नई दिल्ली : कालेधन पर नियंत्रण और डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गत वर्ष 8 नवंबर को लिया गया नोटबंदी का ऐतिहासिक फैसला अर्थ व्यवस्था के लिए मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ. पीएम के इस फैसले से अर्थव्यवस्था को करीब 5 लाख करोड़ का लाभ हुआ है. सरकार की एक उच्च स्तरीय आंतरिक आंकलन रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
सूत्रों की मदद से रिपोर्ट से जुडी जानकारी के अनुसार पिछले साल 8 नवंबर को जब प्रधानमंत्री ने अचानक नोटबंदी का फैसला लिया था उस समय हमारी अर्थव्यवस्था में करीब 17.77 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट चलन में थे. वहीं मई, 2017 में उपयोग किए जा रहे बैंक नोटों का मूल्य करीब 19.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. वहीं अप्रैल के आखिर में rbi से मिले आंकड़ों के अनुसार कुल 14.2 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में हैं.जो लेनदेन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं.इसका अर्थ यह हुआ कि इस समय अर्थव्यवस्था में करीब 5 लाख करोड़ रुपये कम है.यानी इनकी संख्या में कमी देश के लाभप्रद है. जबकि नोटबंदी के दूसरे फायदों में टैक्स आधार का बढ़ना, डिजिटल लेनेदेन में वृद्धि , बैंक जमा में बढ़ोतरी और हाउसिंग सेक्टर में मजबूती भी शामिल है.
नोटबंदी के कारण निजी आयकर राजस्व भी अगले दो वर्षों में दोगुना हो जाएगा. सेल्फ टैक्स असेसमेंट फॉर्म भरने वाले लोगों की संख्या में 23.8 फीसदी का उछाल आना अच्छा संकेत है.लोग डिजिटल लेनदेन को पसंद करने लगे हैं.वित्त वर्ष 2016-17 में 300 करोड़ डिजिटल लेनदेन हुआ है.वहीं वित्तवर्ष 2017 में 240 करोड़ का लेनदेन हो गया .BHIM और UPI पेमेंट गेटवे से अभी रोजाना करीब 140 करोड़ रुपये का लेनदेन हो रहा है.डेबिट कार्ड का भी उपयोग बढ़ा है.डेबिट कार्ड से 2016-17 में 240 करोड़ लेनदेन हुआ जिसका मूल्य 3.3 लाख करोड़ हैं.
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