कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इन दिनों अमेरिका दौर पर हैं. राहुल वहां छात्रों से लेकर उद्योगपतियों से मुलाकात और संवाद के जरिए सबका ध्यान भारत की ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल लगातार विदेशी जमीन से देसी मुद्दे उठा रहे हैं और मोदी सरकार के कामकाज पर भी जमकर प्रहार कर रहे हैं. राहुल कहते हैं कि देश में सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है, जिसे देने में कांग्रेस की सरकारें फेल रही और अब मोदी सरकार भी फेल है.
राहुल को अमेरिका से भारत का सियासी वंशवाद स्वाभाविक लगता है. वो विदेशी जमीन पर भारत की समस्याएं गिनाते हैं. वो निवेशकों को इशारों में संदेश भी देते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल देश के राजनीतिक आरोपों को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कहीं कवायद तो नहीं कर रहे हैं.या फिर वे विदेशी धरती से देश की सियासत का एजेंडा सेट कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने अमेरिका दौरे पर पहले बर्कले, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों, वाशिंगटन डीसी में उद्योगपतियों और मंगलवार को अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ संवाद किया. इन सभी संवादों में राहुल ने देश के मुद्दों पर बात करके दुनिया भर की नजरों में ला दिया.
बेरोजगारी बड़ी समस्या
राहुल ने अमेरिका की प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के छात्रों से कहा, भारत की सबसे बड़ी समस्या रोजगार है. उन्होंने कहा कि विकास के लिए सबसे बड़ा खतरा है बेरोजगारी. मौजूदा समय में जितनी नौकरी पैदा होनी चाहिए थी, उतनी नहीं हो रही है. हर रोज 30 हजार बेरोजगार युवक आ रहे हैं, लेकिन नौकरियां सिर्फ 450 पैदा हो रही हैं. भारत में अभी तक रोजगार सृजन की व्यवस्था स्थापित नहीं हो पा रही है.
मेक इन इंडिया पर उठाया सवाल
राहुल गांधी मोदी सरकार द्वारा शुरु की गई ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाओं पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं. राहुल ने कहा, “मेरे ख्याल से मेक इन इंडिया का लक्ष्य छोटे-छोटे उद्योगों को लाभ पहुंचाना होना चाहिए था, लेकिन इसके तहत अभी बड़े उद्योगों को टार्गेट किया जा रहा है.”
चीन की तर्ज पर आगे बढ़ना होगा
राहुल ने कहा कि चीन बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है और उसका विजन क्लियर है. चीन को देखते हुए भारत को भी आगे बढ़ना चाहिए. चीन OBOR परियोजना के जरिए रोजगार सृजन करने जा रहा है अपना उसका एक मजबूत विजन है,जबकि भारत के पास ऐसा कुछ भी नहीं है. राहुल ने कहा कि भारत का इतिहास रहा है कि सभी देशों के साथ उसके बेहतर तालमेल वाले संबंध रहे हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ सामरिक संबंध महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बाकी देश भी हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण है. ऐसे में उनके साथ भी बेहतर बनाए जाना चाहिए.
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असहिष्णुता चिंतित करने वाली
राहुल ने वाशिंगटन पोस्ट की संपादकीय टीम के साथ ऑफ़-दि-रेकार्ड बातचीत की, जहां उन्होंने दुनिया भर, और खास तौर से भारत में बढ़ रही असहिष्णुता पर चिंता जताई. असहिष्णुता को लेकर क्या देश में वाकई हालात इतने खराब हो चुके हैं कि अब विदेशी जमीन से इस मुद्दे को उठाए जाने की जरूरत पढ़ गई. राहुल ने असहिष्णुता के बहाने मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करना चाहते हैं. राहुल ने लोकसभा में भी असहिष्णुता के मुद्दे को उठा चुके हैं. लेकिन विदेशी जमीन से इस तरह की बातों से क्या संदेश जाएगा और भारत की क्या छवि बनेगी.
अहिंसा के रास्ते पर ही भारत आगे बढ़ेगा
राहुल गांधी ने बर्कले, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के छात्रों से कहा था सदियों से भारत की पहचान अहिंसा की रही है और इसी रास्ते पर चलकर आगे बढ़ा है और भविष्य में भी इसी रास्ते के जरिए आगे बढ़ेगा. राहुल ने कहा कि किसी भी एक व्यक्ति के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल करना और आक्रामक रुख से आगे बढ़ना हानिकारक होता है. भारत में अहिंसा के विचार को हमेशा आगे रखा जाता है.
राजनीतिक वंशवाद
राहुल गांधी ने कहा कि परिवारवाद भारत के स्वभाव में है. राजनीति से लेकर कई क्षेत्रों में परिवारवाद के जरिए लोग आए हैं और अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने अखिलेश यादव से लेकर अभिषेक बच्चन तक के नाम गिनाए. इस पर बीजेपी ने पलटवार किया और अमित शाह ने कहा कि परिवारवाद का स्वभाव देश का नहीं, बल्कि कांग्रेस का है.
कश्मीर मुद्दे को विदेश में उठाया
कश्मीर मुद्दे पर राहुल ने कहा कि 9 साल मैंने मनमोहन सिंह, चिंदबरम, जयराम नरेश के साथ मिलकर कश्मीर पर काम किया. 2013 में मैंने मनमोहन को गले लगाकर कहा कि आप की सबसे बड़ी सफलता कश्मीर में आतंकवाद को कम करना है. राहुल ने कहा 2013 में मेरे साथ सुरक्षाकर्मी नहीं बल्कि लोग खड़े थे. पर 2014 में फिर कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों की जरूरत पड़ गई. कश्मीर में कई पार्टियां हैं, PDP ने नए लोगों को राजनीति में लाने का काम किया लेकिन बीजेपी के साथ गठबंधन के बाद ये चीज बंद हुई. अब वो ही युवा लोग आतंकवादियों के पास जा रहे हैं. बीजेपी ने अपने राजनीतिक फायदे के लिए कश्मीर का नुकसान किया.