गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है. आज दिमागी बुखार से एक और 4 साल के बच्चे की मौत हो गई. पिछले 3 दिन में ही मौत का आंकड़ा 68 पहुंच गया. इस बीच थोड़ी देर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री नड्डा गोरखपुर पहुंचेंगे.
इससे पहले शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना था कि बच्चे ऑक्सीजन की वजह से नहीं बल्कि गंदगी और बीमारियों से मरे हैं. मुख्यमंत्री ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौत की खबरों को इंकार करते हुए कहा कि राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति प्रकरण की जांच करेगी और किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यमंत्री ने ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ता को भुगतान में विलंब के लिए कॉलेज के प्रिसिंपल को दोषी ठहराते हुए कहा कि 9 अगस्त को गोरखपुर प्रवास के दौरान उन्होंने इंसेफेलाइटिस , डेंगू, चिकुनगुनिया, स्वाइन फ्लू और कालाजार जैसे मुददों पर अधिकारियों से बातचीत की थी और उनसे पूछा था कि उनकी आवश्यकता क्या है और क्या उन्हें किसी तरह की कोई समस्या है लेकिन आक्सीजन आपूर्ति से जुड़ा मुद्दा उनके संज्ञान में नहीं लाया गया. उन्होंने कहा, बैठक में मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल भी मौजूद थे. मैंने पूछा कि कोई मुद्दा हो या समस्या हो तो बताएं, लेकिन वहां ऑक्सीजन को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया. हम लोगों की जानकारी में नहीं लाया गया.
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यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं. इसमें नई बात क्या है. मौत के आंकड़ों में घुमाते-घुमाते मंत्री बता गए कौन कब किस महीने में मरता है. चलिए आकड़ों से ही खेल लीजिए लेकिन ये तो बता दीजिए कि जब पता ही था कि अगस्त में बच्चे मरेंगे तो उन्हें मरने से बचाने के लिए आपने क्या किया? आप राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं. राज्य की जनता के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी आप पर है. बीमारी का इलाज ना सही सांसों के सिलेंडर का तो इंतजाम कर देते.
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