बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से ‘हिंदू’ और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) से ‘मुस्लिम’ शब्दों को हटाया जाना चाहिए क्योंकि ये दोनों विश्वविद्यालयों के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को नहीं दर्शाते. ये सिफारिश विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की एक समिति ने की है.
हालांकि केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने साफ किया है कि BHU से ‘हिन्दू’ और AMU से ‘मुस्लिम’ शब्द हटाने का कोई इरादा नहीं है. अहमदाबाद में सोमवार को जावड़ेकर ने यहां तक कहा कि यूजीसी की एक समिति ने ऐसी सिफारिश की है जो कि उस समिति के मैंडेट का हिस्सा ही नहीं है. वहीं केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने इस सिफारिश का विरोध करते हुए इसे खारिज कर दिया है.
यूजीसी की समिति का गठन
यूजीसी की समिति का गठन 10 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कथित अनियमितताओं की जांच करने के लिए किया गया था. समिति की सिफारिशें अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की ऑडिट रिपोर्ट में दी गई हैं.
हिंदू-मुस्लिम शब्द हटाने की सिफारिश
समिति के एक सदस्य ने नाम नहीं खोलने की शर्त पर बताया कि केंद्र के फंड पर चलने वाले विश्वविद्यालय धर्मनिरपेक्ष संस्थान होते हैं और इस तरह के शब्द (हिंदू, मुस्लिम) उनके चरित्र को नहीं दर्शाते. समिति के सदस्य के मुताबिक दोनों विश्वविद्यालयों के नाम अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और बनारस यूनिवर्सिटी किए जा सकते हैं. यूजीसी की समिति ने BHU और AMU के अलावा जिन अन्य विश्वविद्यालयों की कथित अनियमितताओं को जांच में शामिल किया, उनमें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी (उत्तराखंड), सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ जम्मू, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा, यूनिवर्सिटी ऑफ त्रिपुरा और हरि सिंह गौर यूनिवर्सिटी (मध्य प्रदेश) हैं.
नकवी ने प्रस्ताव का किया विरोध
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के नाम को बदले जाने के प्रस्ताव का विरोध किया है. नकवी ने कहा कि इन नामों के होने से कोई फर्क नहीं पड़ता और ऐसा नहीं है कि इन नामों के बदल दिए जाने से वो ज्यादा धर्मनिरपेक्ष हो जायेंगे. नकवी ने कहा कि तमाम शिक्षा संस्थान ऐसे हैं जिनके नाम में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या जैन धर्म जुड़ा हुआ है लेकिन इस से कोई फर्क नहीं पड़ता.
सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है मामला
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मुद्दे पर कहा कि पता नहीं क्यों AMU और BHU का मामला उठाया जा रहा है. इस मुद्दे को पहले ही सुलझाया जा चुका है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पीआरओ विभाग के सदस्य मोहम्मद आसिफ सिद्दीकी ने सवाल किया है कि आखिर किस आधार पर यूजीसी की समिति ने ये सिफारिश की है. सिद्दीकी के मुताबिक उनका काम वित्तीय मामलों को देखना है या यूनिवर्सिटी के बुनियादी चरित्र को देखना. AMU एक धर्मनिरपेक्ष संस्थान है और यहां किसी तरह का कोई पक्षपात नहीं होता. जहां तक इसके चरित्र (दर्जे) का मामला है तो वो सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है.
क्या खत्म हो जाएगी विश्वविद्यालयों की पहचान?
एएमयू के छात्रों और प्रोफेसरों का भी यही मानना है कि AMU से ‘मुस्लिम’ और BHU से ‘हिंदू’ शब्द हटाने से इन दोनों विश्वविद्यालयों की पहचान खत्म हो जाएगी. पूरी दुनिया में लोग इन दोनों विश्वविद्यालयों को AMU और BHU के नामों से ही जानते हैं.
अनेकता में एकता ही देश की पहचान
वाराणसी में BHU के प्रोफेसर राजेंद्र सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि AMU से मुस्लिम और BHU से हिंदू शब्द हटाए जाएंगे. प्रो. सिंह ने कहा कि ‘हिंदू’ BHU की और ‘मुस्लिम’ AMU की सुंदरता है. ऐसा नहीं होता कि BHU में मुस्लिम छात्रों और AMU में हिंदू छात्रों को दाखिला नहीं मिलता. इस देश की सुंदरता ‘अनेकता में एकता’ में है. प्रो सिंह ने कहा कि जो वर्षों से इन विश्वविद्यालयों की पहचान रहा है, उसे छेड़ा नहीं जाना चाहिए.