अध्यात्म

मानो या न मानो लेकिन सच, घर में इन चीजों के होने से नहीं होती है धन की कमी

पैसा एक ऐसी चीज है जो जीवनयापन के लिए सबसे जरूरी है। बिना पैसों के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती हैं। हर व्यक्ति को पैसों की जरूरत होती है और कितनी जरूरत होती है यह उनकी आशाओं पर …

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आज का राशिफल, 12 जून मंगलवार: आज है जन्मदिन तो रुके काम होंगे पूरे, ये महीना है खास

आज का राशिफल में महाराज जी बता रहे हैं अगर 12 जून (मंगलवार) को आपका जन्मदिन है तो आगे आने वाले आपके आगे के 12 महीने विशेष हैं. पिछले साल के रुके काम आगे बढ़ेंगे. विदेश जा सकते हैं. रिश्तों का ख्याल रखें. शक्कर का दान करें. सोमवार को रुद्राभिषेक करें. आज है जन्मदिन तो कैसा होगा साल? -आपके आगे के 12 महीने विशेष हैं. -पिछले साल के रुके काम आगे बढ़ेंगे. -विदेश जा सकते हैं. -जुलाई, अगस्त, सितंबर, नवबंर, फरवरी अच्छे महीने हैं. -रिश्तों का ख्याल रखें. -शक्कर का दान करें. -दही का दान करें. -सोमवार को रुद्राभिषेक करें.

आज का राशिफल में महाराज जी बता रहे हैं अगर 12 जून (मंगलवार) को आपका जन्मदिन है तो आगे आने वाले आपके आगे के 12 महीने विशेष हैं. पिछले साल के रुके काम आगे बढ़ेंगे. विदेश जा सकते हैं. रिश्तों …

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साईं की अनमोल निशानियों के दर्शन से बदलते हैं जीवन

शिरडी के साईं बाबा, एक संत, फकीर और भी न जाने कितने रूप है साईं के. साईं बाबा के चमत्कार के किस्से अनंत हैं. साईं के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता. बाबा के दर पर जाने वाले भक्तों की कोई मुराद कभी अधूरी नहीं रहती और बाबा का ये चमत्कार दिखाता है उनका बटुआ. समाधि लेने से पहले भी बाबा अपने इसी बटुए में हाथ डालकर अपने भक्तों को सोने-चांदी के सिक्के देकर उनके दुखों को दूर किया करते थे. साईं बाबा की इस अनमोल धरोहर को आज भी संभाल कर रखा गया है. बाबा 16 साल की उम्र में शिरडी गए और एक मामूली सा गांव एक तीर्थ बन गया. कहते हैं साईं जबसे शिरडी में स्थापित हुए वहां कोई संकट नहीं आया. बाबा ने समाधी लेने के बाद भी अपने भक्तों पर किसी संकट का साया तक नहीं पड़ने दिया. आज भी उनके भक्तों को साईं के दर्शन हो जाते हैं. बाबा रूप बदल कर अपने भक्तों का उद्धार करने आते हैं. हफ्ते के 7 दिनों में गुरुवार का दिन बाबा के नाम है. शिरडी में आज भी हर गुरुवार साईं की पालकी निकलती है. जिसके दर्शन करने के लिए हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है. कहते हैं जिसने भी बाबा की इन इनमोल निशानियों के दर्शन कर लिए उन्हें साक्षात साईं के दर्शनों का सौभाग्य मिलता है. शिरडी में बाबा की इस्तेमाल की हुई वस्तुएं रखी हुई हैं. घर बैठे भी बाबा की इन अनमोल निशानियों के दर्शन से सारे दुख तर जाते हैं. बाबा की कृपा हासिल करने का ये अवसर आपकी जिंदगी बदल सकता है. साईं जिंदगियां सवांरने वाले साधक हैं. बाबा की कृपा हर उस भक्त को मालूम है, जिसने उन्हें सच्चे मन से याद किया है. बाबा के इसी चमत्कार से आप भी कीजिए साक्षात्कार.

