दरअसल, शादी के दौरान पति और पत्नी जब सात फेरे लेते हैं। तो वो उस समय सात वचन भी लेते हैं। वचनों की प्रक्रिया को शास्त्र सम्मत माना जाता है। इन वचनों के दौरान एक वचन ये भी होता है कि वो हमेशा पति के साथ-साथ चलेगी और सुख-दुख में हमेशा उसका साथ देगी। लड़कियों को ये भी कहा जाता है कि पत्नी की जगह पति के चरणों में होती है और इसके पीछे की वजह भगवाम विष्णु और माता लक्ष्मी को बताया जाता है।
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माना जाता है कि जिस तरह मां लक्ष्मी हमेशा विष्णु भगवान के चरणों के समीप रहती हैं उसी प्रकार पत्नी को भी पति को ही अपना भगवान मानना चाहिए।
दरअसल, भारत में ये प्रथा सदियों से चली आ रही है और पीढ़ी दर पीढ़ी इसे आगे बढ़ाया जा रहा है। बचपन से ही लड़कियों को ये कहा जाता है कि शादी के बाद पिता का नहीं बल्कि पति का ही घर उनका अपना घर होता है। पति जो भी कहेगा, या करेगा पत्नी को करना होगा। पति की हां में हां मिलाना होगा और अगर वो पति के खिलाफ जाती है तो उसे समाज में गंदी नजर से देखा जाता है। कहा जाता है कि लड़की के घरवालों ने उसे कुछ सिखाया नहीं तभी इसके ऐसे लक्ष्ण हैं। मजबूरन पत्नी को अपने पति की सारी बातें माननी पड़तीं हैं और उसे अपना भगवान बनाना पड़ता है।
आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और ऐसे में पति-पत्नी के बीच ये अंतर थोड़ा नाजायज सा लगता है।
हालांकि हर किसी को ये समझने की जरूरत है कि एक तरफ तो हम लड़का-लड़की के बराबर होने की बात करते हैं दूसरी तरफ हम शादी के बाद लड़कियों को पति के पैरों पर पटक देते हैं। समय आ गया है कि इस प्रथा को बदला जाए।