छोटे बच्चों को कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए टीके लगवाना बहुत जरूरी है। बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से उनमें वायरल इंफेक्शन जल्दी होता है।आइए जानते हैं छोटे बच्चे के लिए कौन-कौन से टीके आवश्यक होते हैं।
मां बनना हर महिला के जीवन का महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। पूरे नौ महीने एक नन्ही जान को अपने भीतर महसूस करना बहुत ही खास अहसास होता है, लेकिन बच्चे का जन्म होने के बाद प्यार और दुलार के साथ सबसे ज्यादा जरूरी चीज होती है वैक्सीनेशन।
हालांकि कई पैरेंट्स छोटे बच्चों को वैक्सीन लगवाने से कतराते हैं। क्योंकि इंजेक्शन लगवाते समय बच्चे को काफी तकलीफ होती है। ऐसे में माता-पिता का भी दिल दुखता है, लेकिन कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए बच्चे को टीके लगवाना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं, छोटे बच्चे के लिए कौन-कौन से टीके आवश्यक होते हैं।
एमएमआर
छोटे बच्चों को लगने वाले टीके में एमएमआर बेहद महत्वपूर्ण है। यह टीका बच्चों को कई बीमारियां जैसे बुखार, खांसी, गले में दर्द, निमोनिया, भूख न लगना, थकान, नाक का बहना आदि समस्याओं से बचाता है। यह टीका 11-12 वर्ष की उम्र में बच्चों को दिया जा सकता है। इसकी दो खुराक होती है, जो 6 महीने के अंतराल पर दिया जाता है।
डीटीपी
इसका पूरा नाम डिप्थीरिया-टेटनस-पर्टुसिस है। दरअसल, टिटनेस एक गंभीर बैक्टीरियल इंफेशन है। इस समस्या में बच्चे को खाने, पीने, सांस लेने में परेशानी होती है, जिससे बच्चों में निमोनिया या अन्य समस्या का खतरा बना रहता है। यह वैक्सीन इस इंफेक्शन को रोकने में मदद करता है। आप इस इंफेक्शन से बचाव के लिए 11 साल की उम्र में ही बच्चे को टीका जरूर लगवाएं।
एचपीवी
एचपीवी वायरस के कारण त्वचा पर खुजली या मस्से की समस्या होती है। इस वायरस के कारण कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने का भी खतरा रहता है। 11-12 साल के उम्र के बच्चों के लिए यह टीका उपलब्ध है। इस टीके को 6 महीने के अंतराल पर दो खुराक में लगाया जाता है।
हेपेटाइटिस ए
बच्चों में पीलिया होना आम समस्या है, लेकिन यह बीमारी नवजात के लिए खतरनाक साबित हो सकती है। पीलिया से बचाव के लिए हेपेटाइटिस ए का टीका लगाना काफी जरूरी होता है। एमएमआर की तरह हेपेटाइटिस-ए भी छह महीने के अंतराल पर दो बार लगाया जाता है।
टाइफाइड का टीका
बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होने की वजह से उनमें वायरल इंफेक्शन जल्दी होता है। टाइफाइड बुखार इंफेक्शन के कारण होता है। यह बच्चों को आसानी से अपने चपेट में लेता है। इस बीमारी से बचाव के लिए 6 महीने की उम्र में बच्चों को इस टीके की डोज दी जा सकती है।
वैरिकाला वैक्सीन
बच्चों में चिकन पॉक्स की शुरुआत स्किन पर दाने निकलने से होते हैं। इसमें बुखार की भी संभावना हो सकती है। चिकनपॉक्स से बचाव के लिए, वैरिकाला वैक्सीन देना काफी आवश्यक है । इस टीके की पहली खुराक 12-18 महीने की उम्र के बच्चों को दी जाती है और दूसरी खुराक 4-6 साल की उम्र के दौरान।
मेनैक्ट्रा वैक्सीन
मेनैक्ट्रा वैक्सीन मेनिंगोकोकल की बीमारी से बचाने का काम करती है। इस बीमारी में तेज बुखार, सिर दर्द, उल्टी, रैशेज आदि की संभावना रहती है। इसके अलावा ज्यादा नींद आना, चिड़चिड़े होना
होना, ठीक से न खाना आदि लक्षण भी नजर आ सकते हैं। ऐसे में बच्चों को मेनैक्ट्रा वैक्सीन का डोज देना आवश्यक है। इस वैक्सीन की खुराक 9- 23 महीने की उम्र के बच्चों को दिया जा सकता है। हालांकि बच्चों को यह वैक्सीन कब देनी चाहिए, इसके लिए आप डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।