शिरडी के साईं बाबा, एक संत, फकीर और भी न जाने कितने रूप है साईं के. साईं बाबा के चमत्कार के किस्से अनंत हैं. साईं के दर से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटता.बाबा के दर पर जाने वाले भक्तों …

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माता मावली मंदिर, जहां महिलाओं को नहीं मिलता है प्रवेश

छत्तीसगढ़ के धमतरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरूर में स्थित आदि शक्ति माता मावली के मंदिर की अनोखी परंपरा है. यहां मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मंदिर की मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं की मन्नत पूर्ण होती है. माता की कृपा पाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं. इस नवरात्र में 166 ज्योत जलाई गई है. मंदिर के पुजारी श्यामलाल साहू और शिव ठाकुर ने बताया कि यह मावली माता मंदिर वर्षों पुराना है. यहां के पुजारी (बैगा) ने बताया था कि उन्हें एक बार सपने में भूगर्भ से निकली माता मावली दिखाई दी और माता ने उस बैगा से कहा था कि वह अभी तक कुंवारी हैं, इसलिए मेरे दर्शन के लिए महिलाओं का यहां आना वर्जित रखा जाए. तब से इस मंदिर में सिर्फ पुरुष ही दर्शन के लिए पहुंचते हैं. सुबह से ही मंदिर में भक्तों का तांता लग जाता है. मन्नत पूरी होने पर कई श्रद्धालु चढ़ावा लेकर पहुंचते हैं. इस नवरात्र में 166 दीप प्रज्‍जवलित किए गए हैं. माता मावली के दर्शन के लिए छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से भी भक्त पहुंचते हैं. आदि शक्ति मावली माता मंदिर में लगातार सौंदर्यीकरण का कार्य चल रहा है. इस मंदिर में बागीचे का निर्माण किया गया है, जहां गुलाब, गोंदा, सूरजमुखी, सेवंती के फूल आकर्षण का केंद्र बन गए हैं. मंदिर के चारों ओर फूलों की सुगंध बिखर रही है. जैसा कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने की परंपरा है. पूजा-अर्चना के लिए परिसर में एक छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया गया है, जहां महिलाएं माता के दर्शन कर अपनी मन्नतें मांगती हैं. महिलाएं नमक, मिर्ची, चावल, दाल, साड़ी, चुनरी आदि चढ़ावा के रूप में चढ़ाती हैं. गांव की रामबती, सुशीला, चंपाबाई सहित कई महिलाओं ने बताया कि यहां महिलाओं का अंदर जाना मना है, इसलिए सभी महिलाएं बाहर से ही दर्शन कर लेती हैं. अगर उनकी कुछ मन्नतें होती हैं तो मंदिर के बाहर स्थापित मंदिर में दर्शन कर अपनी मन्नतें मांगती हैं.

छत्तीसगढ़ के धमतरी से पांच किलोमीटर की दूरी पर ग्राम पुरूर में स्थित आदि शक्ति माता मावली के मंदिर की अनोखी परंपरा है. यहां मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. मंदिर की मान्यता है कि माता के दर्शन मात्र से श्रद्धालुओं …

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मां चंडिका शक्तिपीठ: जहां दूर होती है आंखों की पीड़ा

मां चंडिका का मंदिर बिहार के मुंगेर जिला मुख्यालय से चार किलोमीटर दूर गंगा के किनारे स्थित है. इसके पूर्व और पश्चिम में श्मशान है. इसीलिए इसे ‘श्मशान चंडी’ के रूप में भी जाना जाता है. नवरात्र के दौरान कई …

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इस मंदिर में मनाया जाता है ‘फुटवियर फेस्टिवल’, लोग चढ़ाते हैं चप्पलें

