श्रमजीवी विस्फोट कांड में बुधवार को दो आतंकियों को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई। इसके लिए कोर्ट ने 106 पेज में फैसला सुनाया गया। 18 साल बाद हुई इस सजा में कुल 46 गवाह पेश हुए। इसमें अभियोजन पक्ष से 43 गवाह व आतंकी पक्ष से तीन गवाह पेश हुए।
तीन में दो गवाह दोनों आतंकी व तीसरे गवाह के रूप में दिल्ली के 30 हजार कोर्ट के अलहमद राजीव वर्मा रहे। इसमें 24 जुलाई 2006 में आरोप बना। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार राय ने 106 पेज की फैसले में कहा कि आरोपियों का यह कृत्य, षड्यंत्र के तहत सोच विचार कर जन सामान्य में आतंक एवं भय पैदा करने की मंशा के तहत निर्दयतापूर्वक क्रूर पाश्विक सोच के साथ की गई है।
आपराधिक विधि का सिद्धांत है कि अभियुक्त को दी जाने वाली सजा कृत अपराध के समतुल्य होनी चाहिए। माननीय उच्चतम न्यायालय के द्वारा दृष्टांत स्वरूप बताए गए विरलतम मामलों की श्रेणी में यह मामला आता है। आरोपियों के साथ सहानुभूति दिखाने एवं उनके साथ नरमी बरते जैसा जाने का कोई औचित्य नहीं है।
फैसले के खिलाफ जाएंगे हाईकोर्ट
आतंकी बांग्लादेशी हिलाल व विस्फोटकांड में सहयोग करने के आतंकी नफीकुल विश्वास निवासी पश्चिम बंगाल के मुकदमे की पैरवी करने वाले अधिवक्ता ताजुल हसन ने कहा कि हम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं लेकिन इस फैसले से संतुष्ट नहीं है इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। आतंकी नफीकुल विश्ववास ने कहा कि हमारे साथ गलत हुआ। न्याय नहीं मिला, ऊपर कोर्ट में गुहार लगाएंगे। आतंकी हिलालुद्दीन ने कहा कि न्यायालय के ऊपर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते है।
न्यायालय का न्यायप्रिय फैसला
आतंकी के खिलाफ आने वाला यह फैसला बहुत सराहनीय है। इस तरह से फैसला आने पर कोई भी आतंकी आतंक करने में भयभीत होगा। न्यायालय का फैसला बहुत न्यायप्रिय है। इसके लिए काफी मेहनत की गई। -वीरेंद्र प्रताप मौर्या, अपर शासकीय अधिवक्ता
कोर्ट के फैसले की अधिवक्ता वादकारियों ने की प्रशंसा
श्रमजीवी विस्फोट कांड के मामले में आतंकी आरोपी हिलाल व नफीकुल विश्वास को फांसी की सजा सुनते ही बाहर जमा अधिवक्ताओं व अधिकारियों की भीड़ ने खुशी जाहिर की। शासकीय अधिवक्ता फौजदारी सतीश कुमार पांडेय व राजेश उपाध्याय ने अदालत के इस फैसले की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह फैसला आतंकवाद को रोकने में मिल का पत्थर साबित होगा। इस तरह के फैसले से आतंकी भयभीत होंगे और यह संदेश जाएगा कि अपराध करोगे तो दंड जरूर मिलेगा।
सजा सुनते ही लटक गए चेहरे
सजा मिलने के बाद बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास ने अपना माथा पकड़ लिया। दोनों ही आतंकियों का सिर झुक गया था। दोनों ही आतंकी फैसले से नाखुश रहे। कोर्ट में 3.13 बजे पहुंचने के बाद वह सजा को लेकर बेचैन दिखाई दिए। इस दौरान इनका हाथ कभी इनकी ढुढ़ी पर तो कभी जेब के अंदर रहा। वह एक बार जज साहब के आने के बारे में भी अधिवक्ताओं से पूछते देखे गए।
श्रमजीवी विस्फोट कांड के दो आतंकियों को मृत्युदंड की सजा
आपको बता दें कि जौनपुर की अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश राय की कोर्ट ने बुधवार को श्रमजीवी विस्फोट कांड के दोषी दो आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई। बांग्लादेशी आतंकी हिलालुद्दीन और पश्चिम बंगाल के नफीकुल विश्वास को फैसला सुनाया गया। इसमें बीते 22 दिसंबर 2023 को दोनों को दोषी करार दिया गया था।
अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार राय की अदालत में बुधवार को 18 साल पहले श्रमजीवी विस्फोट एक्सप्रेस में बम रखने के आरोपित बांग्लादेश निवासी हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन व विस्फोट में सहयोग करने का आरोपित बंगाल निवासी नफीकुल विश्वास को पेश किया। कड़ी सुरक्षा के बीच दोपहर 3.13 बजे इन्हें कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
शाम 4.15 बजे न्यायाधीश अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम राजेश कुमार राय द्वारा हिलाल उर्फ हिलालुद्दीन को धारा 148 में तीन वर्ष की सजा व पांच हजार रुपये अर्थदंड, धारा 302 भा.द.स. में मृत्युदंड, धारा 307 भा.द.स. 10 वर्ष की कारावास व पांच लाख रुपये अर्थदंड, धारा तीन विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में आजीवन कारावास व पांच लाख रुपये अर्थदंड, धारा 150 रेलवे अधिनियम में आजीवन कारावास, धारा 14 फारेनर्स एक्ट में पांच वर्ष की सजा व 20 हजार का अर्थदंड दिया गया।
आतंकी नफीकुल विश्वास को धारा 148 में तीन वर्ष की सजा, पांच हजार रुपये अर्थदंड, धारा 302 भा.द.स. में मृत्युदंड, धारा 307 भा.द.स. में 10 वर्ष की सजा व पांच लाख रुपये अर्थदंड, धारा तीन विस्फोटक अधिनियम में आजीवन कारावास व पांच लाख रुपये अर्थदंड, धारा 150 रेलवे अधिनियम में आजीवन कारावास से दंडित किया गया। अदालत के फैसले के बाद दोनों को आदेश की कॉपी के लिए इंतजार करना पड़ा। इसके बाद दोनों को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल भेज दिया गया।