स्किन को निखारने के लिए आयुवेर्दिक उपाय बेहद होता है कारगर, तो आइए जानें इसके बारे में..

गोरी त्वचा पाने की चाहत में हम अपनी त्वचा पर ढेरों नुस्खे अपनाते हैं तो त्वचा के लिए घातक हो सकते हैं। स्किन को निखारने के लिए आयुवेर्दिक उपाय बेहद कारगर हो सकते हैं। आइए जानते हैं..

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 हमारी त्वचा प्राकृतिक रूप से बेहतरीन होती है, हल्का सा मेकअप भी त्वचा की खूबसूरती में चार-चांद लगा सकता है। हमारी अनदेखी या लापरवाही की वजह से ही त्वचा को नुकसान पहुंचता है, जिसके चलते कई बार एक्ने, हाइपर-पिगमेंटेशन, आंखों के आस-पास डार्क सर्कल्स, मुंह के किनारे पर पिगमेंटेशन तथा गर्दन, कोहनी या बगलों में एकैंथोसिस का शिकार हो जाते हैं। इसके अलावा कई बार गोरी त्वचा पाने की चाहत में हम अपनी त्वचा पर ढेरों नुस्खे अपनाते हैं तो त्वचा के लिए घातक हो सकते हैं। त्वचा को गोरा बनाने के लिए हम केमिकल ट्रीटमेन्ट जैसे ब्लीच, कैमिकल पील, हाइड्रोक्विनोन क्रीम का सहारा लेते हैं, ये सभी ट्रीटमेन्ट लम्बे समय में त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

लेकिन ऐसी क्या चीज़ है जो हमारी त्वचा को अनुकूल बनाती है? संभवतया इस सवाल का जवाब जानने के लिए पहले हमें त्वचा की संरचना को समझना होगा। हमारी त्वचा में कोलेजन इलास्टिन फाइबर होते हैं, जो त्वचा को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कोलेजन की वजह से त्वचा मोटी होती है। किसी भी केमिकल ट्रीटमेन्ट को चुनने से पहले इस बात को समझ लें कि भारतीयों की त्वचा आमतौर पर मोटी होती है। और त्वचा का रंग इसमें मौजूद मेलानिन की मात्रा के आधार पर गोरे से गेहुआ हो सकता है।

इसका अर्थ यह है कि भारतीयों में टैनिंग की संभावना अधिक होती है, लेकिन अक्सर सनबर्न नहीं होता। हमारी त्वचा में एजिंग के लक्षण उम्र बढ़ने पर ही दिखते हैं। ऐसे में अगर हम हर सीज़न में अपनी त्वचा को ठीक से मॉइश्चराइज़ करें तो हमें कभी फाईन लाईन नहीं होंगी। लेकिन हमारी त्वचा में टैनिंग की संभावना अधिक होती है, इसलिए हमें सही समय पर टैनिंग निकालने के लिए सही तरीके अपनाने चाहिए, अन्यथा यह टैन एपिडर्मल हाइपर-पिगमेन्टेशन का रूप ले लेता और बाद में डर्मल हाइपर-पिगमेंटेशन बन जाता है।

भारत में 3000 साल पहले आयुर्वेद का जन्म हुआ। अपनी त्वचा के लिए सही आयुवेर्दिक उपाय बेहद कारगर हो सकते हैं, लेकिन हर व्यक्ति इन्हें सही तरीके से नहीं अपनाता। हर किसी को उपचार की ज़रूरत नहीं होती। हालांकि आयुर्वेद की कुछ सलाह हम सभी के लिए है-

दिन के समय

-त्वचा को पानी और तेल से साफ करें।

-मॉइश्चराइज़ करें।

-त्वचा को सुरक्षित रखें।

शाम के समय

-त्वचा को साफ करें ।

-मॉइश्चराइज़ करें।

-हील करें।

सहीं ज्ञान एवं आर्युर्वेद के सिद्धान्तों के उचित उपयोग द्वारा आप सही मायनों में अपनी त्वचा को हमेशा जवां बनाए रख सकते हैं।

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