नई दिल्ली, फिनटेक इंडस्ट्री ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से आगामी बजट में वित्तीय क्षेत्र के स्टार्टअप्स के लिए कर व्यवस्था को और उदार बनाने का आग्रह किया है। इसके लिए तर्क दिया गया है कि ऐसे स्टार्टअप्स में वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करने की अपार संभावनाएं हैं। बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में केंद्रीय बजट 2022-23 पेश करने वाली हैं।
बजट से फिनटेक इंडस्ट्री की अपेक्षाओं को लेकर एमपोकेट के सीईओ और संस्थापक गौरव जालान ने कहा कि फिनटेक फर्मों सहित सभी स्टार्टअप्स प्रतिभा को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए बड़े पैमाने पर स्टॉक ऑप्शन का इस्तेमाल करती हैं। हालांकि, ऐसी फिनटेक कंपनियों के कर्मचारी जो अपने ईएसओपी (कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना) विकल्प का प्रयोग करते हैं, उन्हें न केवल इसे खरीदने के लिए धन की व्यवस्था करनी होती है बल्कि लगभग 35 प्रतिशत कर का भुगतान भी करना होता है क्योंकि आवंटित शेयरों को उनके पैकेज का हिस्सा माना जाता है।
गौरव जालान ने सुझाव दिया, “कर्मचारी की अनुमानित आय पर संग्रह के बजाय अगर ऐसे शेयरों की बिक्री के समय कर संग्रह किया जाता है तो यह कर्मचारियों के नकदी प्रवाह के मुद्दों को हल करेगा और फिनटेक को प्रतिभा को आकर्षित करने तथा बनाए रखने में बहुत मदद करेगा, जिससे उद्योग के समग्र विकास में मदद मिलेगी।”
स्टैशफिन की सह-संस्थापक श्रुति अग्रवाल ने कहा कि सरकार के डिजिटल पुश ने वित्तीय समावेशन और फिनटेक क्रांति के दरवाजे खोल दिए हैं। उन्होंने कहा, “मैं चाहती हूं कि बजट देश में फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र को चलाने पर एक समर्पित ध्यान केंद्रित करने वाला हो। फिनटेक उद्योग में भारतीय अर्थव्यवस्था को उस स्थान पर ले जाने में मदद करने की क्षमता है, जिसके वह सही हकदार हैं।”
अग्रवाल ने कहा कि जिस तरह प्राथमिकता वाले क्षेत्र को ऋण देने से अर्थव्यवस्था के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को एनबीएफसी से ऋण और वित्तीय सहायता की आवश्यकता हो सकती है, यह फिनटेक स्टार्टअप्स के लिए फायदेमंद होगा यदि सीमित क्रेडिट फुटप्रिंट वाले नागरिकों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने वाले अधिक सेगमेंट शामिल होते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान में बैंकों द्वारा एनबीएफसी को ऋण देने की अनुमति व्यक्तिगत बैंक की कुल प्राथमिकता ऋण के पांच प्रतिशत की कुल सीमा तक है। अग्रवाल ने कहा, ‘अगर इसे बढ़ाकर 7 फीसदी किया जाता है तो इससे अर्थव्यवस्था को और मजबूती मिलेगी।’
क्लिक्स कैपिटल के सीईओ राकेश कौल ने कहा कि एनबीएफसी तेजी से आर्थिक सुधार की सुविधा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन कम रेटिंग वाली एनबीएफसी को बड़ी तरलता चुनौतियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि बैंकों द्वारा वित्त पोषण मुख्य रूप से टॉप रेटेड या सरकार समर्थित एनबीएफसी की ओर निर्देशित होता है।
कौल ने कहा, “तदनुसार, वित्त मंत्री बैंकों को एनबीएफसी, विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के एनबीएफसी को वित्त पोषण फिर से शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने वाले साहसिक कदमों की घोषणा कर सकती हैं।”