कनार्टक के गुलबर्ग जिले में लकम्‍मा देवी का मंदिर है. यहां हर साल 'फुटवियर फेस्टिवल' होता है, जिसमें दूर-दराज के गांवों से लोग चप्‍पल चढ़ाने आते हैं. इस फेस्टिवल में मुख्‍य तौर पर गोला (बी) नामक गांव के लोग बढ़-चढ़कर हिस्‍सा लेते हैं. यह फेस्टिवल अजीब-गरीब रिवाजों के कारण प्रसिद्ध है. हर साल यह फेस्टिवल दिवाली के छठे दिन आयोजित किया जाता है. यहां लोग आकर मन्‍नत मांगते हैं और उसके पूरा होने के लिए मंदिर के बाहर स्थित एक पेड़ पर चप्‍पलें टांगते हैं. यही नहीं लोग इस दौरान भगवान को शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का भोग भी लगाते हैं. लोगों का मानना है कि इस तरह चप्‍पल चढ़ाने से ईश्‍वर उनकी बुरी शक्तियों से रक्षा करते हैं. ऐसी मान्यता है कि है कि इससे पैरों और घुटनों का दर्द सदैव के लिए दूर हो जाता है. इस मंदिर में हिन्दू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी आते हैं. कहा जाता है कि माता भक्‍तों की चढ़ाई गई चप्‍पलों को पहनकर रात में घूमती हैं और उनकी रक्षा करती हैं.

कनार्टक के गुलबर्ग जिले में लकम्‍मा देवी का मंदिर है. यहां हर साल ‘फुटवियर फेस्टिवल’ होता है, जिसमें दूर-दराज के गांवों से लोग चप्‍पल चढ़ाने आते हैं. इस फेस्टिवल में मुख्‍य तौर पर गोला (बी) नामक गांव के लोग बढ़-चढ़कर …

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चारों दिशाओं में आदिशंकराचार्य ने स्थापित किए थे ये 4 मठ

प्राचीन भारतीय सनातन परम्परा के विकास और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है. उन्होंने भारतीय सनातन परम्परा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में चार शंकराचार्य मठों की स्थापना की थी. ये चारों मठ आज भी चार शंकराचार्यों के नेतृत्व में सनातन परम्परा का प्रचार व प्रसार कर रहे हैं. हिंदू धर्म में मठों की परंपरा लाने का श्रेय आदि शंकराचार्य को जाता है. आदि शंकराचार्य ने देश की चारों दिशाओं में चार मठ की स्थापना की थी. आइए जानते हैं आदिशंकराचार्य द्वारा स्थापित इन मठों के बारे में... श्रृंगेरी मठ: श्रृंगेरी शारदा पीठ भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है. श्रृंगेरी मठ कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध मठों में से एक है. इसके अलावा कर्नाटक में रामचन्द्रपुर मठ भी प्रसिद्ध है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद सरस्वती, भारती, पुरी सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि' है, मठ के तहत 'यजुर्वेद' को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य सुरेश्वर थे. गोवर्धन मठ: गोवर्धन मठ उड़ीसा के पुरी में है. गोवर्धन मठ का संबंध भगवान जगन्नाथ मंदिर से है. बिहार से लेकर राजमुंद्री तक और उड़ीसा से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक का भाग इस मठ के अंतर्गत आता है. गोवर्द्धन मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'आरण्य' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म' और इस मठ के तहत 'ऋग्वेद' को रखा गया है. इस मठ के पहले मठाधीश आदि शंकराचार्य के पहले शिष्य पद्मपाद हुए. शारदा मठ: द्वारका मठ को शारदा मठ के नाम से भी जाना जाता है. यह मठ गुजरात में द्वारकाधाम में है. इसके तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' सम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इस मठ का महावाक्य है 'तत्त्वमसि' और इसमें 'सामवेद' को रखा गया है. शारदा मठ के पहले मठाधीश हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे. हस्तामलक आदि शंकराचार्य के प्रमुख चार शिष्यों में से एक थे. ज्योतिर्मठ: ज्योतिर्मठ उत्तराखण्ड के बद्रिकाश्रम में है. ऐतिहासिक तौर पर, ज्योतिर्मठ सदियों से वैदिक शिक्षा तथा ज्ञान का एक ऐसा केन्द्र रहा है जिसकी स्थापना 8वीं सदी में आदी शंकराचार्य ने की थी. ज्योतिर्मठ के तहत दीक्षा लेने वाले संन्यासियों के नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' और 'सागर' चारों दिशाओं में आदिशंकराचार्य ने स्थापित किए थे ये 4 मठसम्प्रदाय नाम विशेषण लगाया जाता है जिससे उन्हें उस संप्रदाय का संन्यासी माना जाता है. इसका महावाक्य 'अयमात्मा ब्रह्म' है. मठ के अंतर्गत अथर्ववेद को रखा गया है. इसके पहले मठाधीश आचार्य तोटक थे.

