अन्तर्राष्ट्रीय

US ने मानी नॉर्थ कोरिया की शर्त, ट्रंप बोले- दक्षिण कोरिया के साथ बंद होगा सैन्य अभ्यास

अमेरिका और उत्तर कोरिया की दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है. सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक वार्ता के बाद यह चमत्कार हुआ है. इससे दुनिया ने भी राहत की सांस ली है. वहीं, परमाणु हमले की धमकी देने वाले दोनों देश अब शांति की राह में कदम बढ़ाने लगे हैं. जहां एक ओर उत्तर कोरिया ने परमाणु परीक्षण स्थलों को नष्ट करने का ऐलान किया है, तो दूसरी ओर अमेरिका ने कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य अभ्यास बंद करने की बात कही है. सिंगापुर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन के साथ ऐतिहासिक वार्ता के बाद कहा कि अमेरिका कोरियाई प्रायद्वीप में सैन्य अभ्यास करना बंद कर देगा, लेकिन उसके परमाणु परीक्षणों को लेकर उस पर प्रतिबंध फिलहाल लगा रहेगा. ट्रंप ने कहा, ‘हम सैन्य अभ्यास बंद कर देंगे, जिससे काफी धन की बचत होगी.’ उन्होंने कहा कि वह सैन्य अभ्यास बंद करने के लिए सहमत हुए हैं, क्योंकि वह इसे बहुत ही उकसाने वाला मानते हैं. उत्तर कोरिया की भी बात मान गया अमेरिका दक्षिण कोरिया के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास बंद करने की ट्रंप की घोषणा ने उत्तर कोरिया की एक बड़ी मांग पूरी कर दी है. दरअसल, उत्तर कोरिया इसे हमले का अभ्यास होने का दावा किया करता है. हालांकि, ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों को लेकर उस पर प्रतिबंध फिलहाल लगा रहेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि वो दक्षिण कोरिया में तैनात अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाना चाहते हैं, जैसा कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था. ट्रंप ने कहा, ‘मैं अपने सैनिकों को वहां से हटाना चाहता हूं. मैं अपने सैनिकों को स्वदेश बुलाना चाहता हूं. मुझे आशा है कि यह आखिरकार होगा.’ कोरियाई प्रायद्वीप में 30 हजार अमेरिका सैनिक हैं तैनात वहीं, ट्रंप की यह टिप्पणी दक्षिण कोरियाई कट्टरपंथियों के कान खड़े कर सकती है, जिन्होंने उनसे उनके देश की सुरक्षा को जोखिम में नहीं डालने का अनुरोध किया है. अमेरिका और दक्षिण कोरिया सुरक्षा के मामले में सहयोगी देश हैं. करीब 30,000 अमेरिकी सैनिक दक्षिण कोरिया में तैनात हैं. वे उत्तर कोरिया से उसे बचाने के लिए वहां रखे गए हैं, जिसने 1950 में आक्रमण किया था. दोनों देश हर साल संयुक्त सैन्य अभ्यास करते रहे हैं, जो उत्तर कोरिया के लिए हमेशा से चिंता का विषय रहा है. उत्तर कोरिया लंबे समय से युद्ध अभ्यास बंद करने का अनुरोध करता रहा है और खुद भी बार-बार मिसाइल परीक्षण करता रहा है, जिससे संबंधों में तनाव आया. समझौते के बाद अब सैन्य अभ्यास अनुचित डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, ‘मैं इसे बहुत ही उकसाने वाला मानता हूं. जिन परिस्थितियों में हम एक पूर्ण समझौते की बात कर रहे हैं, उसमें सैन्य अभ्यास करना अनुचित है. पहली चीज तो यह है कि हमें धन की बचत होगी और दूसरी चीज यह कि इसकी काफी सराहना होगी.’ यह कदम चीन द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव पर अधारित प्रतीत होता है. इसके तहत अमेरिका के सैन्य अभ्यास रोकने के एवज में उत्तर कोरिया परमाणु और मिसाइल परीक्षण नहीं करेगा.

