इस खबर को पढ़ने से पहले आप सोच रहे होंगे की क्या किसी छिपकली की कीमत करोड़ो रुपए हो सकते है, बिहार के किशनगंज में एक दुर्लभ प्रजाति की छिपकली की तस्करी का भंडाफोड़ हुआ है, इसका उपयोग मर्दानगी बढ़ाने वाली दवाओं के निर्माण में होता है, इस छिपकली का नाम ‘गीको’ या ‘टोको’ है, बरामद दो छिपकलियों की कीमत करीब दो करोड़ बताई जा रही है, सशस्त्र सीमा बल के जवानों ने दो तस्करों को भी गिरफ्तार किया है.
एसएसबी 41वीं बटालियन के सहायक कमांडेंट राजीव राणा के नेतृत्व में गठित टीम ने गुरुवार शाम पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी और पानीटंकी के बीच यह कार्रवाई की, बरामद छिपकलियों को वन विभाग सौंप दिया गया है, एसएसबी ने इस मामले में गिरफ्तार तस्कर ताराचंद उरांव और रोविन उरांव को पूछताछ के बाद नक्सलबाड़ी पुलिस के हवाले कर दिया, बताया जाता है कि तस्कर छिपकलियों को चोरी-छिपे चीन भेजने वाले थे.
गीको के मांस का उपयोग दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में डायबिटीज, कैंसर, नपुंसकता और एड्स की परंपरागत दवाइयों के निर्माण में किया जाता है, इ,सकी मांग चाइनीज ट्रेडिशनल मेडिसिन में भी है वहीं, थाईलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में इसे लोग खाते भी है, इन्हीं सब कारणों से गीको की मांग इंटरनैशनल मार्केट में बहुत ज्यादा है, भारत-नेपाल सीमा पर वन्यजीवों की तस्करी अधिक होती है, वहीं जंगलों की कटाई से गीको के रहने के जगह खत्म होते जा रहे हैं, इसके साथ ही बड़े पैमाने पर होने वाली तस्करी ने इस छिपकली को विलुप्त होने के कगार पर ला दिया है.
‘टोको’ एक दुर्लभ छिपकली है, जो ‘टॉक-के’ जैसी आवाज़ निकालने के कारण ‘टोको’ कही जाती हैं अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऐसी एक छिपकली की कीमत एक करोड़ रुपए तक है, यह छिपकली दक्षिण-पूर्व एशिया, बिहार, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पूर्वोत्तर भारत, फिलीपींस तथा नेपाल में पाई जाती है, जंगलों की लगातार कटाई होने की वजह से यह ख़त्म होती जा रही है.
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