
उन्होंने कहा कि वे आईटी की जांच में सहयोग में कोई कमी नहीं छोडेंगे। उन्होंने कहा कि भले ही आईटी का शिकंजा कंपनी पर कस रहा हो, लेकिन वे मेडिसन को लेकर जारी की गई हर गाइडलाइन को फोलो करते हैं। साथ ही वे कानून के मुताबिक देश में दवाईयों का व्यापार कर रहे हैं।
दरअसल, अक्तूबर 2016 में एमसीआई ने डॉक्टरों के लिए दवाई के पर्चे पर जेनरिक मेडिसन लिखने का आदेश जारी किया था, लेकिन वो कभी लागू नहीं हो पाया। इसके अलावा उपाय सरकार ने ये सोचा था कि वो दवाई कंपनियों द्वारा डॉक्टरों को दिए जाने वाले गिफ्ट पर रोक लगाई जाए। फार्मा कंपनियां अपनी दवाईयों की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों को गिफ्ट के बहाने कई ऑफर दे देती हैं, जिस पर सरकार शिकंजा कसने की लंबे समय से तैयारी कर रही है।
आईटी के मुताबिक वे इस पर नजर बनाए हुए हैं कि डॉक्टर केंद्र की ओर से बनाई गई गाइडलाइंस को फोलो कर रहे हैं या नहीं और इसलिए डॉक्टरों और कंपनियों के बीच होने वाली हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
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