अमेरिका और उत्तर कोरिया की दुश्मनी अब दोस्ती में बदल गई है. सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक वार्ता के बाद यह चमत्कार हुआ है. इससे दुनिया ने …

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ट्रंप-किम की दोस्ती से भारत के सधेंगे ये दो बड़े हित

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दोस्ती की नई शुरुआत भारत के आर्थिक और रणनीतिक हित में है. यही वजह है कि सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक समिट का भारत ने गर्मजोशी के साथ स्वागत किया है. भारत पहले से ही ट्रंप और किम की मुलाकात पर बारीकी से नजर बनाए हुए था. पिछले कुछ वर्षों में उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच करीबी बढ़ी है, जो अब खत्म हो सकती है. इसकी वजह यह है कि अभी तक संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका के प्रतिबंध के चलते कोई देश उत्तर कोरिया से संबंध नहीं रख रहा था. इस बीच पाकिस्तान गुपचुप तरीके से उत्तर कोरिया से नजदीकी बढ़ाता रहा. भारत लगातार उत्तर कोरिया और पाकिस्तान के बीच गठजोड़ का मामला उठाता रहा है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने गुपचुप तरीके से उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक हस्तांतरित की है. दरअसल, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंध के चलते उत्तर कोरिया काफी समय से अलग-थलग पड़ा था, जिसका फायदा पाकिस्तान उठा रहा था. वह उत्तर कोरिया को भारत के खिलाफ खड़ा करना चाहता था. उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम सिर्फ अमेरिका ही नहीं, बल्कि भारत समेत दुनिया भर के लिए चिंता का सबब बन गए थे. लिहाजा भारत चाहता था कि उत्तर कोरिया अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म कर दे और इस समिट में वही हुआ. जब ट्रंप और किम की मुलाकात की तारीख तय हो गई, तो भारत फौरन हरकत में आया और केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह ने उत्तर कोरिया का दौरा किया. इस दौरान उत्तर कोरिया ने आश्वस्त किया कि वो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि की इजाजत नहीं देगा. इससे भारत की चिंता काफी हद कम हुई है. हालांकि अभी उत्तर कोरिया पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लागू रहेंगे, लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ लगे वैश्विक और अमेरिकी प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे. इससे भारत के लिए उत्तर कोरिया के रूप में एक उभरता हुआ बाजार मिल जाएगा, जिससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को धार देने में मदद मिलेगी. वहीं, दूसरी ओर उत्तर कोरिया के बाजार में चीन की चुनौती बढ़ेगी. अभी तक उत्तर कोरिया अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से अलग-थलग पड़ा था, जिसके चलते वहां के बाजार में चीन का एकछत्र राज था. इस तरह अमेरिका और उत्तर कोरिया की दोस्ती जहां एक ओर भारत के लिए अवसर बनेगी, तो दूसरी ओर चीन के लिए चिंता पैदा होगी.

अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच दोस्ती की नई शुरुआत भारत के आर्थिक और रणनीतिक हित में है. यही वजह है कि सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की ऐतिहासिक …

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कोरिया जहां शादी होने के बाद लड़कियों को लेना पड़ता है रिटायरमेंट

आजकल के समय में सरकारी और प्राइवेट सभी नौकरियों मे महिलाओं का वर्चस्व बढ़ा हैं और महिलाऐं नौकरियों की ओर गमन करने लगी हैं। और इसके लिए सरकार द्वारा महिलाओं को विशेष अधिकार और कई नियम-कानून भी बनाए गए हैं। …

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खौफनाकः ज्वालामुखी से निकलता है मौत का लावा

