काकादेव का हिस्ट्रीशीटर सुशील शर्मा उर्फ बच्चा शहर का सबसे बड़ा ड्रग माफिया था। वह अपने गुर्गों के जरिए चरस, गांजे और स्मैक की बिक्री ऑनलाइन ऑर्डर लेकर कराता था। गुर्गों ने कोचिंग मंडी और ढाबों के आसपास की दुकानों में व्हाट्सएप नंबर दिए थे। इन पर ही ऑर्डर आता था।
कानपुर में रोज 55 किग्रा मादक पदार्थों (चरस, गांजा) की बिक्री की जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर में किस कदर मादक पदार्थों की खपत बढ़ चुकी है। वहीं, रोज 20 किग्रा मादक पदार्थ की बिक्री अकेले काकादेव थाना क्षेत्र में हो रही है। चिंता का विषय यह है कि इसी थाना क्षेत्र की कोचिंग मंडी में प्रदेश भर से भारी संख्या में छात्र-छात्राएं अपना भविष्य संवारने आते हैं, लेकिन धुएं में गुम हो जा रहे हैं।
शहर में मादक पदार्थ के गोरखधंधे से जुड़े एक सूत्र ने बताया चरस, गांजे की खेप नेपाल, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा व बिहार से लाई जाती है। इसके बाद उसे डीलरों के माध्यम से शहर के उन हिस्सों में पहुंचाया जाता है, जहां इनकी ज्यादा खपत है। मसलन रोज बिकने वाले 55 किग्रा मादक पदार्थ में से 20 किग्रा माल सिर्फ काकादेव कोचिंग मंडी से लेकर गोल चौराहे के बीच में बिक जाता है।
महिलाएं भी इस धंधे में जुड़ी हैं
सूत्र बताते हैं कि काकादेव में माल खरीदने वालों की उम्र 22 से 30 वर्ष के बीच होती है। इनमें से अधिकांश ग्राहक छात्र-छात्राएं हैं। वहीं, रोज 10 किग्रा माल की बिक्री किदवईनगर के कंजड़नपुरवा में की जाती है। यहां महिलाएं भी इस धंधे में जुड़ी हैं। ग्राहकों के निकलते ही सड़क के किनारे खड़ीं महिलाएं खुद उनके पास पहुंचती हैं और गांजे को प्लास्टिक पाउच में भरकर बेचती हैं। शेष 25 किग्रा माल को एक से दो किलो के पैकेटों में बनाकर उसे अन्य थाना क्षेत्रों में बेच दिया जाता है।
18 दिनों में पुलिस ने पकड़ा 74.950 किग्रा मादक पदार्थ
सूत्रों द्वारा बताए गए आंकड़ों की पुष्टि कहीं न कहीं खुद पुलिस भी अपनी महज 18 दिनों में की गई कार्रवाई से कर देती है। शहर में झुग्गी झोपड़ियों, दुकानों, पार्कों के साथ ऑनलाइन भी माल बेचा जा रहा है। पुलिस रिकाॅर्ड के अनुसार पिछले 18 दिन में पुलिस ने 10 मादक पदार्थ तस्करों को गिरफ्तार कर उनके पास से 74.950 किग्रा चरस व गांजा बरामद किया है।
युवाओं और छात्रों को बनाया जा रहा ड्रग एडिक्ट
काकादेव, बर्रा, नौबस्ता समेत अन्य कोचिंग मंडी में पढ़ने के लिए आसपास के जिलों से शहर में आने वाले छात्र किराये का कमरा या हॉस्टल में रहते हैं। ड्रग माफिया इन इलाकों में अपने गुर्गों को सक्रिय करके पहले युवाओं और छात्रों को नशे की लत लगवाते हैं, फिर उनकी जरूरत पूरी करने के लिए उनसे ही कमाई करते हैं। सूत्रों के अनुसार काकादेव कोचिंग मंडी में पूरे शहर में डिलीवर होने वाले माल का आधा हिस्सा खपाया जा रहा है। ड्रग माफिया अब आईआईटी, कानपुर यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों के हाॅस्टलों तक पैर पसार चुके हैं।
बच्चा ने शुरू की थी ऑनलाइन सप्लाई
काकादेव का हिस्ट्रीशीटर सुशील शर्मा उर्फ बच्चा शहर का सबसे बड़ा ड्रग माफिया था। वह अपने गुर्गों के जरिए चरस, गांजे और स्मैक की बिक्री ऑनलाइन ऑर्डर लेकर कराता था। गुर्गों ने कोचिंग मंडी और ढाबों के आसपास की दुकानों में व्हाट्सएप नंबर दिए थे। इन पर ही ऑर्डर आता था। तत्कालीन एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने पूरे गिरोह का भंडाफोड़ किया था। सुशील बच्चा उसके भाई समेत सात लोगों को पुलिस ने जेल भेजा था। वर्तमान में वह जेल बाहर है।
तनाव दूर करने का जरिया बता बेचा जाता है गांजा
ड्रग तस्कर गांजे को तनाव दूर करने का जरिया या एकाग्र मन की दवा बताकर कोचिंग मंडी के छात्रों के बीच पेश करते हैं। आसपास की दुकानों पर कोड में भी एकाग्र मन की दवा लिखकर मादक पदार्थ बेचा जाता है। छात्रों को तनाव दूर करने की दवा बताकर उन्हें नशे का आदी बनाया जाता है। फिर आसपास की इन्हीं दुकानों पर उन्हें 50 से 100 रुपये प्रति पाउच के हिसाब से माल खरीदने के लिए भेज दिया जाता है।