आम आदमी पार्टी (आप) ने 1984 के सिख दंगों को दिल्ली के इतिहास का काला अध्याय करार दिया है। पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस राज में इसे अंजाम दिया गया, जबकि भाजपा सरकारें आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है।
आप ने उम्मीद जताई है कि दंगा पीड़तों को अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ मिलने की उम्मीद है। पार्टी दफ्तर में मीडिया से बात करते हुये आप के राज्य सभा सांसद संजय सिंह ने कहा कि कांग्रेस-भाजपा के विपरीत आप पीड़ितों को हकीकत में इंसाफ दिलाना चाहती है। यही वजह रही कि 49 दिन की दिल्ली सरकार में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी का प्रस्ताव उपराज्यपाल का भेजा था।
संजय सिंह का कहना है कि इसी बीच सरकार चली गयी। लेकिन इसके बाद तत्कालीन कांग्रेस व उसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार के समय मे1ं एसआईटी पर कोई प्रगति नहीं हुयी। लेकिन दिल्ली विधान सभा चुनाव से पहले नवम्बर 2014 में केंद्र सरकार ने एसआईटी के गठन की जरूरत का पता लगाने के लिये एक कमेटी का गठन कर दिया।
फरवरी में केजरीवाल की सरकार दुबारा बनने से एक दिन पहले एसआईटी का गठन भी कर दिया। इससे आशंका बनती है कि सरकार निष्पक्ष जांच कराने के हक में नहीं थी। यही वजह है कि तीन साल बाद दुबारा सुप्रीम कोर्ट को मामले खोलने पड़े हैं।
दूसरी तरफ राजौरी गार्डन के पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि सभी मामलों की जांच सीबीआई या किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से कराई जाये। इसकी वजह यह है कि मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध है।