खौलते-दहकते शोलों ने क़रीब महीने भर से अमेरिका के हवाई और ग्वाटेमाला को दहला रखा है. रह-रह कर फूटते ज्वालामुखी और इनसे निकलते लावे की नदियां अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को खाक करती आगे बढ़ रही हैं. मरने वालों की तादद लगातार बढ़ रही है. हालांकि इन शोलों ने अपने अंदर से कई सवाल भी बाहर उगले हैं. सवाल ये है कि आखिर ज़मीन के अंदर धधकती आग कहां से आती है? ज़मीन के नीचे मौजूद पत्थर किन हालात में आग का दरिया बन जाती हैं? ज्वालामुखी का ज्वाला आखिर कितना गर्म होता है. बहते लावे का तापमान कितना होता होगा? आग का दरिया और खौफनाक मंजर रह-रह कर उबलते और ज़मीन पर बहते शोले की तस्वीरें जितनी ख़ौफ़नाक हैं. उतनी ही दिलकश भी. पिघलते शोले की दिलकश तस्वीरें हर बार हैरान करती हैं. वजह ये कि पत्थर जैसी सख़्त और बेजान चीज़ अपने अंदर पैदा हुई गर्मी से यूं आग के दरिया में तब्दील हो सकती है, ये देख कर और जान कर भी इस पर आसानी से यकीन नहीं होता. क्योंकि आज तक आप और हम अपने आस-पास सचमुच जिन पत्थरों को देखते आए हैं, वो बेहद कठोर, भारी और सख्त होते हैं. कुछ इतने सख्त कि जब किसी सख्त चीज़ की मिसाल भी दी जाती है, तो ज़िक्र पत्थरों का ही होता है. कितनी होती है लावे की तपिश लेकिन 2,120 तापमान पर पिघलते लावे की कहानी ही कुछ और है. ये सख्त तो नहीं, लेकिन गर्म इतनी है कि अपने रास्ते में आनेवाले हर चीज़ का नामो-निशान मिटा दे. गर्म लावे के इसी मिज़ाज को समझने के लिए हाल ही में वैज्ञानिकों ने कुछ ऐसे प्रयोग किए जिनके नतीजों ने खुद इन वैज्ञानिकों के साथ-साथ पूरी दुनिया को भरमा दिया. इन प्रयोगों की पूरी सच्चाई जानने से पहले समझ लेते हैं कि पिघलते लावे की असली तपिश आख़िर होती कितनी है और ये हमारे आस-पास मौजूद चीज़ों के मुकाबले आखिर कितना ज़्यादा गर्म है. बर्फ़ का पिघलना 32 डिग्री तापमान यानी फॉरेनहाइट पर बर्फ पिघलना शुरु होती है. सबसे पहले बर्फ़ के पिघलते टुकड़े को देखिए. रेफ्रिजरेटर से निकालने के चंद मिनटों के अंदर ही बर्फ़ तेज़ी से पिघलने लगती है और धीरे-धीरे पानी में तब्दील हो जाती है. जानते हैं उस वक्त यहां का तापमान कितना होता है? महज़ 32 डिग्री. 32 डिग्री की इस गर्मी में इंसान आराम से रह सकता है. चॉकेलट का पिघलना अब बारी चॉकलेट की है. आम तौर पर चॉकलेट 50 डिग्री तापमान तक अपनी शेप यानी आकार में रहती है. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाती है, चॉकलेट भी पिघलने लगती है. लेकिन पूरी तरह पिघलने के लिए चॉकलेट को भी 90 डिग्री तापमान की गर्मी की दरकार होती है. बहता लावा, तबाही का मंजर ज्वालामुखी से निकलते, पिघलते और बहते लावे को आख़िर इस रूप में आने के लिए कितनी गर्मी की ज़रूरत होती होगी? ये जानना ही अपने-आप में किसी अजूबे से कम नहीं है. क्योंकि ये तापमान है 2,120 डिग्री फॉरेनहाइट या फिर कई बार उससे भी ज़्यादा. पिघलते लावे की तस्वीरें इसका अहसास तो कराती ही हैं, लेकिन लावे के साथ-साथ पिघलते लोहे की इन तस्वीरों को देख कर भी आप इस गर्मी को समझ सकते हैं. क्योंकि आम तौर पर लोहे को पिघलने के लिए भी 2,000 डिग्री फॉरेनहाइट से ज़्यादा की गर्मी की ज़रूरी होती है. अमेरिकी वैज्ञानिकों के प्रयोग वैसे यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे की माने तो कई बार लावा 570 डिग्री फॉरेनहाइट पर भी ज़मीन के नीचे से बाहर निकलने लगता है. लेकिन हैरानी भरे तरीक़े से अपने धीरे-धीरे बहने और पूरी रफ्तार से चलने के दौरान इसकी गर्मी में कई गुना ज़्यादा इज़ाफ़ा हो जाता है. उदाहरण के लिए धीरे-धीरे बहते इस लावे का तापमान 895 डिग्री फॉरेनहाइट, जबकि सौ मील की रफ्तार से बहते लावे की इस नदी का तापमान 2,120 डिग्री फॉरेनहाइट तक हो सकता है. जिसके आस-पास फटकना भी खुद को राख में तब्दील कर लेने वाली बात है. लेकिन फिर भी कुछ अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी जान पर खेल कर हाल में इस लावे को लेकर जो प्रयोग किए हैं, उसकी तस्वीरें भी दिमाग़ घुमा देने वाली हैं. लावे में आई-फ़ोन वैज्ञानिकों ने धीरे-धीरे बहते इस लावे की गर्मी का अंदाजा लगाने के लिए एक आई फ़ोन को ही इसके हवाले कर दिया. नतीजा क्या हुआ, ये आपके सामने है. देखते ही देखते आईफ़ोन में आग लग गई, वैज्ञानिकों ने कुछ देर के लिए उसे निकाला भी, लेकिन अगली बार जब ये लावे की चपेट में आया तो इसे राख बनते देर नहीं लगी. लावे में कैन्ड फूड आई फ़ोन के बाद बारी कैन्ड फूड के एक डिब्बे की थी. डिब्बा लावे में क्या गया, कुछ ऐसे गायब हुआ कि उसका कोई नामो-निशान ही नहीं बचा. अब ज़रा सोचिए उन मकानों, दुकानों, गाड़ियों या फिर इंसानों और जानवरों की, जो ऐसे लावे की चपेट में आते होंगे. पिघलता और बहता लावा उनका क्या हाल करता होगा. यही करामात है शोलों से निकले इस लावे की. जो इंसान को खौफ से भर देती है.

