शीतला अष्टमी को बसौड़ा नाम से भी जानते हैं। इस दिन मां शीलता की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। ऐसेमें जानिए शीतला अष्टमी और सप्तमी तिथि को कौन से काम करनें चाहिए और कौन से नहीं।
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला सप्तमी और अष्टमी के साथ मां शीतला की विधिवत पूजा करने का विधान है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को शीतला अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस साल शीतला सप्तमी व्रत 14 मार्च और अष्टमी 15 मार्च को रखा जा रहा है। शीतला अष्टमी व्रत को बसौड़ा अष्टमी भी कहा जाता है। क्योंकि इस दिन मां शीतला को बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार माना जाता बै कि मां शीतला की विधिवत पूजा करने से शरीर में शीतलता आने के साथ हर रोग से छुटकारा मिल जाता है। ऐसे में जानिए आखिर शीतला अष्टमी के दिन कौन से काम करने की मनाही है और क्या करना चाहिए।
शीतला अष्टमी पर न करें ये काम
- शीतला अष्टमी के दिन चूल्हा नहीं जलाना चाहिए। इस दिन बासी भोजन ही करना चाहिए।
- मां शीतला को ताजा भोजन का बिल्कुल भी भोग न लगाएं, बल्कि शीतला सप्तमी के दिन बनाए गए भोजन का ही सेवन रें।
- शीतला अष्टमी के दिन घर में झाड़ू लगाने की मनाही होती है।
- शीतला अष्टमी के दिन नए कपड़े या फिर डार्क कलर के कपड़े पहनने से बचना चाहिए।
- इस दिन मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
- मान्यताओं के अनुसार, शीतला अष्टमी के दिन सुई में धागा नहीं डालना चाहिए और न ही सिलाई करनी चाहिए।
- शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन लहसुन-प्याज जैसे तामसिक चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए।
- शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन पशु-पक्षियों को बिल्कुल भी परेशान नहीं करना चाहिए। खासकर गधे को, क्योंकि इस पशु को मां शीतला का वाहन माना जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को कुष्ठ रोग हो जाता है।
शीतला अष्टमी और सप्तमी पर क्या करें
- शीतला सप्तमी के दिन मां शीतला को भोग लगाने के लिए मीठे चावल जरूर बनाएं। इसके अलावा चने की दाल भी बनाएं।
- इस दिन स्नान आदि करने के बाद होलिका दहन वाली जगह पर आटे के दीपक में घी की बाती लगाकर जलाएं। इसके साथ ही मीठे चावल, चने की दाल और हल्दी आदि भोग के रूप में चढ़ाएं।
- मां शीतला को हल्दी और रोली का तिलक जरूर लगाएं।