कांग्रेस नेतृत्व वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से अलर्ट मोड में है। उत्तराखंड में कांग्रेस का मजबूत जनाधार रहा है लेकिन उत्तराखंड कांग्रेस में जारी गुटबाजी ने पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ा दी है। इसी का नतीजा है कि गुरुवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के नेतृत्व में उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं के महामंथन हुआ।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में खींचतान और कलह पर अंकुश लग सकता है। पार्टी नेतृत्व ने नई दिल्ली में प्रदेश के तमाम बड़े नेताओं की बैठक में इसके संकेत दे दिए हैं। प्रदेश में लोकसभा की भले ही पांच सीट हैं, लेकिन पार्टी अपने परंपरागत जनाधार को लौटाने के लिए इन पर मजबूती से खम ठोकना चाहती है। यही नहीं, वरिष्ठ नेताओं के बीच मतभेदों को समाप्त कर एकजुट करने के लिए दिल्ली और उत्तराखंड में बैठकों का दौर शुरू हो सकता है।
कांग्रेस नेतृत्व वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर अभी से अलर्ट मोड में है। उत्तराखंड में कांग्रेस का मजबूत जनाधार रहा है। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने प्रदेश की सभी पांचों सीटों पर जीत का परचम लहराया था।
बदली तस्वीर में साफ झलक रही गुटबाजी
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद तस्वीर बिल्कुल बदल गई। पिछले लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ प्रदेश में एक भी सीट नहीं लगी। दिग्गज नेताओं की मौजूदगी के बावजूद जीत का खाता नहीं खुल पा रहा है। यह अलग बात है कि बुरी गत के बावजूद प्रदेश में वरिष्ठ नेताओं के बीच गुटबाजी चरम पर है। यह गुटबाजी और खींचतान लोकसभा चुनाव से पहले फिर सिर उठा रही है। कांग्रेस नेतृत्व इसे लेकर चिंतित है।
अब दिल्ली में सुलझेगी आपसी कलह?
लेकर पहली विधिवत बैठक में वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली बुलाकर पार्टी नेतृत्व ने अंतर्कलह को साधने का संदेश भी दिया है। बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे तो रहे ही, साथ में राहुल गांधी ने भी अपनी उपस्थिति से जाहिर कर दिया कि प्रदेश में पार्टी की मजबूती उनकी प्राथमिकता है। हिमाचल की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के बाद उत्तराखंड में भी पार्टी को अपना खोया जनाधार लौटने की उम्मीदें बंधी हैं।
दिल्ली आलाकमान ने लिया फीडबैक
यद्यपि, राष्ट्रीय नेतृत्व ने प्रदेश संगठन के माध्यम से भी चुनाव और गुटबाजी को लेकर फीडबैक लिया है। हालात को संभालने के लिए पार्टी के पर्यवेक्षक के रूप में पीएल पुनिया भी बीते अप्रैल माह में उत्तराखंड का दौरा कर चुके हैं। पूनिया अपनी रिपोर्ट पार्टी नेतृत्व को सौंप चुके हैं। अब वरिष्ठ नेताओं को साथ बैठाकर चुनाव में सबको साथ लेकर चलने की मंशा भी पार्टी ने जता दी है।