दिल्ली-एनसीआर में खराब होती हवा के कारण सांस के मरीजों पर दवाएं बेअसर हो रही है। ऐसे मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर आपातकालीन में अस्पताल लाना पड़ रहा है। कई मरीजों की हालत इतनी गंभीर हो जाती है कि उन्हें वेंटिलेटर पर शिफ्ट करना पड़ता है।
सांस रोग के विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मरीजों की हालत सामान्य रखने के लिए दवाएं चलती है, लेकिन प्रदूषण का स्तर बढ़ने के बाद दवाएं भी बेअसर हो रही हैं। दवा से गंभीर होता रोग कंट्रोल नहीं हो पा रहा। पिछले कुछ दिनों से अस्पतालों के आपातकालीन विभागों में ऐसे मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
एम्स में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. अनंत मोहन ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में आपातकालीन विभाग में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ी है। सांस के मरीजों को सामान्य रखने के लिए दवाएं चलती है, लेकिन सर्दी शुरू होते ही प्रदूषण का स्तर सामान्य से ऊपर चला जाता है। ऐसे में दवाएं भी बेअसर हो जाती है और ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। उन्होंने कहा कि यदि किसी ऐसे मरीजों को लंबी खांसी हो, बलगम बढ़ जाए, दवा खाने के बाद भी आराम न मिले तो तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। ऐसे मरीजों की दवाओं का डोज बढ़ाना पड़ता है। जरूरत पड़ने पर अस्पताल में भी भर्ती करना पड़ता है।
पिछले 25 सालों में बढ़ा ग्राफ
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण बढ़ रही समस्याओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, अस्पताल में आने वाले मरीजों में इजाफा नहीं देखा जा रहा, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सुविधा सीमित है। ऐसे में उक्त आकड़े से अनुमान नहीं लगाया जा सकता। लेकिन सोसायटी में किए गए अध्ययन बताते हैं कि पिछले 25 सालों में इसमें लगातार बढ़त दर्ज की जा रही है।
बच्चों की बढ़ी परेशानी
सुबह के समय प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण बच्चों की परेशानी बढ़ गई है। जीटीबी, डीडीयू, आरएमएल सहित अन्य अस्पतालों के बाल रोग विभाग में इन दिनों बड़ी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे वायरल के लक्षण के साथ आ रहे हैं। लेकिन इनमें अत्याधिक खांसी देखने को मिल रही है। कई बच्चों की आंखें तक लाल हो जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि इनमें मौसम में बदलाव के साथ प्रदूषण से होने वाली शिकायत भी देखी गई है। ऐसे बच्चों को विशेष तौर पर प्रदूषण से बचाने की सलाह डॉक्टरों ने दी है।
बचाव के लिए क्या करें
– मास्क पहनने
– प्रदूषण वाली जगहों पर जाने से बचें
– एक्यूआई बढ़ने पर घर में ही रहे
– दवाओं को बंद न करें
– बच्चे, बुजुर्ग पर रखें विशेष ध्यान