एक स्ट्रीट डॉग की मौत से युवती इस कदर आहत हुई कि उसने पानी की टंकी से कूदकर जान दे दी। मूलरूप से सरधना के ग्राम काकेपुर निवासी संजय त्यागी कंकरखेड़ा में श्रद्धापुरी फेज-दो में रहते हैं।
समाज में ऐसे भी लोग हैं जिनसे पशुओं का दर्द देखा नहीं जाता। ऐसा ही मामला मेरठ में सामने आया है, जहां एक स्ट्रीट डॉग की मौत से युवती इस कदर आहत हुई कि उसने पानी की टंकी से कूदकर जान दे दी। मूलरूप से सरधना के ग्राम काकेपुर निवासी संजय त्यागी कंकरखेड़ा में श्रद्धापुरी फेज-दो में रहते हैं। परिवार में मां सरोज त्यागी, पत्नी बबली, बेटा सार्थक और बेटी गौरी (19) हैं। संजय त्यागी गेल गैस कंपनी में कार्यरत हैं, बेटा सार्थक इंजीनियर है। बेटी गौरी ने हाल ही में नीट उत्तीर्ण किया था। शुक्रवार सुबह गौरी ने घर से कुछ दूर स्थित पानी की टंकी से छलांग लगा दी। लहूलुहान हालत में परिजनों ने उसे मंगलपांडे नगर स्थित अस्पताल में भर्ती कराया। देर शाम उसने दम तोड़ दिया। लोगों ने बताया कि गौरी को पशुओं से बेहद लगाव था। वह गाय, स्ट्रीट डॉग की काफी सेवा करती थी। गुरुवार को कार की टक्कर से एक स्ट्रीट डॉग की मौत हो गई थी, इससे वह सदमे में थी।
पशुओं की सेवा में बीतता था गौरी का दिन
गौरी पढ़ाई में बेहद होशियार थी। उसका अधिकांश समय पढ़ाई या फिर पशुओं की सेवा में बीतता था। नीट उत्तीर्ण के बाद उसके भविष्य के सफर की शुरुआत होनी थी लेकिन उससे पहले ही सफर थम गया। देर शाम बेटी की शव को लेकर परिजन गांव चले गए। श्रद्धापुरी निवासी संजय त्यागी गेल गैस में सिक्योरिटी आफिसर हैं। परिवार में मां सरोज त्यागी के अलावा पत्नी बबली, बेटा सार्थक और बेटी गौरी (19) रहे। उन्होंने बेटे को इंजीनियर की पढ़ाई कराई और बेटी गौरी को डाक्टर बनाने का सपना देखा।
पढ़ाई के अलावा गौरी पशुओं की सेवा करती थी। उसने काफी स्ट्रीट डॉग पाल रखे थे, जिन्हें हर रोज दूध-ब्रेड खिलाती। गौरी के पिता हर रोज पांच लीटर दूध परिवार से अलग लाकर देते थे। वह इस दूध को स्ट्रीट डॉग के छोटे पिल्लो को देती थी। डॉग भी उसकी आवाज सुनते ही दौड़े चले आते थे। इसी साल सीबीएसई से 12वीं परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर नीट एग्जाम दिया। पहले ही प्रयास में गौरी ने नीट उत्तीर्ण कर लिया। इसी माह उसे मेडिकल में काउंसलिंग में शामिल होना था। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।
उधर, मोहनपुरी निवासी निधि पशु प्रेमी हैं और बेजुबान आवारा पशुओं की सेवा करती हैं। गौरी के उठाए कदम से वह दुखी दिखीं। कहा कि गौरी को उस कार चालक को सजा दिलानी चाहिए थी, जिसने डॉग को टक्कर मारी। उसने यह क्यों नहीं सोचा कि आगे इन बेजुबानों की मदद कौन करेगा? एनीमल केयर सोसाइटी सचिव अंशुमाली वाशिष्ठ भी घटना से हैरान हैं। उनका कहना है कि कोई बेजुबान पशुओं से इतना भी प्यार कर सकता है कि उनके लिए अपना जीवन भी दांव पर लगा सकता है।
स्ट्रीट डॉग की देखी थी कार से टक्कर
परिजनों की मानें तो गुरुवार को गौरी स्ट्रीट डॉग को खाना खिला रही थी। तभी एक डॉग को कार की टक्कर लग गई। उसने जाकर देखा तो डॉग को काफी चोट आई थी। गौरी ने उसका उपचार भी कराया। शुक्रवार सुबह गौरी को डॉग के मरने की सूचना मिली और वह टंकी से कूद गई।