एम्स ने दी नई जिंदगी: फेफड़े को खोले बिना हुई 4 माह के बच्चे की सर्जरी

दिल्ली के एम्स अस्पताल में फेफड़े को खोले बिना 4 माह के बच्चे की सफल सर्जरी हुई। पहली बार देश में सबसे छोटे बच्चे की नई तकनीक से सर्जरी हुई है। फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

फेफड़े को खोले बिना एम्स के डॉक्टरों ने 4 माह के बच्चे को नई जिंदगी दी। बच्चा जन्मजात लोबार ओवरइन्फ्लेशन (सीएलओ) से पीड़ित था। फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण बच्चे को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए तुरंत सर्जरी की जरूरत थी। अभी तक फेफड़ों को खोल कर इस रोग में सर्जरी होती थी। बच्चे की जान बचाने के लिए एम्स के विशेषज्ञ ने नई तकनीक का इस्तेमाल किया। सर्जिकल टीम के अनुसार, यह बच्चा भारत में सबसे कम उम्र के रोगियों में से एक है, जिसने पूरी तरह से न्यूनतम इनवेसिव दृष्टिकोण के माध्यम से इस तरह की जटिल फेफड़ों की सर्जरी की है।

विशेषज्ञों ने बताया कि चार महीने के बच्चे की जान बचाने के लिए एम्स के डॉक्टरों ने मिनिमल इनवेसिव लंग सर्जरी की। सीएलओ से पीड़ित बच्चे के फेफड़े का एक हिस्सा बहुत अधिक फूल गया था। इसमें फेफड़ों का स्वस्थ हिस्सा दब गया और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। इस कारण उसे लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद भी समस्या दूर नहीं हुई। बाद में उसे निमोनिया के लिए कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।

बच्चे की समस्या को देखते हुए एम्स में बच्चे का मूल्यांकन किया। समस्या को देखते हुए टीम ने समय पर सर्जिकल फैसला लिया। ऑपरेशन का नेतृत्व एम्स के बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विशेष जैन ने किया। उन्होंने पारंपरिक ओपन-चेस्ट सर्जरी के विकल्प की जगह टीम ने थोरैकोस्कोपिक दृष्टिकोण को चुना, जो छोटे शिशुओं में असाधारण सटीकता की आवश्यकता वाली एक अत्यधिक उन्नत तकनीक है। वही पुरानी तकनीक में एक बड़ा चीरा लगाना पड़ता है। ये काफी दर्द वाला होता है और रिकवरी होने में ज्यादा समय लगता है।

ऐसे हुई सर्जरी
नई तकनीक में केवल 3 से 5 मिलीमीटर व्यास वाले विशेष उपकरणों और एक छोटे कैमरे का उपयोग से सर्जरी की गई। टीम ने बच्चे की छोटी सी छाती गुहा के भीतर सावधानीपूर्वक नेविगेट किया। सर्जरी काफी चुनौती वाली थी। इसमें मामूली गलती से रक्त वाहिकाओं को नुकसान हो सकता था। टीम ने एनेस्थेसियोलॉजिस्ट डॉ. निशांत पटेल के साथ मिलकर सफलतापूर्वक फेफड़ों के स्वस्थ हिस्से में ऑक्सीजन को पुनर्निर्देशित किया। बच्चे को स्थिर करने के बाद सर्जरी की तैयारी की गई। उसके बाद समस्याग्रस्त फेफड़े के ऊतक को एक छोटे से 10-मिलीमीटर चीरे के माध्यम से सावधानीपूर्वक हटा दिया गया।

दो दिन बाद ही दी गई छुट्टी
सर्जरी के बाद बच्चे में तेजी से रिकवरी हुई। सर्जरी के दो दिन बाद ही उसे छुट्टी दे दी गई, जन्म के बाद पहली बार वह आराम से सांस ले पा रहा था।

बच्चा जल्द होगा ठीक
एम्स में बाल चिकित्सा सर्जरी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. संदीप अग्रवाल ने कहा कि यह मामला सबसे छोटे और सबसे नाजुक रोगियों के लिए भी अत्याधुनिक बाल चिकित्सा शल्य चिकित्सा देखभाल प्रदान का प्रतीक है। एम्स में थोरैकोस्कोपिक सर्जरी नियमित रूप से की जाती है। गंभीर बीमारी से पीड़ित सबसे छोटे बच्चे में न्यूनतम पहुंच सर्जरी का सफल अनुप्रयोग और उत्कृष्ट रिकवरी है। सर्जरी के बाद न्यूनतम इनवेसिव बाल चिकित्सा सर्जरी में सुधार होगा। इससे कम उम्र के और सबसे कमजोर रोगियों की देखभाल बेहतर हो सकेगी।

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