देश में पहली बार किन्नरों के लिए बड़ी घोषणा की गई है, उन्हें एक नई पहचान दी गई है। लेकिन इनकी जिंदगी वो कड़वा सच है, जान लेंगे तो कहेंगे ओह माई गॉड।
दरअसल, चंडीगढ़ में अब ट्रांसजेंडर्स के नाम के आगे एम एक्स लिखा जाएगा। 14 सदस्यीय ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के गठन के साथ ही यह अहम फैसला लिया गया है। ट्रांसजेंडर्स के साथ किसी भी प्रकार कोई भेदभाव न हो, इस पर भी बोर्ड से समय- समय पर सुझाव मांगे जाएंगे। ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड की बैठक में ट्रांसजेंडर समुदाय की ओर से भी दो नुमाइंदे शामिल हुए। ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने हाल में ट्रांसजेंडर की पहचान दर्शाने के लिए रूल 3 का इस्तेमाल किया है।
ट्रांसजेंडर समुदाय की मांग थी कि आवेदन पत्रों में लिंग या वैवाहिक स्टेटस दर्शाने के लिए सिर्फ तीन विकल्प होते हैं, जबकि ट्रांसजेंडर्स को तीसरे जेंडर में शुमार किया गया है। इसलिए उनके लिए अलग से विकल्प का प्रावधान किया जाना चाहिए। चंडीगढ़ प्रशासन ने इस मांग को स्वीकार करते हुए फैसला लिया कि सरकारी और गैर सरकारी सभी आवेदनपत्रों में अब रूल 3 का चौथा विकल्प भी उपलब्ध होगा। ट्रांसजेंडर वेलफेयर बोर्ड के अध्यक्ष और अतिरिक्त जिलाधीश राजीव गुप्ता ने यह जानकारी दी।
धनंजय ने बताया कि जहां तक एक से बच्चे को बिरादरी में सम्मिलित करने की बात है तो बनी प्रथा के अनुसार बालिग होने पर ही रीति संस्कार द्वारा किसी को बिरादरी में शामिल किया जाता है। रीति संस्कार से एक दिन पूर्व नाच गाना होता है तथा सभी का खाना एक ही चुल्हे पर बनता है। अगले दिन जिसे किन्नदर बनना होता है, उसे नहला-धुलाकर अगरबत्ती और इत्र की सुगंध के साथ तिलक किया जाता है।
शुद्धिकरण उपरांत उसे सम्मानपूर्वक ऊंचे मंच पर बिठाकर उसकी जननेन्द्रिय काट दी जाती है और उसे हमेशा के लिए साड़ी, गहने व चूड़ियां पहनाकर नया नाम देकर बिरादरी में शामिल कर लिया जाता है। किन्नरों को लेकर कई प्रकार की रस्में निभाई जाती हैं जो आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं। जैसे किन्नरों की शव यात्रा रात को निकाली जाती है। शव यात्रा को उठाने से पूर्व जूतों-चप्पलों से पीटा जाता है। किन्न के मरने के बाद पूरा समुदाय एक सप्ताह तक भूखा रहता है।
धनंजय बताते हैं कि तमिलनाडु में किन्नरों के विकास के लिए सरकार द्वारा एक बोर्ड का भी गठन किया गया है। बता दें कि ट्रांसजेंडर्स में तीन तरह के होते हैं। पहले ट्रांसजेंडर, जिनका फिजिकल बदलाव से कोई लेना देना नहीं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पैदाइशी लड़के हैं या लड़की, पर वे अपोजिट सेक्स की तरह जीना चाहते हैं। दूसरे हैं ट्रांससेक्सुअल, जिन्होंने अपना लिंग बदलवाया हो। तीसरे हैं ट्रांसवेस्टाइट, जो अपोजिट सेक्स के कपड़े पहनकर उनकी तरह फील लेना चाहते हैं।
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