सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन बसपा नेता और मायावती सरकार में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी पर हुए हमले के मामले में आरोपित सपा नेता दिलीप मिश्र की जमानत रद करने की याचिका पर उनसे दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में 2010 में नंदी पर बम से हमला हुआ था, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और खुद नंदी भी गंभीर रूप से घायल हुए थे।
याचिका में कहा गया है कि मिश्र को जमानत मिलने के बाद इस मामले में 28 गवाह अपनी गवाही से पलट गए हैं। इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि जमानत पर छूटने के बाद दिलीप मिश्र गवाहों को डरा धमका रहे हैं। नंद गोपाल नंदी पहले मायावती सरकार में मंत्री थे। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और इस समय वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में नागरिक उड्यन, राजनीतिक पेंशन और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हैं।
जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एमआर शाह की पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के 17 मई, 2019 के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। हाई कोर्ट ने दिलीप मिश्र को निचली अदालत से मिली जमानत को रद करने से इन्कार कर दिया था। निचली अदालत ने मिश्र को 19 मई, 2014 को जमानत दी थी।
12 जुलाई, 2010 को हुए हमले के मामले में सपा नेता और अन्य के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास में भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, उप्र गैंगेस्टर एवं समाज विरोधी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की विभिन्न धाराओं में आरोप पत्र दाखिल किया गया है।