सीबीआई ने सिंडिकेट बैंक के पूर्व चेयरमैन एसके जैन पर 2014 में कथित रूप से सवा करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। आरोप है कि निलंबित जैन ने प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड के दो करोड़ डॉलर के विदेशी वाणिज्यिक ऋण के प्रस्ताव को मंजूरी दिलाने के एवज में बिचौलिये चार्टर्ड अकाउंटेंट से रिश्वत ली थी। सीबीआई ने जैन को 2014 में उसके एक रिश्तेदार से रिश्वत के 50 लाख रुपये बरामद करने के बाद गिरफ्तार किया था।
एजेंसी ने दावा किया था कि एक अन्य कंपनी भूषण स्टील से यह राशि रिश्वत के रूप में ली गई थी। सीबीआई ने भूषण स्टील और प्रकाश इंडस्ट्रीज लिमिटेड से रिश्वत लेने के मामले में जैन के खिलाफ दो मामले दर्ज किए थे। हालांकि दोनों ही कंपनियों ने इस मामले में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है।
पटियाला हाउस स्थित विशेष अदालत के समक्ष हाल ही में दाखिल आरोप पत्र में सीबीआई ने प्रकाश इंडस्ट्रीज लि. (पीआईएल) के सीएमडी वेद प्रकाश अग्रवाल, कंपनी के सलाहकार विपुल अग्रवाल, चार्टर्ड अकाउंटेंट पवन बंसल और जैन के रिश्तेदार विनीत गोधा पर आपराधिक साजिश रचने और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। जांच के दौरान सीबीआई ने दावा किया कि रिश्वत की 1.25 करोड़ की रकम जैन को पीआईएल के बिचौलिये चार्टर्ड अकाउंटेंट ने दी थी।
2020 में जैन को रिटायर होना था
आरोप पत्र में कहा गया है कि बिचौलिये के तौर पर चार्टर्ड अकाउंटेंट ने सिंडिकेट बैंक की मदद से प्रकाश इंडस्ट्रीज के 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण प्रस्ताव पास करवाने में लगा था।
सीबीआई ने यह भी दावा किया कि जांच के दौरान पता चला कि बंसल ने भोपाल में गोधा के जरिये एसके जैन को सवा करोड़ रुपये दिए।
एजेंसी ने कहा कि सिंडिकेट बैंक के पूर्व चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक के ठिकानों पर छापे के दौरान उसे 21 लाख नकद और 1.68 करोड़ के सोने के अलावा 63 लाख के फिक्ड डिपॉजिट के दस्तावेज भी मिले हैं।
एसके जैन को जुलाई, 2013 में पांच साल के लिए सिंडिकेट बैंक का चेयरमैन सह प्रबंध निदेशक नियुक्त किया गया था। वह देश के युवा सीएमडी में से एक थे और उनकी सेवानिवृत्ति 2020 में होनी थी। हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सीबीआई की रिपोर्ट मिलने के बाद जैन को निलंबित कर दिया।