प्राचीन भारतीय सनातन परम्परा के विकास और हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में आदि शंकराचार्य का महान योगदान है. उन्होंने भारतीय सनातन परम्परा को पूरे देश में फैलाने के लिए भारत के चारों कोनों में चार शंकराचार्य मठों की स्थापना की …

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कभी नहीं होगी कभी घर में पैसो की किल्लत अगर तुलसी के पास लगायेंगे ये जादुई पौधा

आज के समय में हर किसी इंसान की एक ही शिकायत होती है कि कितना भी कमा लो लेकिन पैसों की तंगी बनी रहती है। इससे निजात पाने के लिए हम नित नये उपाय करते रहते है लेकिन फिर भी …

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शुक्र 9 जून को जा रहे हैं कर्क राशि में, जानें क्या होगा आपकी राशि पर असर

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को सभी भौतिक सुख देने वाला ग्रह माना जाता है। यह प्रेम, सौंदर्य, कला और सांसारिक सुख आदि का कारक ग्रह है। शुक्र के शुभ प्रभाव से जहां व्यक्ति समस्त सांसारिक सुख-साधनों को प्राप्त करता है। वहीं, इसके अशुभ प्रभाव से संस्कारहीनता, परिवार में बिखराव और यौन रोग होते हैं। शुक्र ग्रह 9 जून शनिवार को 2:54 बजे कर्क राशि में गोचर (प्रवेश) करेगा और 5 जुलाई 2018 को 02:38 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। वृष और तुला राशि के स्वामी शुक्र के साथ इस राशि में राहु के साथ युति करेंगे, जो इस राशि में राहु पहले से ही मौजूद है। वहीं, कर्क राशि से ठीक सातवें स्थान पर यानी मकर राशि में मंगल और केतु मौजूद हैं। यानी ये चारों ग्रह एक दूसरे को देख रहे होंगे। आईये जानते हैं शुक्र के इस गोचर का सभी राशियों पर क्या प्रभाव होगा? मेष - आपकी राशि के चौथे भाव में शुक्र के आने से घरेलू जीवन पर असर दिखेगा। आपके पार्टनर को कार्यक्षेत्र में लाभ होगा और आपका करियर में आपको अच्छे अवसर मिलेंगे। वृष - वृषभ राशि के जातकों की कुंडली के तीसरे भाव में होगा। यात्रा के योग बनेंगे। पार्टनर को भौतिक सुख-सुविधाओं की भी प्राप्ति के आसार हैं। मिथुन- द्वितीय भाव में शुक्र का गोचर होने से गृहस्‍थ जीवन अच्‍छा रहेगा है। लाभ कमाने के मौके बनेंगे। जीवनसाथी की सेहत को लेकर चिंता हो सकती है। आपसी रिश्तों में प्यार बढ़ेगा। कर्क- शुक्र ग्रह आपकी ही राशि में गोचर करेगा। भौतिक सुख-सुविधाएं बढ़ेंगी, वैवाहिक जीवन खुशनुमा रहेगा।इस दौरान वरिष्ठ अधिकारियों से प्रशंसा मिलेगी। छात्र पढ़ाई में ज्यादा अच्छा प्रदर्शन कर सकेंगे। सिंह- शुक्र आपकी राशि से 12वें भाग में गोचर करेगा। आर्थिक परेशानियां हो सकती हैं और खर्चे भी बढ़ सकते हैं। स्‍वास्‍थ्‍य पर ध्यान दें। काम के संबंध में यात्रा करनी पड़ सकती है। कन्‍या- शुक्र का गोचर आपकी राशि से 11वें भाव लाभ स्थान में होगा। आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधरेगी। आय के स्रोत खुलेंगे, भाग्‍य का लाभ मिलेगा। किसी महिला से लाभ या काम में मदद मिल सकती है। विष्णु के पैर क्यों दबाती हैं लक्ष्मी, जानें ग्रहों के रहस्य की बड़ी बात तुला- शुक्र आपकी राशि से 10वें भाग में गोचर कार्यक्षेत्र में विवाद खड़े कर सकता है। प्रेम प्रसंग बिगड़ सकते हैं और पार्टनर से अनबन हो सकती है। वृश्चिक- शुक्र आपकी राशि से नौवें भाग में गोचर करेगा। सब कुछ सामान्‍य रहेगा। समाज में आपकी प्रतिष्‍ठा बढ़ेगी। लंबी यात्रा करने के योग बन सकते हैं। धनु- शुक्र ग्रह आपकी राशि के 8 वें भाव में गोचर करने जा रहा है। गुप्‍त रोग से परेशान हो सकते हैं। आध्‍यात्‍म की ओर झुकाव बढ़ेगा। मकर- शुक्र का गोचर सातवें भाव में होने से वैवाहिक जीवन व प्रेम प्रसंग के लिए समय अच्छा होगा। नौकरी या व्यवसाय में भी लाभ हो सकता है। कुंभ- छठें भाव में शुक्र का गोचर होने से मेहनत ज्यादा करनी होगी, तभी लाभ होगा। स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें, खर्च संभल कर करें । मीन- शुक्र का गोचर आपकी राशि से पांचवें भाव में होगा। ऐसा होने से आपकी कमाई के साधनों में वृद्धि होगी। विवाहित लोगों के जीवन में खुशियां दस्‍तक देंगी। संतान पक्ष से शुभ समाचार मिलेगा।