खौलते-दहकते शोलों ने क़रीब महीने भर से अमेरिका के हवाई और ग्वाटेमाला को दहला रखा है. रह-रह कर फूटते ज्वालामुखी और इनसे निकलते लावे की नदियां अपने रास्ते में आनेवाली हर चीज़ को खाक करती आगे बढ़ रही हैं. मरने …

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नॉर्थ कोरिया के साथ कोई भी समझौता संसद की निगरानी में हो: डेमोक्रेट्स

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक मुलाकात हुई. दोनों ने कहा कि दोनों देश आगे साथ मिलकर शांति की बात करेंगे. इसी बीच अमेरिका में विपक्षी दल डेमोक्रेटिक पार्टी के शीर्ष छह सांसदों ने मांग की है कि उत्तर कोरिया के साथ कोई भी संभावित समझौता कांग्रेस के अनुमोदन और उसकी निगरानी में ही हो. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेटिक नेतृत्व ने एक बयान में कहा, ‘‘आने वाले समय में भले ही जो हो लेकिन प्रशासन को उत्तर कोरिया पर कांग्रेस से सलाह मश्विरा करना चाहिए. कोई भी संभावित समझौता कांग्रेस की निगरानी में ही हो. ’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ईरान परमाणु समझौते पर मजबूत निगरानी की मांग की थी और वे उत्तर कोरिया के संबंध में भी ऐसी ही मांग करते हैं. तब डेमोक्रेटिक ओबामा प्रशासन ने कांग्रेस को नजरअंदाज कर दिया था. डेमोक्रेटिक सांसदों के अनुसार, अमेरिका-उत्तर कोरिया शिखर वार्ता अधिक सुरक्षित, स्थिर कोरियाई प्रायद्वीप बनाने और एशिया में अमेरिकी नेतृत्व की क्षमताओं को साबित करने का ऐतिहासिक अवसर है. गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन ने सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप में एक दूसरे से हाथ मिलाया और हंसकर बातचीत भी की. पहले दौर की बातचीत के बाद फिलहाल दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक चल रही है. सेंटोसा द्वीप के कैपेला रिजॉर्ट में दोनों नेताओं के बीच 41 मिनट तक वन-ऑन-वन मुलाकात हुई. ये मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक है. अमेरिका का कोई सिटिंग राष्ट्रपति पहली बार किसी उत्तर कोरियाई नेता से मिला है. वहीं, सत्ता संभालने के 7 साल बाद किम जोंग उन पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर आए हैं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन के बीच मंगलवार को ऐतिहासिक मुलाकात हुई. दोनों ने कहा कि दोनों देश आगे साथ मिलकर शांति की बात करेंगे. इसी बीच अमेरिका में विपक्षी दल डेमोक्रेटिक …

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इमरान खान की Ex-wife ने वसीम अकरम की ‘सेक्स लाइफ’ को लेकर किया सनसनीखेज खुलाासा

