अगरतला। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को ठीक उसी तरह सर्वसम्मति से उम्मीदवार तय करने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, जैसा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार न किया था। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “2002 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार तय करने की पहल की थी। लेकिन मोदी सरकार ने अभी तक कोई ऐसी प्रक्रिया शुरू नहीं की है।”
वामपंथी सांसद ने कहा, हो सकता है कुछ पार्टियां इसके लिए राजी न हो, लेकिन सरकार सर्वसम्मत उम्मीदवार तय करने के लिए अन्य पार्टियों से परामर्श लेने की पारंपरिक प्रक्रिया तो शुरू कर सकती है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस दिशा में 20 अप्रैल को ही अपना कदम उठा चुकी है। उसने माकपा को इसमें शामिल किया है और बाद में तृणमूल कांग्रेस भी इससे जुड़ गई।
सीताराम येचुरी ने कहा कि माकपा आम सहमति से तय उम्मीदवार चाहती है। माकपा महासचिव ने कहा कि देश में जो हालात बन रहे हैं, उसे देखते हुए राष्ट्रपति पद की महत्ता काफी अहम हो गई है। यह पद सिर्फ भारतीय संविधान के संरक्षक का नहीं है, बल्कि मुश्किल हालात में राष्ट्रपति की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। यह पूछे जाने पर कि क्या प्रणब मुखर्जी को दूसरा कार्यकाल मिलना चाहिए, माकपा नेता ने कहा कि अगर ऐसा होता है, तो सभी वामदल इसका समर्थन करेंगे।