पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा किया। वहीं अब रेरा की शक्तियां पुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर को सौंपने वाली अधिसूचना पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने पंजाब सरकार, केंद्र सरकार समेत अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के इकलौते सदस्य को अनिवार्य छुट्टी पर भेजने और रेरा के अधिकार आईएएस अधिकारी एमएस जग्गी को अथॉरिटी के तौर पर सौंपने पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सवाल उठाते हुए इसके लिए जारी 12 मार्च की अधिसूचना पर रोक लगा दी है।
हाईकोर्ट ने कहा कि इस संवेदनशील समय में रेरा की महत्वपूर्ण शक्तियां इस प्रकार से छीनना जनहित में नहीं है। इसके साथ ही पंजाब सरकार, केंद्र सरकार व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
चंडीगढ़ निवासी कीर्ति संधू व जीरकपुर निवासी अमृतपाल संधू ने एडवोकेट जतिन बंसल और अंकित ककानी के माध्यम से याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट में 12 मार्च की अधिसूचना को चुनौती दी है। याची ने बताया कि पंजाब में रेरा एक चेयरमैन और दो सदस्य के साथ कार्य कर रहा था। पांच जनवरी, 2024 को मेंबर अजय पाल सिंह रिटायर हो गए और इसके बाद रहस्यमय परिस्थितियों में चेयरमैन ने सात फरवरी को इस्तीफा दे दिया। ऐसे में केवल एक सदस्य बाकी रहा जिसे चार महीने के लिए अनिवार्य छुट्टी पर भेज दिया गया।
इसके बाद सरकार ने 9 मार्च को रेरा को चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्तियां होने तक निलंबित करने के लिए 11 मार्च तक आपत्तियां मांग ली। याची ने कहा कि 9 मार्च को शनिवार था जो कार्य दिवस नहीं था और 10 को रविवार छु्ट्टी का दिन। ऐसे में किसी को आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं मिला। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस प्रकार का कार्य संशय पैदा करता है क्योंकि एक सदस्य को अनिवार्य छुट्टी पर भेजा गया है, जबकि 2022 में जब रेरा में एक मेंबर था तो सरकार ने उसी को रेरा की शक्तियां दे दी थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब सरकार को सवालों के घेरे में खड़ा करते हुए अब रेरा की शक्तियां पुडा के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर को सौंपने वाली अधिसूचना पर रोक लगा दी है। साथ ही पंजाब सरकार, केंद्र सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
पंजाब सरकार ने याचिका पर उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल सीनियर एडवोकेट गुरमिंदर सिंह गैरी ने कहा कि सदस्य की रिटायरमेंट से पहले ही नए सदस्य की नियुक्ति के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी गई थी। इस बारे में हाईकोर्ट को पत्र भी लिखा गया था। नियुक्ति की प्रक्रिया मुख्य न्यायाधीश की सलाह से पूरी होती है और ऐसे में सरकार की ओर से कोई कोताही नहीं हुई। साथ ही इस मामले को जनहित याचिका के तौर पर दाखिल करने पर भी उन्होंने सवाल उठाया।