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और नेता इमरान खान की एक्स-वाइफ रेहम खान ने एक ऐसा खुलासा किया है जिससे कि हर तरफ सनसनी फैल गई है. रेहम खान ने क्रिकेटर वसीम अकरम की सेक्स लाइफ को लेकर ये खुलासा अपनी किताब में किया है. अंग्रेज़ी मीडिया 'टीओआई' के हवाले से ख़बर है कि रेहम कि ये किताब के कुछ हिस्से ऑनलाइन लीक हो गए हैं.  इसी रिपोर्ट में बताया गया है कि रेहम ने किताब में कहा है कि अपने सेक्स से जुड़ी कल्पनाओं को पूरा करने के लिए वसीम अकरम ने अपनी पूर्व दिवंगत पत्नी का इस्तेमाल किया. रेहम ने लिखा है कि अकरम ने अपने सामने ही एक अफ्रीकी व्यक्ति से अपनी पत्नी को सेक्स करने पर मजबूर किया. उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि उनकी सेक्स से जुड़ी कल्पनाओं को तृप्ति मिल सके. लीक हुए हिस्से में ये बात किताब की पेज संख्या 402 से 572 के बीच छपी है. इन आरोपों के बाद बाद वसीम अकरम ने रेहम खान को कानूनी नोटिस भेजा है. रेहम ने इमरान खान पर भी कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने ब्रिटेन के एक बिजनेसमैन का जिक्र करते हुए लिखा है कि वो इमरान के बुरे कामों पर पर्दा डालने का काम करता है. किताब के पेज नंबर 464 पर उन्होंने लिखा है कि इमरान ने एक महिला को प्रेग्नेंट कर दिया था जिसके बाद बुखारी नाम के इस बिजनेसमैन ने उसके अबॉर्शन का बंदोबस्त करवाया. आपको बता दें कि रेहम और इमरान की शादी साल 2015 की जनवरी में हुई थी और इसी साल के अक्टूबर महीने में दोनों का तलाक हो गया. ये इमरान की दूसरी शादी थी. पिछले साल इमरान ने इस्लामिक धर्मगुरू बुशरा खान से शादी की है. ऐसी ख़बरें हैं कि ये शादी भी टूटने की कगार पर है. जेमिमा के साथ 1995 में इमरान की पहली शादी हुई थी और ये शादी नौ सालों तक चली थी.

पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और नेता इमरान खान की एक्स-वाइफ रेहम खान ने एक ऐसा खुलासा किया है जिससे कि हर तरफ सनसनी फैल गई है. रेहम खान ने क्रिकेटर वसीम अकरम की सेक्स लाइफ को लेकर ये …

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ट्रंप और किम ने सिंगापुर समझौते पर किए साइन, उत्तर कोरियाई नेता ने कहा- दुनिया अब बदलाव देखेगी

ऐतिहासिक तल्खियों को मिटाकर आज अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई और ये मुलाकात सिंगापुर के होटल कैपेला में 50 मिनट तक चली. इस मुलाकात के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बहुत अच्छी बातचीत हुई. कभी दोनों नेताओं के तल्ख बयान एक-दूसरे के बीच जंग की शंका पैदा करते थे, लेकिन आज जब पहली बार मिले तो पहले हाथ मिलाया उसके बाद दोनों बातचीत के लिए होटल के एक कमरे में पहुंचे. ट्रंप ने किम जोंग उन के बीच करीब 50 मिनट तक बातचीत हुई. बातचीत शुरू करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे विश्वास है कि हम दोनों देशों के संबंध अच्छे होंगे. वहीं किम जोंग उन ने कहा कि आपसे मिलना इतना आसान नहीं था. मुझे खुशी है कि हम सारी दिक्कतों को हटा कर मिल रहे हैं. वन टू वन मुलाकात के बाद अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक हुई. इससे पहले डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन अलग-अलग