निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक की प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) चंदा कोचर को वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 6.09 करोड़ रुपये का वेतन पैकेज मिला. आईसीआईसीआई बैंक के दिए आंकड़ों के मुताबिक मार्च, 2017 में समाप्त वित्त वर्ष में कोचर का कुल पैकेज 7.84 करोड़ रुपये रहा.
आईसीआईसीआई बैंक देश का दूसरा सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है. वहीं देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है जिसका नेतृत्व अरुंधती भट्टाचार्या कर रही है. अरुंधती का वार्षिक पैकेज महज 31.1 लाख (वित्त वर्ष 2015-16) रुपये हैं. वहीं देश के तीसरे सबसे बड़े निजी बैंक एक्सिस बैंक की प्रमुख शिखा शर्मा हैं. शिखा शर्मा का 5.5 करोड़ रुपये का वार्षिक पैकेज है.
इन सबसे के ऊपर देश का केन्द्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) है. आरबीआई देश में सभी बैंको को संचालित करने का काम है वहीं केन्द्र सरकार के लिए प्रमुख बैंक की भूमिका भी अदा करता है. उर्जित पटेल रिजर्ब बैंक के गवर्नर हैं. पटेल की वार्षिक ग्रॉस पैकेज लगभग 45 लाख रुपय प्रति वर्ष है.
अब देश में निजी क्षेत्र के बैंक और सरकारी बैंक समेत बैंकों के बैंक की सैलरी में अंतर चौकाने वाला है क्योंकि इन सभी बैंकों द्वारा रुपये में किया जा रहा कारोबार इन बैंकों के प्रमुखों की जिम्मेदारी बयान करती हैं. वहीं निजी बैंकों में प्रमुखों की सैलरी और सरकारी बैंकों में सैलरी का अंतर समझ से परे है. यह और अहम तब हो जाता है जब देश के केन्द्रीय बैंक, जिसपर भारत सरकार के खजाने के साथ-साथ मौद्रिक नीति तय करने की जिम्मेदारी है, के प्रमुख की सैलरी स्टेट बैंक के प्रमुख से महज कुछ लाख रुपये अधिक है.
इन सबके बीच अहम हो जाता है कि देश में वित्त मंत्रालय के प्रमुख को कितनी सैलरी मिलती है. सातवें वेतन आयोग को मिली मंजूरी के बाद देश में मंत्रालय के प्रमुख पद पर बैठे सेक्रेटरी (फाइनेंस सेक्रेटरी) की अधिकतम वार्षिक सैलरी 27 लाख रुपये हो सकती है. गौरतलब है कि देश के वित्तीय संघठन में रिजर्व बैंक के प्रमुख के बाद वित्त सचिव अहम किरदार निभाते हैं. इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि भारत सरकार द्वारा खर्च किया गया एक-एक रुपया वित्त सचिव की मंजूरी से आता है और वह देश में एक रुपये की करेंसी पर वित्त सचिव का हस्ताक्षर किया जाता है.