देश की सबसे सुरक्षित जगहों में से एक माने जाने वाली भारत की संसद पर आज ही के दिन जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने हमला कर दिया था। हमले को 17 साल बीत चुके हैं, भारत ने उससे सबक तो लिया, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकतों से अबतक बाज नहीं आया है। वह लगातार भारत को नुकसान पहुंचाने की कोशिशों में लगा रहता है। 17 साल पहले हुए हमले में कब क्या हुआ और कैसे दोषी अफजल गुरु फांसी के तख्ते तक पहुंचा, जानिए-
13 दिसंबर 2001: इसी दिन संसद पर हमला हुआ था, पांच आतंकी संसद परिसर में घुस आए थे। उन्होंने नौ लोगों की जान ले ली थी और 15 लोग घायल हो गए थे।
गुजरात चुनाव: पोस्टर वायरल, “अफजल का जो यार है वो देश का गद्दार है”
15 दिसबर 2001: इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अफजल गुरु, शौकत हसन और प्रोफेसर एस ए आर गिलानी को गिरफ्तार किया गया था।
25 दिसंबर 2001: हमले के तार मसूद अजहर से जुड़ने के बाद इसी दिन पाकिस्तान ने उसकी औपचारिक गिरफ्तारी की थी।
18 दिसंबर 2002: मामले की सुनवाई कर रही ट्रायल कोर्ट ने इसी दिन अफजल गुरु, शौकत हसन और गिलानी को मौत की सजा देने का ऐलान किया था।
29 अक्टूबर 2003: इस दिन गिलानी को दिल्ली हाईकोर्ट ने बरी कर दिया था, वहीं बाकी दोनों की सजा को सही ठहराया गया था।
4 अगस्त 2005: मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका था, वहां हसन की सजा को दस साल कर दिया गया, लेकिन अफजल की फांसी को उन्होंने भी बरकरार रखा था।
अफजल गुरु ने उसे मिली सजा ए मौत पर रिव्यू पिटीशन दायर की थी, जिसे 12 जनवरी 2007को खारिज कर दिया गया था।
9 फरवरी 2013 के दिन अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।