होटलों से सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे. ट्रंप और किम जोंग उन के बीच परमाणु परीक्षण को लेकर लंबे समय से तल्खी रही है. ऐसे में सिंगापुर की धरती पर हुई मुलाकात पर सबकी नजर टिकी थी. एबीपी न्यूज़ भी सिंगापुर में मौजूद है. डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन मुलाकात की खास बातें 11:23 AM: भविष्य में किम जोंग उन से मुलाकात पर डोनल्ड ट्रंप ने कहा- हम फिर मिलेंगे और आगे कई बार मिलेंगे. 11:20 AM: डोनल्ड ट्रंप ने किम जोंग उन को अमेरिका बुलाए जाने के सवाल पर कहा, हम जरूर बुलाएंगे 11:17 AM: समझौते पर हस्ताक्षर के बाद डोनल्ड ट्रंप ने कहा- यह काफी व्यापक और महत्वपूर्ण दस्तावेज है 11:12 AM: किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप ने समझौते पर किये हस्ताक्षर. 11:10 AM: ट्रंप से मुलाकात को किम जोंग उन ने बताया ऐतिहासिक, कहा- दुनिया अब बदलाव देखेगी. 10:45 AM: ट्रंप ने कहा कि वह और किम किसी समझौते पर करेंगे. 7:45 AM: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ हो रही ऐतिहासिक शिखर वार्ता के आलोचकों को ‘बैरी और पराजित’ करार दिया और कहा कि ‘हम ठीक हो जाएंगे.’ 7:40 AM: परमाणु निरस्त्रीकरण पर डोनल्ड ट्रंप ने कहा कि हम साथ काम करेंगे.7:30 AM: डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता जारी. बैठक में दोनों देशों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद. 7:25 AM: किम जोंग उन से मुलाकात के बाद बोले डोनल्ड ट्रंप, बहुत अच्छी रही बातचीत. 7:15 AM: आमने-सामने सीधी मुलाकात के बाद कैपेला होटल की बालकनी में ट्रम्प और किमजोंग उन साथ चहलकदमी करते भी नज़र आये 6:55 AM: किम जोंग उन और ट्रंप के बीच बातचीत जारी. 6:50 AM: किम जोंग उन ने ट्रंप के मुलाकात के दौरान कहा- आपसे मिलना इतना आसान नहीं था. मुझे खुशी है कि हम सारी बाधाओं को पार कर मिल रहे हैं 6:45 AM: ट्रंप और किम जोंग उन के बीच बैठक जारी, ट्रंप ने कहा- उम्मीद है बातचीत सकारात्मक होगी, दोनों देशों के संबंध बेहत होंगे. 6:35: AM: औपचारिक मीटिंग के लिए मीटिंग स्थल पहुंचे दोनों नेता. 6:30 AM: कैपेला होटल में किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप ने की मुलाकात, दोनों ने गर्मजोशी से मिलाया ह 6:05 AM: सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन, थोड़ी देर में करेंगे मुलाकात. 5:55 AM: किम जोंग उन सेंतोसा द्वीप स्थित कैपेला होटल के लिए रवाना, ट्रंप से होगी मुलाकात. यह पहली बार है कि अमेरिका के राष्ट्रपति उत्तर कोरिया के नेता से मुलाकात कर रहे हैं. अमेरिका ने सिंगापुर सम्मेलन से पहले कहा कि उत्तर कोरिया के साथ चर्चा 'उम्मीद से ज्यादा तेजी' से बढ़ रही है. वहीं उत्तर कोरिया ने कहा कि संबंधों का नया दौर शुरू हो चुका है. ट्रंप मंगलवार शाम को सिंगापुर से रवाना हो जाएंगे. दोनों नेता रविवार को मुलाकात के लिए सिंगापुर पहुंचे थे. डोनल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात पर आने वाले खर्च का वहन सिंगापुर की सरकार कर रही है. सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लुंग ने कहा कि इस बैठक पर करीब 20 मिलियन सिंगापुर डॉलर (100 करोड़ रुपये से ज्यादा) का खर्च आएगा.

