ड्रोन कैमरे से डैश बोर्ड तक...पीएम मोदी ऐसे बने हुए हैं 'बिग बॉस'

ड्रोन कैमरे से डैश बोर्ड तक…पीएम मोदी ऐसे बने हुए हैं ‘बिग बॉस’

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने एक बार कहा था कि वो केंद्र से एक रुपया भेजते हैं लेकिन जनता तक महज 15 पैसा पहुंच पाता है. अपने पूर्व प्रधानमंत्री के इस बड़े बयान से कांग्रेस ने क्या सबक सीखा, ये तो वही जानती है लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी जैसे इसे ध्यान में रखते ही अपनी हर योजना का एक्शन प्लान तैयार करते हैं. हर सरकारी योजना पर उनकी बारीक नजर और तकनीक के इस्तेमाल से ऐसी व्यवस्था बनाने की कोशिश है कि दिल्ली से भेजा गया पैसा दलालों और रिश्वतखोरों की जेब में नहीं जा पाए.ड्रोन कैमरे से डैश बोर्ड तक...पीएम मोदी ऐसे बने हुए हैं 'बिग बॉस'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल इंडिया को अपनी सरकार के कामकाज में बाकायदा उतार लिया है. मोदी सरकार डिजिटल इंडिया के पैटर्न पर काम कर रही है, जहां कामकाज की निगरानी डैशबोर्ड पर की जा रही है तो निगरानी के लिए ड्रोन कैमरे भी लगाए गए हैं. नीति आयोग बिग डेटा एनालिसिस के जरिए 15 मंत्रालयों के कामकाज पर नजर रख रहा है. इसके लिए नीति आयोग में दो डेटा माइनिंग विशेषज्ञों को नियुक्त किया गया है.

बिग डेटा एनालिसिस के तहत 15 मंत्रालयों में करीब 4 दर्जन डैश बोर्ड लगवाए गए हैं. आवास, ऊर्जा, कोयला, रेलवे, अक्षय ऊर्जा, ग्रामीण सड़क और राजमार्ग मंत्रालयों का कामकाज इसी सिस्टम के तहत चल रहा है. डैशबोर्ड के जरिए केंद्र सरकार के कार्यक्रमों पर नजर रखी जा रही है. जिसके चलते पैसों की हेराफेरी, फर्जी लाभार्थी, दस्तावेजों में गड़बड़ी जैसी समस्याएं काफी हद तक दूर हुई हैं.

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मॉनीटर बने मोदी

बिग डेटा एनालिसिस ने सरकार के कामकाज करने के तरीकों में क्रांति ला दी है. इंडिया टुडे पत्रिका के ताजा अंक में मॉनीटर मोदी शीर्षक से छपी रिपोर्ट में बिग डेटा एनालिसिस तकनीक कैसे काम कर रही है, इसके बारे में तफ्सील से बताया गया है. ग्रामीण विकास मंत्रालय के डैशबोर्ड पर लाभार्थी के चयन से लेकर मकान निर्माण तक का पूरा डाटा तस्वीरों के साथ मौजूद है. आवास सिर्फ जरूरतमंदों और पात्रों को मिले, इसका फूल प्रूफ प्लान तैयार किया गया है. उज्जवला योजना के तहत किन-किन लाभार्थियों को गैस चूल्हे के साथ एलपीजी सिलेंडर मिले हैं, सबकी तस्वीरों के साथ आंकड़े मौजूद हैं.

मनरेगा की मॉनीटरिंग के लिए बने डैश बोर्ड पर कहां-कहां कौन सा काम चल रहा है, सबकी जानकारी तस्वीरों के साथ मौजूद है. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना मंत्रालय के डैशबोर्ड पर तस्वीरों के साथ ये डाटा मौजूद है कि रोजाना कितने किलोमीटर सड़क बन रही है. जहाजरानी मंत्रालय में विदेश जाने वाले हर जहाज की जांच के बाद उसकी तस्वीर टैग की जा रही है, जिसकी मॉनीटरिंग डैश बोर्ड पर हो रही है. बिजली विभाग और कोयला खनन की निगरानी के लिए ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल हो रहा है. इनकी मॉनीटरिंग डैश बोर्ड पर हो रही है.

साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की उस बात को ध्यान में रखे हुए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र से भेजे एक रुपये में से सिर्फ 15 पैसा ही जनता तक पहुंचता है. मोदी सरकार का ये तकनीकी कदम अभी शुरुआती दौर में है, आने वाले दिनों में इसका इस्तेमाल और बढ़ेगा, जिससे न सिर्फ भ्रष्टाचार का कीचड़ साफ होगा, बल्कि केंद्र सरकार तक आखिरी व्यक्ति की सीधी पहुंच बनेगी.

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