कोटद्वार: कोटद्वार क्षेत्र से कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के दो प्रवेश द्वार खुलने के बाद शासन अब पर्यटकों को एक और सौगात देने की तैयारी में है। इसके तहत लैंसडौन वन प्रभाग की दुगड्डा व कोटड़ी रेंज में पर्यटकों के लिए एक ट्रैक खोला जाना है, जिस पर वो डे-विजिट करेंगे। प्रभागीय वनाधिकारी संतराम ने बताया कि आपदा के दौरान इस ट्रैक को काफी नुकसान पहुंचा था। ट्रैक की मरम्मत जारी है। अब शासन स्तर से ट्रैक को पर्यटकों के लिए खोलने पर भी विचार हो रहा है।
कॉर्बेट नेशनल पार्क व राजाजी टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित लैंसडौन वन प्रभाग की कोटड़ी रेंज प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। 12822.80 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली कोटड़ी रेंज का कोल्हूचौड़ व चौखंभ क्षेत्र पर्यटकों आनंद की असीम अनुभूति कराते हैं। रेंज में जहां हाथी, हिरन, चीतल, सांभर आदि वन्य जीव आसानी से देखे जा सकते हैं, वहीं बाघों की लगातार बढ़ रही तादाद भी रोमांच पैदा करती है। इतना ही नहीं, रेंज में प्रवासी व अप्रवासी परिंदों की चार सौ अधिक प्रजातियां भी मौजूद हैं। यही वजह है कि इस क्षेत्र में नेशनल बर्ड वाचिंग कैंप के रूप में विकसित करने की कवायद बीते कई वर्षों से चल रही है।
कोटड़ी रेंज में तीस से ज्यादा बाघ
कॉर्बेट नेशनल पार्क में देश के अन्य उद्यानों की तुलना में काफी अधिक बाघ हैं। पार्क क्षेत्र में 1973 में जहां मात्र 44 बाघ थे, वहीं 2006-07 की गणना में इनकी संख्या 164 तक पहुंच गई। इस दौरान पूरे उत्तराखंड में 184 बाघ रिकॉर्ड किए गए। लैंसडौन वन प्रभाग की बात करें तो वर्ष 2005 व 2008 की गणना में प्रभाग की कोटड़ी व दुगड्डा रेंज में 18 बाघ मिले। गणना में दो वर्ष से कम आयु के बाघों को गिनती से बाहर रखा गया था। विभाग की मानें तो वर्तमान में प्रभाग में 30 से अधिक बाघ हैं। इनमें से करीब 80 फीसद कोटड़ी रेंज में हैं। इसके लिए वन प्रभाग को इसी वर्ष कैट्स (कंजर्वेशन एस्योर्ड टाइगर स्टैंडर्स) की ओर से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम स्थान प्रदान किया गया।