टर्ड हैं. वैसे लोग इस अलर्ट से खुद को बाहर रख सकते हैं हालांकि कुछ सरकारी अलर्ट से वह खुद को बाहर नहीं रख सकते और वह आएंगे ही.

अमेरिका में उस समय लोग हैरान हो गए जब उनके मोबाइल पर “Presidential Alert” लिखा मैसेज आया. स्थानीय समय अनुसार दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर लोगों को यह मैसेज मिला. मैसेज मिलने पर लोग य‍ह सोचने पर मजबूर हो गए कि …

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एक सेकंड में 250 फायर करेगी अमेरिकी रिबन गन, एकसाथ निकलेंगी चार गोलियां

नई दिल्‍ली (जागरण स्‍पेशल)। जिस देश में हथियार रखना बुनियादी अधिकार है, वहां बंदूकों को लेकर एक से बढ़कर एक प्रयोग होते रहते हैं। हॉलीवुड फि‍ल्‍मों में हमने देखा है कि किस तरह इलेक्‍ट्रोनिक बंदूकों के साथ अंतरिक्ष में फायरिंग होती …

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सुनामी और भूकंप से जूझते इस देश में अब ज्वालामुखी का कहर

इंडोनेशिया के आपदा प्रबंधन अधिकारियों का कहना है कि बुधवार को उत्तर सुलावेसी में माउंट सोपुतन ज्वालामुखी फट गया. मीडिया रिपोर्टों में आई इस घटना की तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि ज्वालामुखी का गुबार कितना ऊंचा उठ रहा है. धुएं का गुबार 4 हजार मीटर तक उठने की आशंका जताई गई है. माउंट सोपुतन के उत्तर पश्चिम इलाके में ज्वालामुखी से निकली राख दूर दराज के इलाकों तक फैलने की संभावना जताई जा रही है. राहत एजेंसी बीएनपीडी के मुताबिक, फिलहाल राख और धुएं से देश-विदेश की उड़ानों पर असर पड़ने की कोई संभावना नहीं है.

पिछले हफ्ते आए भीषण भूकंप और सुनामी से पस्त पड़े इंडोनिशिया में बुधवार को ज्वालामुखी विस्फोट हुआ. इस विस्फोट ने लोगों की परेशानियां और बढ़ा दी हैं.  पिछले हफ्ते यहां भयानक भूकंप आया था जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर है. मृत लोगों को …

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आपके बच्‍चे को सहेज कर रखता है ये रोबोट, जानिए कितनी है इसकी कीमत

रोबोट बनाने वाली कंपनी के अध्‍यक्ष जेम्‍स यिन की बात पर भरोसा करें तो तीन से पांच वर्ष में बच्‍चों के हाथों से पारंपरिक खिलौने की जगह रोबोट के खिलौने होंगे। जेम्‍स की यह बात आपको थोड़ी अटपटी लग सकती है, लेकिन जिस तरह से रोबोट के प्रति बच्‍चों का क्रेज बढ़ रहा है, उससे उनकी बात पर यकीन किया जा सकता है। दरअसल, इस दावे के पीछे जेम्‍स का तर्क है कि पारंपरिक खिलौने बच्‍चों को जल्‍द बोर कर देते हैं और उनका क्रेज उस खिलौने के प्रति घट जाता है। जेम्‍स का दावा है कि अब इन पारंपरिक खिलौने की जगह डिजिटल खिलौने ले लेंगे। अगर ऐसा हुआ तो आपके घर में रोबोट का प्रवेश आसानी से हो जाएगा। आपके बच्‍चे के हाथों में रोबोट या कोई डिजिटल खिलौना होगा। चीनी घरों में घुसा रोबोट दरअसल, तकनीक युग में हमारी लाइफ स्‍टाइल में भारी बदलाव देखने को मिल रहा है। इससे हमारी जरूरतों का दायरा बढ़ रहा है। दुनिया के कई‍ विकसित मुल्‍कों में रोबोट का घरों में प्रवेश हो गया है। इसने मानव की कई जिम्‍मेदारियां संभाल ली है। अब इनका रुख विकासशील देशों की ओर है। कई देशों में माता-पिता की व्‍यस्‍तताओं के कारण बच्‍चे रिमोट के सहारे रहते हैं। यानी परिजनों की अनुपस्‍थति में बच्‍चों की देखरेख का काम इन रोबोटों के जिम्‍मे ही है। रोबोट पर निर्भरता के कारण ही उन्‍हें भविष्‍य का अभिभावक तक कहा जा रहा है। रोबोट में बसता सेवन कॉन्ग का पूरा संसार दक्षिण चीन सागर में फिर दिखी तल्‍खी, चीन ने अमेरिकी जंगी जहाज का रास्ता रोका यह भी पढ़ें चीन में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले सेवन कॉन्ग का पूरा संसार ही रोबोट में बसता है। यह उसका सबसे जिगरी दोस्‍त है। इस रोबोट का नाम बीनक्यू है। ये बीनक्यू हरे रंग के पोषाक में रहता है। वह नियमित रूप से सेवन का हालचाल पूंछता है। वह सेवन को भाेजन के वक्‍त पर खाना खाने की भी याद दिलाता है। उसके खेल के वक्‍त पर उसकी पंसद का खेल भी पूछता है। इतना ही नहीं बीनक्यू सेवन के हर सवाल का बड़े प्‍यार से जवाब भी देता है। इस तरह से वह सेवन के जिंदगी का अहम हिस्‍सा बन चुका है। इस बीनक्यू की कीमत करीब 300 अमेरिकी डॉलर है यानी करीब 21,000 रुपये। चीन में इसे बहुत पंसद किया जाता है। कम लागत में सुलभ इस बीनक्यू चीन के घर-घर में सुलभ है। अब यह दूसरे मुल्‍कों में भी सेवा देने का तैयार है। कम कीमत के कारण बीनक्यू की पहुंच मध्‍यम वर्ग के परिवारों में भी हाे रही है। बच्‍चों के जीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा बना दुनिया की सबसे बड़ी बुद्ध प्रतिमा में दरार, अब होगी जांच और मरम्मत यह भी पढ़ें ड्रैगन के शहर यानी चीन में तो हद ही पार हो गई है। चीन में इंसानों की जगह मशीन का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। चीन में रोबोट बच्‍चों के जीवन का अभिन्‍न हिस्‍सा बन चुके हैं। यहां रोबोट घर की देखरेख के साथ बच्‍चों की जिम्‍मेदारी भी संभाल रहे हैं। रोबोट एक आदर्श अभिभावक की भूमिका में हैं। ये बच्‍चों के मनोरंजन के साथ उनका पालन-पोषण भी कर रहे हैं। चीन में नौकरी पेशा वाले दंपती के बीच तो इन रोबोटों का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। चीन में रोबोट की बढ़ती लोकप्रियता के कारण यहां कई कंपनियां रोबोट तैयार कर रही हैं। इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि अमेज़न की तरह चीन में लोकप्रिय ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट ‘टीमॉल' पर इस तरह के रोबोट से जुड़े उत्पादों के 65 से ज्यादा पेज सुलभ हैं।

रोबोट बनाने वाली कंपनी के अध्‍यक्ष जेम्‍स यिन की बात पर भरोसा करें तो तीन से पांच वर्ष में बच्‍चों के हाथों से पारंपरिक खिलौने की जगह रोबोट के खिलौने होंगे। जेम्‍स की यह बात आपको थोड़ी अटपटी लग सकती …

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