अंगूठे को न समझें साधारण, यह खोल देगा आपके सारे राज

अंगूठे को न समझें साधारण, यह खोल देगा आपके सारे राज

नई दिल्ली। हस्तरेखा विज्ञान में रेखाओं, पर्वतों, अंगुलियों की तरह ही अंगूठा भी महत्वपूर्ण होता है। इसे साधारण नहीं समझना चाहिए, इससे न केवल किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व के बारे में जाना जा सकता है, बल्कि उसके भीतर छुपे गुणों की जानकारी भी हासिल की जा सकती है।अंगूठे को न समझें साधारण, यह खोल देगा आपके सारे राज

एक तरह से देखा जाए तो अंगूठा पूरे हाथ का प्रतिनिधित्व करता है। अंगूठा इच्छा शक्ति का केंद्र होता अंगूठा इच्छा शक्ति का केंद्र होता है जिसमें तीन पोर होते हैं।

दो भाग तो हथेली के बाहर की ओर निकले दिखाई देते हैं लेकिन तीसरे पोर से हथेली का निर्माण होता है जो शुक्र पर्वत से जुड़ा होता है। या यूं कहें कि शुक्र पर्वत अंगूठे का ही तीसरा भाग है। यह भाग प्रेम तथा वासना का केंद्र है। इससे ऊपर का भाग तर्क शक्ति का केंद्र होता है और नाखून से जुड़ा भाग इच्छा शक्ति का परिचायक है।

आंतरिक क्रियाशीलता को स्पष्ट करता है अंगूठा मानव की आंतरिक क्रियाशीलता को स्पष्ट करता है और इसका सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है। इसलिए केवल अंगूठे को देखकर व्यक्ति का स्वभाव, उसकी प्रकृति तथा उसके विचारों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।प्रथम पोर यह अंगूठे का सबसे ऊपरी भाग नाखून वाला हिस्सा होता है।

जिस व्यक्ति के अंगूठे का प्रथम पोर दूसरे पोर से लंबा हो उस व्यक्ति में प्रबल इच्छा शक्ति होती है और अपने निर्णय लेने में वह स्वयं सक्षम होता है। ऐसा व्यक्ति किसी के अधीन रहकर काम करना पसंद नहीं करता। धार्मिक विचारों में उसकी गहरी आस्था होती है। ऐसे व्यक्तियों का व्यक्तित्व इतना आकर्षक होता है

कि हर कोई देखते ही इनसे प्रभावित हो जाता है। यौवनावस्था की अपेक्षा वृद्धावस्था में अधिक संवेदनशील तथा सुखी होते हैं। यदि प्रथम तथा द्वितीय पोर बराबर और लंबे हो तो ऐसा व्यक्ति समाज में सम्माननीय होता है। ये व्यक्ति किसी को धोखा भी नहीं देते।द्वितीय पोर अंगूठे का दूसरा पोस तर्क शक्ति का स्थान होता है।

यदि दूसरा पोर प्रथम पोर से बड़ा हो तो उसकी तर्क करने की शक्ति प्रबल होती है और वह अपने सामने किसी को टिकने नहीं देता। लेकिन ऐसे लोगों की बुरी बात यह होती है कि वे अपनी सही हो या गलत सभी बातों को सच साबित करने के लिए इतना अधिक तर्क करते हैं कि लोग उनसे नाराज होने लगते हैं। बेवजह के तर्क करना भी इनकी आदत में शुमार होता है। सभ्य समाज में ऐसे व्यक्तियों को ज्यादा आदर नहीं मिलता और इन्हें वाचाल कहा जाता है।

मोदी सरकार बदलने जा रही है इंदिरा गाँधी एयरपोर्ट का नाम, वजह जान कर हैरान…

यदि किसी व्यक्ति के अंगूठे का दूसरा पोर पतला हो तो वे अपने दिमाग से काम नहीं लेते हैं और मुंह म��ं जो आता है बक देते हैं। यदि पहला और दूसरा पोर बराबर लंबाई, चौड़ाई और मोटाई वाले हो तो ऐसे व्यक्ति छोटी-छोटी बातों पर क्रोधित हो जाते हैं और थोड़ी सी प्रशंसा से मान भी जाते हैं।तृतीय पोर अंगूठे का तीसरा भाग शुक्र पर्वत कहलाता है। प्रथम दो पोर की अपेक्षा यह अधिक विस्तार लिए हुए चौड़ा, उन्नत और सुदृढ़ होता है।

यदि यह भाग सामान्य रूप से अधिक ऊंचा उठा हुआ, गुलाबी रंग का हो तो ऐसा व्यक्ति प्रेम के मामले में काफी आगे जाता है। ऐसे व्यक्ति के अनेक मित्र होते हैं और समाज में इन्हें विशेष स्थान प्राप्त होता है। कठिनाइयां आने पर भी ऐसे व्यक्ति घबराते नहीं हैं और उनका दृढ़ता से सामना करते हैं। यदि शुक्र पर्वत अत्यधिक उठा हुआ हो तो ऐसा व्यक्ति कामी और भोगी होता है। सौंदर्य के पीछे पागलों की तरह भटकता रहता है। ऐसे में अक्सर अपमानजनक स्थितियों का सामना करता है। प्रेम और सौंदर्य पाने के लिए कुछ भी करने के लिए उतावला रहता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com