इस साल के अंत में ओस्लो में भारत-नार्डिक शिखर सम्मेलन का आयोजन होने की उम्मीद है। दिल्ली में 11वें भारत-नार्वे फारेन ऑफिस कंसल्टेशंस (एफओसी) में मंगलवार को दोनों पक्षों ने नवीकरणीय ऊर्जाजलवायु पर्यावरण मत्स्य पालन जल-प्रबंधन और आर्कटिक में सहयोग के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर मंथन किया।विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने अगले भारत-नार्डिक शिखर सम्मेलन के बारे में चर्चा की
इस साल के अंत में ओस्लो में भारत-नार्डिक शिखर सम्मेलन का आयोजन होने की उम्मीद है। दिल्ली में 11वें भारत-नार्वे फारेन ऑफिस कंसल्टेशंस (एफओसी) में मंगलवार को दोनों पक्षों ने नवीकरणीय ऊर्जा, जलवायु, पर्यावरण, मत्स्य पालन, जल-प्रबंधन और आर्कटिक में सहयोग के क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के तरीकों पर मंथन किया।
दोनों पक्षों ने सम्मेलन के बारे में की चर्चा
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने अगले भारत-नार्डिक शिखर सम्मेलन के बारे में चर्चा की, जिसका आयोजन इस साल के अंत में ओस्लो में हो सकता है। पहला भारत-नार्डिक शिखर सम्मेलन 2018 में स्टाकहोम में आयोजित किया गया था जबकि दूसरा शिखर सम्मेलन 2022 में कोपेनहेगन में हुआ था। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) पवन कपूर ने किया।
टोर्गेइर लार्सन ने किया नार्वे के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व
नार्वे के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व नार्वे के विदेश मंत्रालय के महासचिव टोर्गेइर लार्सन ने किया। दोनों पक्षों ने इस साल मार्च में भारत और ईएफटीए सदस्य देशों (यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ) के बीच व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (टीईपीए) पर हस्ताक्षर करने की भी सराहना की।
ईएफटीए के सदस्य देशों- आइसलैंड, लिचटेंस्टीन, नार्वे और स्विट्जरलैंड ने लगभग 16 वर्षों की बातचीत के बाद भारत के साथ टीईपीए पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत चार यूरोपीय देश अगले 15 वर्षों में भारत में 100 अरब अमेरिकी डॉलर निवेश करने पर विचार कर रहे हैं।