ऐतिहासिक तल्खियों को मिटाकर आज अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई और ये मुलाकात सिंगापुर के होटल कैपेला में 50 मिनट तक चली. इस मुलाकात के बाद …

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किम के लिए ट्रंप ने पहनी लाल टाई, 12 सेकेंड तक मिलाया हाथ, 50 मिनट चली बातचीत, 10 खास बातें

सिंगापुर की मेजबानी में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन की आज ऐतिहासिक मुलाकात हुई. पुरानी तल्खी भूल दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया. इस दौरान दुनिया भर की मीडिया के सामने ट्रंप और किम के चेहरे पर मौजूद मुस्कान देखने लाइक थी. दोनों फिर एक कमरे में पहुंचे और करीब 50 मिनट तक बातचीत की. जहां उनके अलावा सिर्फ अनुवादक मौजूद था. मुलाकात के बाद दोनों बाहर निकले और कैपेला होटल की बालकनी में चहलकदमी की. इसके ठीक बाद दोनों नेताओं ने प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की. इस मौके पर दोनों देशों के कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे. जानिए ऐतिहासिक मुलाकात की 10 बड़ी बातें- 1. 12 सेकेंड तक मिलाया हाथ: रविवार से सिंगापुर में मौजूद ट्रंप और किम आज सुबह अलग-अलग काफिले के साथ सेंतोसा आइसलैंड स्थित कैपेला होटल पहुंचे. दोनों नेताओं ने करीब 12 सेकंड तक हाथ मिलाए. फोटोग्राफर्स के सामने ट्रंप ने अपना हाथ किम जोंग के कंधे पर रख दिया. इस दौरान उन्होंने एक - दूसरे से कुछ शब्द कहे और उसके बाद होटल के पुस्तकालय के गलियारे में चले गए. महीनों की लंबी कूटनीतिक खींचतान और बातचीत के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात हुई. 2. बाधा पार कर हम यहां हैं: मुलाकात की शुरुआत में ट्रंप ने कहा, "मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. यह बेहतरीन चर्चा होगी और मुझे लगता है कि यह सफल रहेगी. यह बहुत सफल होगी और हमारे बीच संबंध बेहतरीन होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है.'' जिसके बाद किम जोंग ने कोरियाई भाषा में कहा कि पुरानी धारणाएं हमारे मार्ग में बाधा बनी लेकिन हमने इन बाधाओं को पार कर लिया है और आज हम यहां मौजूद हैं. 3. अच्छी मुलाकात: यह पूछे जाने पर कि बातचीत कैसी रही , ट्रंप ने कहा , ‘‘बहुत , बहुत अच्छी. शानदार रिश्ते. किम से कम से कम तीन बार पूछा गया कि क्या वह परमाणु हथियार छोड़ देंगे , इसकी प्रतिक्रिया में वह सिर्फ मुस्कुराए. ट्रंप और किम दोनों ने संक्षिप्त टिप्पणी की. ट्रंप ने कहा कि वह मानते हैं कि वह और किम ‘‘बड़ी समस्या, बड़ी दुविधा को दूर कर लेंगे’’ और साथ काम करके हम इसका ध्यान रखेंगे. 4. शांति के लिए मुलाकात: किम जोंग उन ने मुलाकात के बाद कहा, ‘‘आगे चुनौतियां आएंगी लेकिन हम ट्रंप के साथ काम करेंगे. हम इस शिखर वार्ता को लेकर सभी तरह की अटकलों और संदेहों से पार पा लेंगे और मेरा मानना है कि शांति के लिये यह अच्छा है.’’ 5. इसलिए ट्रंप ने पहनी लाल टाइ: उत्तर कोरियाई मीडिया के मुताबिक किम वास्तव में वार्ता स्थल पर ट्रंप से सात मिनट पहले पहुंच गए थे. ऐसा उन्होंने सम्मान व्यक्त करने के लिये किया क्योंकि यह संस्कृति है , जिसमें युवा बुजुर्गों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिये उनसे पहले पहुंचते हैं. ट्रंप ने जो लाल टाई पहनी हुई थी वह भी किम के प्रति कुछ सम्मान व्यक्त करने वाली हो सकती है क्योंकि उत्तर कोरियाई इस रंग को पसंद करते हैं. 6. वन-टू-वन मुलाकात के बाद उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच प्रतिनिधिमंडल स्तर की बातचीत हुई. अमेरिका की ओर से ट्रंप के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन, व्हाइट हाउस के चीफ ऑफ स्टाफ जॉन केली और फिलीपींस में अमेरिका के राजदूत सुंग किम शामिल थे. 7. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ हो रही ऐतिहासिक शिखर वार्ता के आलोचकों को ‘‘बैरी और पराजित’’ करार दिया और कहा कि ‘‘हम ठीक हो जाएंगे.’’उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन के साथ बातचीत से कुछ घंटों पहले ट्रंप ने ट्विटर के जरिये इसके आलोचकों पर जमकर निशाना साधा. 8. किम जोंग उन और डोनल्ड ट्रंप रविवार को सिंगापुर पहुंच गए थे और दोनों ने ही सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सियन लूंग से अलग-अलग मुलाकातें कीं. दोनों के बीच हुई मुलाकात पर होने वाले खर्च का वहन सिंगापुर की सरकार कर रही है. सिंगापुर के विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन ने सोमवार को कहा था कि हम होटल का बिल चुकाएंगे. 9. अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच लंबे समय से तनातनी रही है. उत्तर कोरिया परमाणु बम के परीक्षण और धमकी से पड़ोसी खासकर दक्षिण कोरिया को चौंकाता रहा है. उत्तर कोरिया परमाणु शक्ति के बल पर अमेरिका को भी धमकी देने से नहीं चूकता है. डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद दोनों देशों में तल्खी और बढ़ी. दोनों नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हुई. 10. उत्तर कोरिया की आधिकारिक संवाद समिति ने रविवार को कहा था कि किम वार्ता के दौरान ‘परमाणु निरस्त्रीकरण’ और ‘स्थायी शांति’ के लिये बातचीत को तैयार हैं. ट्रंप ने शनिवार को कहा था कि किम के पास इतिहास रचने का ‘एक मौका ’ है.

