सूर्य के उत्तरायण होने के बाद माघ शुक्ल अष्टमी तिथि पर भीष्म पितामाह ने प्राण त्यागे थे। आप सभी को बता दें कि उनकी स्मृति में यह व्रत किया जाता है। जी हाँ और इस दिन प्रत्येक हिंदू को भीष्म पितामह (Bhishma Ashtami 2022) के निमित्त कुश, तिल व जल लेकर तर्पण करना चाहिए, चाहे उसके माता-पिता जीवित ही क्यों न हों। कहा जाता है इस व्रत को करने से मनुष्य सुंदर और गुणवान संतान प्राप्त करता है।
मंत्र – माघे मासि सिताष्टम्यां सतिलं भीष्मतर्पणम्।
श्राद्धच ये नरा: कुर्युस्ते स्यु: सन्ततिभागिन:।।
वहीं महाभारत के अनुसार जो मनुष्य माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म के निमित्त तर्पण, जलदान आदि करता है, उसके वर्षभर के पाप नष्ट हो जाते हैं।
मंत्र- शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।
संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।।
कैसे करें भीष्म अष्टमी व्रत- भीष्म अष्टमी की सुबह स्नान आदि करने के बाद यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी या सरोवर के तट पर स्नान करना चाहिए। इस दिन अगर नदी या सरोवर पर न जा पाएं तो घर पर ही विधिपूर्वक स्नानकर भीष्म पितामह के निमित्त हाथ में तिल, जल आदि लेकर अपसव्य (जनेऊ को दाएं कंधे पर लेकर) तथा दक्षिणाभिमुख होकर निम्नलिखित मंत्रों से तर्पण करना चाहिए-
वैयाघ्रपदगोत्राय सांकृत्यप्रवराय च।
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणे।।
भीष्म: शान्तनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय:।
आभिरभिद्रवाप्नोतु पुत्रपौत्रोचितां क्रियाम्।।
वहीं इसके बाद पुन: सव्य (जनेऊ को बाएं कंधे पर लेकर) होकर इस मंत्र से गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य देना चाहिए-
वसूनामवताराय शन्तरोरात्मजाय च।
अर्घ्यंददामि भीष्माय आबालब्रह्मचारिणे।।
भीष्म अष्टमी तिथि एवं मुहूर्त-
अष्टमी तिथि आरंभ: 08 फरवरी, मंगलवार, सुबह 06:15 से
अष्टमी तिथि समाप्त: 09 फरवरी, बुधवार सुबह 08:30 तक
पूजा मुहूर्त: सुबह 11:29 से दोपहर 01:42 तक
ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत करने से सुसंस्कारी संतान की प्राप्ति होती है। केवल यही नहीं बल्कि इस दिन पितामह भीष्म के निमित्त तर्पण करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।