इस्तांबुल : तुर्की के प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति ने संसदीय शासन प्रणाली और राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लेकर जनमत संग्रह के परिणामों की घोषणा की। दरअसल यह जनमत संग्रह बहुत महत्वपूर्ण है। इस जनमत संग्रह के परिणाम राष्ट्रपति शासन प्रणाली को लेकर सकारात्मक आने पर इसका असर यह होगा कि तुर्की में राष्ट्रपति सर्वेसर्वा होगा। गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति का पद बेहद महत्वपूर्ण है उसी तरह से तुर्की में भी राष्ट्रपति, शासन व्यवस्था की बागडोर संभालेगा और फिर संविधान संशोधन के माध्यम से कथित तौर पर प्रधानमंत्री का पद समाप्त कर दिया जाएगा।
तो क्या अमेरिका अब उत्तर-कोरिया पर भी करेगा हमला?प्रधानमंत्री बिनाली यीलदीरिम द्वारा राष्ट्रपति तैयप एर्दोगन की शक्तियों में विस्तार के चलते होने वाले जनमत संग्रह को लेकर घोषणा की गई। अपनी घोषणा में प्रधानमंत्री बिनाली ने कहा कि संसदीय शासन प्रणाली व राष्ट्रपति शासन प्रणाली के समर्थन वाला खेमा जनमत संग्रह में भारी नज़र आया और प्रधानमंत्री ने इसकी जीत के दावे किए। जनमत संग्रह को लेकर तुर्की के प्रधानमंत्री ने जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी की बालकनी से समर्थकों को संबोधित किया।
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इस दौरान उन्होंने कहा कि लोग चाहते हैं कि राष्ट्रपति शासन प्रणाली अपनाई जाए। राष्ट्रपति शासन प्रणाली की हां वोट से पुष्टी की गई है। उनका कहना था कि इस तरह का निर्णय लोगों द्वारा लिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति शासन प्रणाली के समर्थन में लगभग 51.3 मतदाता रहे।
तुर्की के राष्ट्रपति तैयद एर्दोगन ने जनमत संग्रह में जीत की घोषणा की। उनका कहना था कि तुर्की में इस तरह की वोटिंग सकारात्मक होने से लोकतंत्र मजबूत हुआ है और इससे सेना का हस्तक्षेप बंद हो जाएगा। दरअसल तुर्की में राष्ट्रपति को कार्यकारी शक्तियां प्राप्त नहीं हैं। जनमत संग्रह के बाद तुर्की के संस्थापक मुस्तफा कमाल अतातुर्क व उत्तराधिकारी इस्मत इनोनु के बाद एर्दोगन यहां पर सबसे शक्तिशाली नेता हैं।