नासा ने गुजरात के कच्छ में मौजूद लूना क्रेटर की एक बेहद आकर्षक तस्वीर जारी की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस लूना क्रेटर को 24 फरवरी को लैंडसैट 8 उपग्रह के माध्यम से कैप्चर किया था। नासा ने बताया कि साइट पर मौजूद कई अवशेषों का रेडियोकार्बन डेटिंग किया गया जिसके बाद टीम ने पता लगाया कि आज से 6900 साल पहले उल्कापिंड के प्रभाव से यह बना था।
नासा ने गुजरात के कच्छ में मौजूद लूना क्रेटर की एक बेहद आकर्षक तस्वीर जारी की है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस लूना क्रेटर (Luna Crater) को 24 फरवरी को लैंडसैट 8 उपग्रह के माध्यम से कैप्चर किया था। NASA ने अपने एक पोस्ट में बताया कि लैंडसैट 8 उपग्रह पर मौजूद ऑपरेशनल लैंड इमेजर (OLI) का उपयोग कर इस तस्वीर को कैप्चर किया गया।
नासा ने जारी की तस्वीर
नासा ने अपने पोस्ट में कच्छ में मौजूद लूना क्रेटर की एक तस्वीर जारी करते हुए कहा कि आपने क्लेयर डी लूना के बारे में तो सुना है। इस लूना की तस्वीर को लैंडसैट 8 उपग्रह के माध्यम से फरवरी 2024 में कैप्चर किया गया। यह भारत में गुजरात के मैदानी इलाके में एक उल्कापिंड प्रभावित स्थल है, जिसका नाम लूना क्रेटर है।
उल्कापिंड होने के मिले संकेत
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने अपने एक विज्ञप्ति में बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों को संदेह था कि उल्कापिंड के पृथ्वी पर गिरने के बाद यह लूना क्रेटर बना था। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है कि बाहरी अंतरिक्ष से आई किसी वस्तु के कारण यह बना था। NASA ने कहा कि अब, संरचना के एक भू-रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि इसमें उल्कापिंड प्रभाव के विशिष्ट लक्षण शामिल हैं।
6,900 साल पहले बना था लूना क्रेटा
नासा ने बताया कि साइट पर मौजूद कई अवशेषों का रेडियोकार्बन डेटिंग किया गया, जिसके बाद टीम ने पता लगाया कि आज से 6,900 साल पहले उल्कापिंड के प्रभाव से यह बना था। नासा ने आगे कहा कि यह अभी पता नहीं चल पाया है इसका निर्माण मनुष्यों के आगमन से पहले हुआ था या नहीं।