आम आदमी पार्टी की आंतरिक लड़ाई थमने का नाम नहीं ले रही है. राष्ट्रीय परिषद की बैठक में ये लड़ाई खुलकर सामने आ रही है. मशहूर कवि और आप नेता कुमार विश्वास इस लड़ाई में थोड़े अलग-थलग से नजर आ रहे हैं. आप विधायक अमानतुल्ला खां को जबसे पार्टी ने वापस बुलाया है, तभी से ऐसी विश्वास की नाराजगी एक बार फिर उभर कर आई.
विश्वास ने अमानतुल्ला खां के निलंबन वापस होने के बाद कहा था कि वह सिर्फ एक मुखौटा है, जड़ कोई और है. तो वहीं गुरुवार को खबर आई कि जब कुमार विश्वास नेशनल काउंसिल में पहुंचे तो अमानतुल्ला खां के समर्थकों ने उनकी गाड़ी रोकने की कोशिश की ऐसा ही विश्वास के समर्थकों ने अमानतुल्ला खां के साथ किया.
पहले कुमार विश्वास का नाम वक्ताओं की लिस्ट में नहीं था, लेकिन जब वह कार्यक्रम में पहुंचे तो आप कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति जताई. तब जाकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने उन्हें संबोधन के लिए आमंत्रित किया, लेकिन विश्वास ने ही बोलने से इनकार कर दिया.
कुमार विश्वास मंच पर तो नहीं बोले लेकिन, ट्विटर पर अपनी कुछ पंक्तियों से सबकुछ जता दिया. कुमार ने ट्वीट किया, ‘ ख़ुशियों के बेदर्द लुटेरो, ग़म बोले तो क्या होगा. ख़ामोशी से डरने वालों, ‘हम’ बोले तो क्या होगा..?? .
हालांकि, सवाल अब ये हो खड़ा होता है कि विश्वास ने ट्वीट के जरिए तो निशाना साध दिया कि हम बोले तो क्या होगा. तो क्या कुमार विश्वास अब जब भी बोलेंगे या अपना कोई संबोधन देंगे तो देखना यह होगा कि उनके निशाने पर कौन होगा.
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