शिव जी: मार्च माह के शुरु होते ही सबसे पहला त्यौहार 1 मार्च को पड़ रहा है. ये है महाशिवरात्रि 2022. यह त्यौहार पूर्णता शिव जी को समर्पित है. इस पावन अवसर पर हम सभी शिव उपासना में पूरी तरह से लीन नजर आते हैं. आज हम आपको शिव, फाल्गुन माह में पड़ने वाली महाशिवरात्रि और ग्रह के विषय में कुछ गूढ़ बाते बताएंगे.
- शिव ही एक मात्र ऐसे देव हैं जो वैरागी, अघोरी के साथ ही गृहस्थ भी है. इनका पूरा परिवार समरसता पूर्ण हैं. क्योंकि इनके परिवार में विरोधी तत्व भी प्रेम के साथ रहते हैं. जैसे श्रीगणपति का चूहा.. और महादेव का भुजंग.. जहां भुजंग वहीं कार्तिकेय का मोर.. शिव के वृष यानी बैल तो वहीं माता पार्वती के सिंह सभी एक दूसरे का भक्षण करने वाले एक दूसरे का रक्षण करते हैं.
- महादेव के परिवार से शिक्षा लेते हुए हम लोगों को भी एक बात ध्यान रखनी चाहिए कि परिवार में विरोधी स्वभाव के सदस्य हो सकते हैं लेकिन शिव आराधना से सभी मिलजुल कर रह सकते हैं.
- एक गूढ़ बात और है कि समस्त ग्रह शिव परिवार में ही शामिल हैं. ग्रहों के राजा सूर्य स्वयं महादेव हैं. चंद्रमा उनके सिर पर विराजित हैं. कार्तिकेय स्वयं मंगल हैं और बुध राजकुमार गणेश हैं. गुरु के रूप में नंदी हैं. शुक्र माता पार्वती हैं. न्याय के देवता शनि शिव का त्रिशूल हैं जिससे वह दण्ड देते हैं. राहु सर्प का मुख हैं और केतु सर्प की पूंछ जो कि शिव का आभूषण हैं.
- रुद्र का अभिषेक यानी रुद्राभिषेक सर्वफल दायी होता है. इसको करने से समस्त ग्रह शांत और प्रसन्न हो जाते हैं. साथ ही पारिवारिक समरसता का प्रतीक होने के कारण ही इस अभिषेक को पूरा परिवार एकता के सूत्र में बंध कर करता है. रुद्राभिषेक में सगे-संबंधियों एवं पड़ोसियों को भी आमंत्रित किया जाता है.
- जब नौ ग्रह शिव परिवार में आ गए तो सभी तत्वों का भी समावेश हो जाता है. जैसे गंगा और चंद्र जिस स्थान पर हैं जल तत्व है. त्रिशूल और डमरू का संबंध वायु तत्व से है. क्योंकि डमरू ध्वनि देता है और ध्वनि वायु तत्व है साथ ही त्रिशूल भी संधान के बाद वायु तत्व में ही अपना लक्ष्य साधते हैं. मंगल का प्रतिनिधित्व करने वाले बलवान भगवान श्री कार्तिकेय जी अग्नि तत्व हैं. नंदी यानी वृष जो कि पृथ्वी तत्व हैं. महाकाल यानी महादेव स्वयं में आकाश तत्व हैं जोकि सभी तत्वों को समेटे हुए हैं.
- तुलसी बाबा ने कहा कि जो तप करे कुमारी तुम्हारी, भावी मेटी सकही त्रिपुरारी… यानी विधि के विधान यदि बदलने की कोई दम रखता है तो वह महादेव ही हैं. काल को भी टालने वाले महाकाल है. तभी तो मार्कन्डेय ऋषि ने शिव की उपासना कर महामृत्युंजय महामंत्र जनमानस को प्राणों की रक्षा के लिए दिया.