केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने रविवार को कहा कि वादे के मुताबिक अक्टूबर, 2018 तक गंगा को निर्मल बना दिया जाएगा, लेकिन गंगा की अविरलता हासिल करने में सात वर्ष और लग जाएंगे। समाचार चैनल आज तक द्वारा आयोजित एक समारोह के दौरान उमा भारती ने कहा, “मैं समयसीमा के हिसाब से काम कर रही हूं। हमने पिछले वर्ष जुलाई में गंगा निर्मलीकरण अभियान का पहला चरण शुरू किया और अक्टूबर, 2018 तक इसे पूरा करेंगे। लेकिन गंगा की अविरल धारा बहाल करने में समय लगेगा। इसमें सात वर्ष तक का समय लग सकता है।”
उमा ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव-2014 में गंगा कोई मुद्दा नहीं था, लेकिन भाजपा के घोषणा-पत्र में इसे जगह दी गई थी। उमा ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब बनारस में प्रचार अभियान के दौरान गंगा का मुद्दा उठाया, तब इस मुद्दे को घोषणा-पत्र में डाला गया और इसकी जिम्मेदारी मुझे सौंप दी गई।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार इस परियोजना को लाभ पहुंचाएगी तो उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में इससे पहले की अखिलेश यादव सरकार के साथ सहयोग के स्तर में कमी थी। राज्य के नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्र को सहयोग देंगे, क्योंकि वह गंगा के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं।”
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने हाल ही में कहा था कि गंगा एक बूंद भी साफ नहीं हुई है और गंगा निर्मलीकरण के लिए आवंटित जनता के पैसे का सही उपयोग नहीं हो सका है। न्यायाधिकरण की इस टिप्पणी को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उमा ने कहा कि जहां जरूरत नहीं लगी, वहां उन्होंने एक पैसा भी खर्च नहीं किया है। उमा ने कहा, “नमामि गंगे परियोजना के लिए आवंटित 20,000 करोड़ रुपये की राशि लैप्स होने वाली नहीं है। हमने अभी इस योजना पर काम शुरू ही किया है और हमने गलत जगह या जहां जरूरत नहीं हो, वहां एक पैसा भी नहीं खर्च किया है।”
बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उमा भारती पर आपराधिक साजिश का आरोप बहाल करने के आदेश पर उन्होंने कहा कि वह राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा थीं, लेकिन उन्हें किसी तरह की साजिश की कोई जानकारी नहीं थी। उमा ने कहा, “मुझे तो यह भी नहीं पता था कि मैं इस तरह की किसी साजिश का हिस्सा हूं। मैं देश पर आपातकाल थोपने वाली कांग्रेस की मांग पर मंत्रिमंडल से इस्तीफा नहीं दूंगी।”