दिल्ली की गाज़ीपुर मंडी में मिले बम के मामले में एक संगठन मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद का नाम सामने आ रहा है. दरअसल ये नाम तब सामने आया जब खुफिया एजेंसियां सोशल मीडिया को मॉनिटर कर रही थी. टेलीग्राम की एक चैट के जरिए पता चला कि गाज़ीपुर में आईईडी (IED) लगाने की ज़िम्मेदारी मुजाहिदीन गजवत-उल-हिंद नाम के एक संगठन ने ली है, लेकिन जांच एजेंसी का कहना है ये संगठन काफी नया है और इनके दावे में अभी तक सच्चाई नजर नहीं आ रही है अभी तक ये दावा खोखला नजर आ रहा है.

गाजीपुर बम मामले में गजवत-उल-हिंद का दावा फर्जी!
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के मुताबिक इस मामले में ऐसा लग रहा है कि जांच को भटकाने की एक कोशिश की गई हो. टेलीग्राम के जिस ग्रुप में जानकारी शेयर की गई थी उसमें एक दावा और किया गया था. उसमें लिखा था कि तकनीकी खराबी के कारण बम नहीं फटा. इसका मतलब ये नहीं कि काम नहीं हो पाया, आने वाले दिनों के लिए तैयार रहें. हालांकि पुलिस के सूत्र इस दावे को सही नहीं मान रहे हैं, लेकिन सुरक्षा के मद्देनजर इस चेतावनी को सभी खुफिया एजेंसियों के साथ शेयर कर दिया गया है. क्योंकि 26 जनवरी से पहले पुलिस कोई चूक नहीं करना चाहती है.
14 जनवरी को बैग में मिला था बम
फिलहाल अभी तक पुलिस को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला है जिससे ये पता लगाया जा सके कि गाज़ीपुर मंडी में बम किसने रखा था. NSG की जांच में सामने आया था कि इस बम में 3 किलो विस्फोटक था और ये RDX और अमोनियम नाइट्रेट को मिक्स करके बनाया गया था. बता दें कि शुक्रवार यानी 14 जनवरी को एक बैग में भरा हुआ विस्फोटक गाजीपुर मंडी से सुबह के करीब 10.30 बजे बरामद किया गया था. जिसके बाद इसे निष्क्रिय किया गया था.
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