कर्नाटक के नतीजे बता रहे हैं कि हवा का रुख भांपकर पालाबदल करने वाले नेताओं ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया-भले ही उनमें से कुछ खुद हार गए हों। शेट्टार और सावदी के नतीजे अलग-अलग आए लेकिन दोनों के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।
कर्नाटक के चुनाव में अपनी हार के कारणों की पड़ताल करते हुए भाजपा को इस सवाल से भी जूझना होगा कि क्या टिकट बंटवारे के कारण उभरे असंतोष की गंभीरता को समझने में उससे फिर गलती हुई। पिछले साल हिमाचल प्रदेश में टिकट वितरण पर खुली नाराजगी को भी पराजय के कारण के रूप में गिना गया था और अब कर्नाटक में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का ऐन चुनाव से पहले पार्टी छोड़ना भाजपा को महंगा पड़ गया।
कर्नाटक के नतीजे बता रहे हैं कि हवा का रुख भांपकर पालाबदल करने वाले नेताओं ने भी भाजपा को नुकसान पहुंचाया-भले ही उनमें से कुछ खुद हार गए हों। शेट्टार और सावदी के नतीजे अलग-अलग आए, लेकिन दोनों के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का एक साझा संदेश यह गया कि सबसे भरोसेमंद लिंगायत वोट बैंक से जुड़ी डोर कमजोर हो रही है। भाजपा ने नए चेहरों को टिकट देने के लिए अनेक धुरंधरों के टिकट काटे थे, जिसने असंतोष को जन्म दिया। शेट्टार को हुबली-धारवाड (सेंट्रल) सीट से भाजपा के महेश तेनगिनाकाई ने शिकस्त दी, लेकिन सावदी को अपनी सीट जीतने में कोई दिक्कत नहीं हुई।
सावदी ने अतानी सीट पर भाजपा के महेश कुमाताली को 76122 वोटों से हराया। भाजपा से कांग्रेस में आने वाले एक अन्य नेता बाबूराव चिनचंसुर को गुरमितकल से जदएस प्रत्याशी शरणगौड़ा के हाथों नजदीकी मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा। यहां भाजपा के जिस प्रत्याशी को टिकट दिया गया, उन्हें महज नौ प्रतिशत मत मिले। न्यायलप्पा श्रीनिवास ने भी चुनाव के पहले भाजपा से कांग्रेस का दामन थामा था। वह एक लाख से अधिक वोट पाकर कुदिलगी से जीत गए। उनके आगे भाजपा प्रत्याशी लोकेश नायक को बमुश्किल आधे वोट मिले।
चिक्कानायाकांचाली से उतरे कांग्रेस प्रत्याशी किरन कुमार भी भाजपा में थे। उन्हें तीसरे स्थान पर रहना पड़ा। यहां जदएस के सुरेश प्रभु भाजपा के उम्मीदवार जे मधु स्वामी से दस हजार वोटों से जीते। चिकमंगलूर से कांग्रेस उम्मीदवार एचडी तमैया ने अपनी पूर्व पार्टी भाजपा के सीटी रवि को 5926 मतों से हरा दिया। मुदिगेरे पर भी नजर इसलिए थी, क्योंकि यहां से भाजपा का साथ छोड़ने वाले एमपी कुमारस्वामी लड़ रहे थे। उन्हें तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। कुमारस्वामी भाजपा से जदएस में आए थे। यहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, जिसमें कांग्रेस की नयना मोतम्मा ने भाजपा के दीपक डोडैया को 722 मतों से हराया।
मोलाकालमरु से कांग्रेस के टिकट पर उतरे एनवाई गोपालकृष्ण ने भाजपा के टिपेस्वामी को आसानी से 22149 मतों से हरा दिया। कांग्रेस के प्रति जनसमर्थन को जदएस में रहे एसआर श्रीनिवास ने भी भांप लिया था। गुब्बी से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में श्रीनिवास ने भाजपा के दिलीप कुमार को 8541 वोटों से हराया। इस चुनाव में भाजपा ने भी दूसरे दलों से आए प्रत्याशियों (18) को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन उनकी सफलता की दर बहुत कम रही, जबकि कांग्रेस ने ऐसे 23 प्रत्याशियों को टिकट दिया था।