क्या बिहार बनने जा रहा है नया इंडस्ट्रियल हब? 

बिहार में औद्योगिक विकास को गति देने के उद्देश्य से मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत द्वारा शुरू की गई पहल ‘उद्योग वार्ता’ राज्य में निवेश के नए अवसर खोल रही है। गुरुवार को आयोजित इस संवाद मंच के दूसरे सत्र में 32 उद्योग प्रतिनिधियों ने अपनी निवेश योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की, जिसे उद्योग जगत में बेहद सकारात्मक कदम माना जा रहा है। इस पहल से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और सरकार के प्रति सहयोग की नई उम्मीदें जागी हैं।

बैठक का आयोजन पटना एयरपोर्ट के निकट वायुयान संगठन निदेशालय में सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया गया। अधिकारियों ने बताया कि अगला सत्र 19 दिसंबर (शुक्रवार) को आयोजित होगा, जिसे लेकर निवेशकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।

छह प्रमुख सेक्टरों में निवेशकों ने दिखाई गहरी रुचि
बैठक में शामिल निवेशकों का लक्ष्य अपने गृह राज्य में उद्योग स्थापित कर युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना और पलायन को रोकना है। उनका मानना है कि बिहार में संसाधन, श्रम-शक्ति और प्रतिभा—तीनों की कोई कमी नहीं है, इसलिए उद्योगों के लिए यह एक उभरता हुआ गंतव्य बन सकता है।

निवेश प्रस्ताव मुख्य रूप से इन क्षेत्रों में आए
डेयरी और दूध उत्पाद उद्योग
बिहार फिल्म सिटी प्रोजेक्ट में निवेश
इलेक्ट्रिकल उत्पाद निर्माण इकाई
फर्नीचर, शिक्षा संस्थान और हेल्थकेयर सेक्टर
लेदर गुड्स निर्माण एवं निर्यात इकाई
गन्ना उद्योग के विस्तार से जुड़े प्रस्ताव
सवेरा कैंसर एंड मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बिपिन कुमार झा ने राज्य में रोबोटिक सर्जरी के विस्तार पर जोर देते हुए इसमें निवेश और साझेदारी की इच्छा व्यक्त की।

कोका कोला एसएलएमजी के निदेशक सिद्धार्थ लधानी ने भी अपने प्रस्तावित उद्योग पर चर्चा करते हुए सरकार के साथ सहयोग बढ़ाने की बात कही।

अशोक लेलैंड के वाइस प्रेसिडेंट यशपाल साचर ने इलेक्ट्रिक बस निर्माण इकाई लगाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने महिलाओं के लिए ड्राइविंग स्कूल शुरू करने का सुझाव भी दिया, जिसका संबंध राज्य में चल रही पिंक बस सेवा से जोड़ा गया।

निवेशकों ने आयात-निर्यात को सरल बनाने के लिए सरकारी सहयोग की भी मांग की।

निवेशकों को वन-स्टॉप समाधान: मुख्य सचिव का स्पष्ट संदेश
मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा कि राज्य सरकार उद्योगों को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है और यदि आवश्यकता पड़ी तो नीतियों में संशोधन भी किए जाएंगे।

जहां निवेशकों ने भूमि आवंटन या प्रशासनिक अड़चनों का मुद्दा उठाया, वहीं मुख्य सचिव ने उसी समय संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया। इससे उद्योग जगत को एक सकारात्मक संकेत मिला कि बिहार निवेशकों के लिए सुगम वातावरण बनाना चाहता है।

बैठक में उद्योग विभाग के सचिव कुंदन कुमार, निदेशक मुकुल कुमार गुप्ता, ऊर्जा विभाग के सचिव मनोज कुमार सिंह, और बिहार के गन्ना आयुक्त अनिल कुमार झा की मौजूदगी ने इस संवाद की गंभीरता और बहु-विभागीय समन्वय को और मजबूत बनाया।

‘उद्योग वार्ता’ की बढ़ती लोकप्रियता और रिकॉर्ड निवेश प्रस्ताव इस बात का संकेत हैं कि बिहार सचमुच एक नए इंडस्ट्रियल हब के रूप में उभरने की दिशा में अग्रसर है।

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