पाकिस्तान के सेना प्रमख जनरल कमर जावेद बाजवा ने हाल ही में इमरान खान द्वारा पाकिस्तान की सेना और उसके वरिष्ठ अधिकारियों पर की गई टीका-टिप्पणी पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग केवल अपने निजी फायदे के लिए कुछ भी करने से नहीं चूकते हैं। इसलिए ऐसे लोगों से बचकर रहना चाहिए। रक्षा और शहीदी दिवस के मौके पर बतौर चीफ गेस्ट शामिल हुए जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि देश के शीर्ष नेताओं ने आर्मी को लेकर काफी कुछ कहा है जो सरासर झूठा है। ऐसा कहकर इन नेताओं ने आर्मी की साख को कम करने की कोशिश की है। लेकिन इसकी भी एक सीमा होती है। हालांकि उन्होंने इस दौरान किसी का नाम नहीं लिया।
सेना की छवि खराब करने की कोशिश
जनरल बाजवा ने कहा कि ऐसे नेताओं ने केवल अपने निजी हितों के लिए इस तरह के आरोप सेना पर लगाए और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों की छवि को खराब करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि सेना के किसी भी जवान ने कभी भी देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया है। उन्होंने वहां मौजूद लोगों से पूछा कि क्या उन्हें इमरान खान के उस बयान पर विश्वास है जिसमें उन्होंने सेना पर उन्हें पीएम पद से हटाने की साजिश रचने का आरोप लगाया था। जनरल बाजवा ने कहा कि ऐसा कहकर इमरान खान ने केवल सरकार और सेना के बीच मतभेद पैदा करने की कोशिश की है।
ऐसे लोगों से बचने की जरूरत
उन्होंने देश को आगाह किया ऐसे लोगों से सचेत रहने की सख्त जरूरत है जो अपने निजी हितों के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग केवल झूठ बोलकर अपने हितों को साधने में विश्वास रखते हैं। ये लोग मतभेद पैदा कर अपना फायदा उठाने का काम करते हैं। जनरल बाजवा ने कहा कि ऐसे लोगों से निपअने के लिए सेना के पास कई तरह के विकल्प होते हैं। लेकिन, सेना कभी इन चक्करों में नहीं पड़ती और केवल देश की सुरक्षा पर ही ध्यान देती है। सेना कभी किसी के लिए भी नकारात्मक बयान नहीं देती है। लेकिन, सहने की अपनी सीमा होती है।
राजनीतिक पार्टियां लेंगी फैसला
सेनाध्यक्ष ने इमरान खान का नाम लिए बिना कहा कि उन्होंने जो कुछ उनके लिए कहा वो उस पर ध्यान नहीं देते हैं और उन्हें भूल चुके हैं। अब केवल आगे बढ़ने और पाकिस्तान को मजबूत करने का समय है, क्योंकि देश ही सबसे बड़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि राजनीतिक पार्टियां इन बयानों पर जरूर विचार करेंगे और आगे का काम करेंगी। उन्होंने यहां तक कहा कि हर किसी ने कोई न कोई गलती की है चाहे वो राजनीतिक पार्टियां हों या फिर सिविल सोसायटी हो या फिर संस्थान हो, लेकिन जरूरत है कि हम उस गलती से सबक सीखें और आगे के फैसले सही लें।