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चीन को OBOR पर फिर झटका, भारत ने नहीं किया समर्थन

कूटनीति के माहिर खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह पड़ोसी देशों के साथ बेहतर रिश्तों के हिमायती हैं, लेकिन भारत की संप्रभुता के साथ किसी भी हालत में समझौता नहीं हो सकता है. शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पहुंचे पीएम मोदी ने चीन की तमाम कोशिशों के बावजूद उसे तगड़ा झटका दिया है. चीन काफी समय से अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना 'वन बेल्ट वन रोड' (OBOR) पर भारत को साधने का प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको बार-बार विफलता का मुंह देखना पड़ता है. इस बार भी ऐसा हुआ और SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना का समर्थन करने से इनकार कर दिया. साथ ही चीन को पारदर्शिता और संप्रभुता के सम्मान करने की नसीहत भी दी. SCO सदस्य देशों में भारत इकलौता देश है, जो चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं कर रहा है. दरअसल, चीन की यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से गुजरती है, जिसका भारत कड़ा विरोध करता आ रहा है. भारत इसको अपनी संप्रभुता का उल्लंघन मानता है. भारत का कहना है कि PoK उसका अभिन्न हिस्सा है, जहां से उसकी इजाजत के बिना चीन कोई ऐसा निर्माण कार्य नहीं कर सकता है. SCO शिखर सम्मेलन में रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान ने चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के समर्थन को दोहराया, लेकिन भारत ने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. मतलब साफ था कि भारत अब भी चीन की इस परियोजना का समर्थन नहीं करता है. फिलहाल इसे चीन की कोशिशों के लिए एक झटका माना जा रहा है. रविवार को SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर भारत के नजरिए को सामने जरूर रखा, लेकिन उन्होंने चीन की OBOR परियोजना का समर्थन नहीं किया. उन्होंने कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों पर पारदर्शिता और संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही. पहली बार SCO शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आज हम फिर एक ऐसे मुकाम पर हैं, जहां भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी भूगोल की परिभाषा बदल रही हैं. विशेषकर SCO क्षेत्र और पड़ोसी देशों के साथ कनेक्टिविटी भारत की  प्राथमिकता है. हम ऐसे नए कनेक्टिविटी प्रोजेक्टों का स्वागत करते हैं, जो समावेशी, पारदर्शी और सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें.

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यह फोटो कुछ खास है! देखें: कैसे तमाम राष्ट्राध्यक्षों के बीच तनकर बैठे हैं ट्रंप

कहा जाता है कि 'एक तस्वीर हजार शब्दों' से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही है. कनाडा के ला मालबयी में 8-9 जून को आयोजित 44वें शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई. साथ ही संयुक्त बैठक भी हुईं. सम्मेलन के दौरान की एक तस्वीर काफी चर्चा बटोर रही है, जिसमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और बाकी सदस्य देशों के नेता नजर आ रहे हैं. दिलचस्प बात ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कुर्सी पर बैठे नजर आ रहे हैं, जबकि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और जापान के राष्ट्रपति शिंजो आबे उनके सामने खड़े हुए हैं. हालांकि, इस दौरान इन नेताओं के बीच क्या बात हुई, इसकी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है. लेकिन जिस अंदाज में ट्रंप के सामने बाकी नेता खड़े हैं, उससे किसी टीचर के सामने स्टूडेंट जैसी तस्वीर उभर रही है. सोशल मीडिया पर इस तरह की टिप्पणियां भी की जा रही हैं. इस तस्वीर में एंजेला मर्केल ट्रंप से बात कर रही हैं, जबकि शिंजो आबे हाथों में हाथ बांधे हुए दूसरी तरफ मुंह किए खड़े हैं. डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही शांति के साथ हाथ बांधे हुए कुर्सी पर बैठे हैं. उनके हाव-भाव भी कुछ अलग ही हैं. ट्रंप के आगे रखी टेबल पर हाथ रखे हुए एंजेला मर्केल खड़ी हैं और ट्रंप से कुछ कह रही हैं. इस तस्वीर पर सोशल मीडिया में भी चुटकी ली जा रही है. बता दें कि शिखर सम्मेलन में कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. सम्मेलन के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया कि हम रूस से उसके अस्थिर व्यवहार, लाकेतंत्र को कमजोर करने की उसकी प्रणाली और उसके सीरियाई शासन को समर्थन रोकने की अपील करते हैं. इसके अलावा इस शिखर सम्मेलन जी-7 देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बनाए रखने का संकल्प लिया है.

कहा जाता है कि ‘एक तस्वीर हजार शब्दों’ से ज्यादा बोलती है. कनाडा में हाल ही में संपन्न हुए जी-7 देशों के दो दिवसीय सम्मेलन से भी एक ऐसी दिलचस्प तस्वीर सामने आई है, जो बहुत कुछ बयां कर रही …

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