वैदिक ज्योतिष में शुक्र को सभी भौतिक सुख देने वाला ग्रह माना जाता है। यह प्रेम, सौंदर्य, कला और सांसारिक सुख आदि का कारक ग्रह है। शुक्र के शुभ प्रभाव से जहां व्यक्ति समस्त सांसारिक सुख-साधनों को प्राप्त करता है। …

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कमजोर आदमी को दुख पहुंचाने से आता है प्रलय

मुल्ला अब्बास बगदादी से एक बार अपने शिष्य ने प्रश्न किया कि ' सुना है प्रलय बहुत बड़ी बला होती है। प्रलय में सारे संसार को खत्म करने की ताकत होती है। क्या आप बता सकते हैं कि प्रलय होता क्या है? ' यह सुनकर मुल्ला अब्बास बगदादी ने जवाब दिया कि ' तुम्हारा कहना सही है कि प्रलय बहुत बड़ी बला होती है। देखते हैं तुम्हारे सवाल का कोई जवाब दे सकता है क्या यह कहकर उन्होनें दूसरे शिष्यों की ओर देखा। ' एक शिष्य ने कहा कि ' मेरी नजर में खुदा के प्रति इंसान के अपराध ही प्रलय की वजह है।' दूसरे ने कहा कि ' जब इंसान के जुल्मों को धरती झेल नहीं पाती है तो खुदा प्रलय के जरिए इसको धोता है। ' तीसरे शिष्य ने कहा कि ' कमजोर आदमी के आंसू का एक कतरा ही प्रलय की असली वजह है। ' मुल्ला अब्बास बगदादी ने सभी शिष्यों की बातों को सुना और कहा कि ' यह सही है कि कमजोर आदमी की आंखों से निकलने वाले आंसू ही प्रलय की वजह है। इसलिए किसी भी कमजोर आदमी के दुख-दर्द यदि हम दूर नहीं कर सकते हैं तो उसको किसी भी तरह की तकलीफ तो देनी ही नहीं चाहिए। निसहाय इंसान इतना लाचार होता है कि वह कष्टों को सिर्फ सहन करता रहता है और उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकलता है इसलिए उनकी लाचारी उनका दुख उनकी आंखों से आंसूओं के जरिए निकलता है। इसलिए गरीबों पर रहम करोगे तो खुदा भी तुम्हारे ऊपर मेहरबान बना रहेगा, लेकिन इसके बावजूद हम इस बात को समझते नहीं है और प्रलय को आमंत्रित करते रहते हैं। '

मुल्ला अब्बास बगदादी से एक बार अपने शिष्य ने प्रश्न किया कि ‘ सुना है प्रलय बहुत बड़ी बला होती है। प्रलय में सारे संसार को खत्म करने की ताकत होती है। क्या आप बता सकते हैं कि प्रलय होता …

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