कांग्रेस की भूपेंद्र हुड्डा सरकार ने 2013 में फैसला लिया था कि प्रदेश के पूर्व सीएम को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाएगा। इसमें लाल बत्ती, झंडी वाली सरकारी गाड़ी, चंडीगढ़ में सरकारी कोठी, निजी सचिव, सहायक, ड्राइवर, पीएसओ और चपरासी मिलेंगे। मनोहर लाल सरकार ने लोगों की नाराजगी का वास्ता देकर ये फैसला पलट दिया था।
साढ़े नौ साल हरियाणा के सीएम रहे मनोहर लाल को न तो सरकारी बंगला मिलेगा और न नौकर-चाकर। दरअसल मनोहर लाल जब पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को मिलने वाले कैबिनेट मंत्री के दर्जे को समाप्त कर दिया था। इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री को सिर्फ पूर्व विधायक वाली सुविधाएं मिलती हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में हुआ था। दो मई 2013 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मंत्रिमंडल की बैठक में पूर्व सीएम को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला लिया था। इस फैसले के तहत पूर्व सीएम को लाल बत्ती, झंडी वाली सरकारी गाड़ी, राजधानी चंडीगढ़ में सरकारी कोठी, एक निजी सचिव, एक सहायक, एक ड्राइवर, चार पीएसओ और दो चपरासी मिलते थे।
2014 में हुड्डा जब सीएम की कुर्सी से हटे तो उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया। करीब दो साल तक उन्हें यह दर्जा व सुविधाएं मिलीं। अप्रैल 2016 में मनोहर लाल ने इस फैसले को पलट दिया। तर्क यह दिया गया कि पूर्व सीएम को इतनी सुविधाएं देने से राज्य के लोगों में नाराजगी है।
सिर्फ दो पूर्व सीएम को मिला कैबिनेट मंत्री का दर्जा
हरियाणा में अब तक सिर्फ दो पूर्व सीएम को ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला। यह हैं हुकुम सिंह और भूपेंद्र सिंह हुड्डा। पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला को भी मिलना था, मगर हुड्डा जब यह नियम लाए उस समय ओपी चौटाला जेबीटी घोटाले में जेल में थे।
अब करनाल होगा ठिकाना
सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद मनोहर लाल का ठिकाना फिलहाल चंडीगढ़ की कबीर कुटिया (सीएम हाउस) में ही है। अब करनाल हो जाएगा क्योंकि वह वहां से लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। विधानसभा चुनाव भी वहीं से लड़े थे। वहां उनके पास अब घर है। इसी जनवरी में उन्होंने रोहतक के गांव बनियानी में बने पुश्तैनी घर को बच्चों के लिए ई-लाइब्रेरी बनाने को जिला प्रशासन को सौंप दिया था। यह पुश्तैनी घर उनके माता-पिता की निशानी थी।
2019 के विधानसभा चुनाव में दिए अपने हलफनामे में उन्होंने इस पैतृक घर को एकमात्र गैर-कृषि संपत्ति घोषित किया था। हलफनामे के अनुसार संपत्ति का अनुमानित क्षेत्रफल 1,350 वर्ग फुट है और निर्मित क्षेत्र 800 वर्ग फुट है। अक्तूबर 2019 में घर की कीमत करीब 3 लाख रुपये थी। इसके अलावा इसी गांव में उनके पास 12 कनाल कृषि भूमि है, जो उन्हें विरासत में मिली थी। 2019 में इसकी कीमत करीब 30 लाख रुपये थी।